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सिनेमा है राष्ट्र निर्माण की आत्मा, बाज़ार और मीडिया में फैली झूठी स्क्रिप्ट से बचेः गौतम अदाणी

अदाणी ने "जीना यहाँ, मरना यहाँ: राष्ट्र निर्माण की सिनेमाई आत्मा" शीर्षक से अपने मुख्य भाषण में कहा, कि सिनेमा एक चलायमान कविता और रंगों का तालमेल है।
11:19 AM Oct 13, 2025 IST | srkauthor
अदाणी ने "जीना यहाँ, मरना यहाँ: राष्ट्र निर्माण की सिनेमाई आत्मा" शीर्षक से अपने मुख्य भाषण में कहा, कि सिनेमा एक चलायमान कविता और रंगों का तालमेल है।

अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी इस बार किसी बिजनेसइंस्टिट्यूट यासमिट में नहीं बल्कि सिनेमा के स्टूडेंट्स के बीच थे।गौतम अदाणी ने मशहूरप्रोड्यूसर-डायरेक्टरसुभाष घई द्वारा स्थापित व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल में सिनेमा के स्टूडेंट्स को संबोधन किया।उन्होंने सिनेमा के छात्रों और उद्योग जगत की हस्तियों को बताया कि सिनेमा राष्ट्र निर्माण की आत्मा है और साथ ही चेताया भी कि कहानियां - चाहे वे कला, मीडिया या बाजार में हों - भाग्य को तय करने की शक्ति रखती हैं।

 

सिनेमा की सॉफ्ट पावर पर जोर
अदाणी ने "जीना यहाँ, मरना यहाँ: राष्ट्र निर्माण की सिनेमाई आत्मा" शीर्षक से अपने मुख्य भाषण में कहा, कि सिनेमा एक चलायमान कविता और रंगों का तालमेल है। उन्होंने फिल्मों को समाज की सामूहिक चेतना, संस्कृतियों के बीच सेतु बनाने वाले उपकरण तथा सरकारों और नीतियों से भी अधिक समय तक टिकने वाली सॉफ्ट पावर का शक्तिशाली रूप बताया।

मुंबई के फिल्म सिटी में 20 एकड़ के परिसर में फिल्म निर्माता सुभाष घई ने व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनलको2006 में स्थापित किया।व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल भारत के प्रमुख फिल्म, संचार और रचनात्मक कला संस्थानों में से एक है। यह फिल्म निर्माण, अभिनय, एनीमेशन, फैशन, संगीत और मीडिया प्रबंधन में पाठ्यक्रम प्रदान करता है, और इसे लगातार दुनिया के शीर्ष फिल्म स्कूलों में स्थान दिया गया है।

गौतम अदाणी ने दी गुरुदत्त और राजकपूर को श्रद्धांजलि

फिल्म जगत के दिग्गज गुरुदत्त और राज कपूर की शताब्दी पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, गौतम अदाणी ने कहा कि उनका काम सिनेमा की परिवर्तनकारी शक्ति का उदाहरण है। उन्होंने कहा, "राज कपूर की 'अनाड़ी' के गीत सिर्फ़ कला नहीं, बल्किदर्शन को समेटे हुए हैं। उन्होंने दुनिया को सही मायने में भारत के दर्शन कराए।" गौतम अदाणी ने कहा कि कैसे सोवियत संघ में राज कपूर की लोकप्रियता ने ऐसे समय में राष्ट्रों के बीच संबंधों को मज़बूत किया जब राजनीतिक गठबंधन कमज़ोर थे।

भाषण के दौरान पूरा हाल तब तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया जब गौतम अदाणी ने सनेमा को अपनी ज़िंदगी की कहानी से जोड़ते हुए याद किया। उन्होंने बताया कि कैसे सिनेमा ने उनके निजी सफ़र को आकार दिया। उन्होंने कहा, "मैं 16 साल की उम्र में खाली जेबों के साथ मुंबई आया था, लेकिन मेरे सामने सपनों का आसमान था। 30 साल की उम्र तक, मैंने भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक घराना खड़ा कर लिया था, 32 साल की उम्र तक मैंने इसे सार्वजनिक कर दिया था, और 34 साल की उम्र तक मैं बंदरगाहों और बिजली के क्षेत्र में था। जिन नायकों को देखकर मैं बड़ा हुआ, उन्हें असल ज़िंदगी में भी जिया जा सकता है।"

