Som Pradosh Vrat 2025: आज है मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत, जानें पूजा मुहूर्त
Som Pradosh Vrat 2025: आज मार्गशीर्ष महीने का पहला प्रदोष व्रत है। हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व होता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत है, जो प्रत्येक महीने के शुक्ल और कृष्ण दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत (Som Pradosh Vrat 2025) शुभ प्रदोष काल में किया जाता है, जो सूर्यास्त के ठीक बाद का गोधूलि काल है।
ऐसा माना जाता है कि इस समय शिव और पार्वती भक्तों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। प्रदोष व्रत रखने से पिछले पापों का नाश होता है, बाधाओं पर विजय मिलती है, शांति, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। भक्त दूध, जल, बेलपत्र से शिवलिंग की पूजा करते हैं और "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत और भक्ति करने से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और ईश्वरीय सुरक्षा प्राप्त होती है।
जानें आज का पूजा मुहूर्त
मार्गशीर्ष महीने के त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 17 नवंबर को सुबह 04:47 बजे हो गयी और इसका समापन 18 नवंबर को सुबह 07:12 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार, प्रदोष व्रत आज, 17 नवंबर को ही मनाया जाएगा। सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat 2025) भी कहा जाता है। आज पूजा मुहूर्त शाम 05:15 बजे से 07:54 बजे तक रहेगा।
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि
-सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूरे दिन पवित्रता बनाए रखें और भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित व्रत रखें।
- पूजा स्थल और शिवलिंग को जल से शुद्ध करें। यदि आपके घर में शिवलिंग नहीं है, तो भगवान शिव की तस्वीर या मूर्ति की पूजा करें।
- मुख्य पूजा प्रदोष काल में की जाती है, जो सूर्यास्त के लगभग डेढ़ घंटे बाद होता है।
- जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, बेल के पत्ते, गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- भगवान शिव को फल, फूल, धतूरा, बेल के पत्ते, धूप और दीप अर्पित करें। शिवलिंग पर भस्म लगाएँ और फूलों से सजाएँ।
- महामृत्युंजय मंत्र, ॐ नमः शिवाय और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। भगवान शिव का ध्यान करें और शांति एवं समृद्धि का आशीर्वाद लें।
- कुछ भक्त पूर्ण उपवास रखते हैं; कुछ फल या दूध ग्रहण करते हैं। पूजा पूरी होने तक अन्न का सेवन न करें।
- भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद बाँटें। रात्रि में प्रार्थना के बाद ही व्रत खोलें।
यह भी पढ़ें: Jyotish ki Nazar Se: अपने पुराने कपड़ों के साथ भूलकर भी ना करें ये काम वरना बढ़ेगा दुर्भाग्य