TSE-2025 : पोरबंदर के माधवपुर बीच पर 13 नवंबर को त्रि-सेवा अभ्यास "त्रिशूल" का समापन हुआ
भारतीय सशस्त्र सेनाओं के संयुक्त सामरिक सामर्थ्य का प्रदर्शन करते हुए त्रि-सेवा अभ्यास (टीएसई-2025) “त्रिशूल” का समापन 13 नवंबर को पोरबंदर के माधवपुर बीच पर आयोजित प्रभावशाली उभयचर (Amphibious) ऑपरेशन डेमोंस्ट्रेशन के साथ हुआ। इस अवसर पर दक्षिण पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल नगेश कपूर ने मीडिया से संवाद किया और अभ्यास के विभिन्न पहलुओं की जानकारी साझा की।
भारतीय नौसेना की अगुवाई में भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना के साथ संयुक्त रूप से यह विशाल सैन्य अभ्यास नवंबर 2025 के प्रारंभ में शुरू हुआ था। पिछले कुछ दिनों में हुए अभियानों से पहले कई महीनों तक व्यापक योजना, समन्वय और तैयारियां की गईं। मीडिया संवाद के तुरंत बाद तीनों सेनाओं के सहयोग से योजनाबद्ध उभयचर अभियान का जीवंत प्रदर्शन किया गया, जिसने त्रि-सेना समन्वय की उच्चतम क्षमता को सामने रखा।
अभ्यास का नेतृत्व भारतीय नौसेना के पश्चिमी नौसेना कमान (डब्ल्यूएनसी) द्वारा किया गया, जबकि भारतीय सेना की दक्षिणी कमान (एससी) और भारतीय वायुसेना की दक्षिण पश्चिमी वायु कमान (एसडब्ल्यूएसी) इसमें प्रमुख सहभागी रहीं। इस व्यापक अभ्यास में राजस्थान और गुजरात के क्रीक एवं मरुस्थलीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रणनीतिक अभियान संचालित किए गए। इसके साथ-साथ उत्तर अरब सागर में समुद्री एवं उभयचर अभियानों का भी सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया।
त्रिशूल अभ्यास का मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच सहयोग, समन्वय और एकीकृत युद्ध-तैयारी को और मजबूत करना था। इसमें बहु-क्षेत्रीय (मल्टी डोमेन) एकीकृत संचालन प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता को परखा और एक-दूसरे के साथ समन्वयित किया गया, ताकि समय पर संयुक्त प्रभाव-आधारित अभियान सुनिश्चित किए जा सकें।
अभ्यास के अभियानों के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए 13 नवंबर की दोपहर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जीओसी-इन-सी (दक्षिणी कमान), एओसी-इन-सी (दक्षिण पश्चिमी वायु कमान) और एफओसी-इन-सी (पश्चिमी नौसेना कमान) ने भी अपनी-अपनी सेनाओं के दृष्टिकोण और अभियान विवरण साझा किए।
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