अदाणी समूह के अध्यक्ष ने अपनी भाषण का दायरा सिनेमा से आगे बढ़ाते हुए चेतावनी दी कि आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में, कहानियां न सिर्फ संस्कृति को बल्कि अर्थव्यवस्थाओं और बाज़ारों को भी आकार देती हैं। मिसाल के तौर पर उन्होंने अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की जनवरी 2023 की रिपोर्ट का ज़िक्र भी किया। इस रिपोर्ट के बादअदाणी समूह की कंपनियों के मूल्य में भारी गिरावट दर्ज की गई थी।

उन्होंने कहा कि - "यह रिपोर्ट एक झूठी पटकथा थी जिसे दुनिया भर में फैलाया गया। कुछ ही दिनों में, 100 अरब डॉलर से ज़्यादा का बाज़ार मूल्य नष्ट हो गया—इसलिए नहीं कि तथ्य बदल गए थे, बल्कि इसलिए कि धारणा से छेड़छाड़ की गई थी,"
उन्होंने का कि चुप्पी दूसरों को आपकी नियति लिखने का मौका देती है। सच को ज़ोर से बताया जाना चाहिए—प्रचार के तौर पर नहीं, बल्कि एकसच्चाई के तौर पर।

अदाणी ने कहा कि हिंडनबर्ग प्रकरण सिर्फ़ एक कंपनी का मामला नहीं था, बल्कि एक केस स्टडी है कि कैसे गलत सूचना और मनगढ़ंत कहानियां बाज़ारों और अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिर कर सकती हैं। उन्होंने पूछा, "जैसे सिनेमा राष्ट्रों की कहानियां कहता है, वैसे ही बाज़ार भी कहानियों से संचालित होते हैं। सवाल यह है कि इन्हें किस उद्देश्य सेऔर कौन लिखता है?"

अदाणी ने दी सिनेमा के भविष्य की झांकी
गौतम अदाणी ने अपने भाषण में सिनेमा के भविष्य की चर्चा भी की। उन्होंने भविष्यवाणी की कि एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) फिल्म निर्माण में उसी तरह क्रांति लाएगी जैसे यह स्वास्थ्य सेवा और ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव ला रही है। उन्होंने कहा, "आने वाले दशक में, निर्माण की लागत 80% तक कम हो सकती है।" "कल्पना कीजिए कि एक ही दिन में वैश्विक रिलीज़ हों, एआई-संचालित गीत-संगीत मिनटों में विभिन्न भाषाओं में रचा जाए, गतिशील पटकथाएं जो वास्तविक समय में बदलती रहें, ऐसी फ़िल्में जहां हर दर्शक अपना संस्करण देखे, और डिजिटल कलाकार जो पीढ़ियों से आगे तक जीवित रहें।"

उन्होंने एआई स्टूडियो की भी कल्पना की, जहां मनुष्य और मशीनें सहयोग करते हैं और सिनेमा स्वयं बिजनेस बन जाता है। मतलब जो भी आप स्क्रीन पर देख रहे हैं वह हर वस्तु तुरंत खरीद के लिए उपलब्ध हो सकती है।

अदाणीने व्हिसलिंग वुड्स में पढ़ने वाले छात्रों से अपील की कि दुनिया के सामने भारतीय कहानियों को विदेशी नज़रिए से ना पेश करें। स्लमडॉग मिलियनेयर फिल्म का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कैसे गरीबी को तमाशे की तरह पेश किया गया है। उन्होंने कहा, "अब कभी भी किसी भारतीय महात्मा की कहानी किसी विदेशी की नज़र से नहीं लिखी जानी चाहिए। भारत को उसकी आवाज़, उसके गीत, उसकी कहानियां वापस दे दीजिए।"
व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल में आयोजित कार्यक्रम में उद्योग जगत के दिग्गज, शिक्षाविद और जानीमानी हस्तियों ने भाग लिया, जिनमें फिल्म निर्माता सुभाष घई, फैकेल्टी मेंबर और भारत के मनोरंजन और मीडिया जगत की प्रमुख हस्तियां शामिल थीं, जिन्होंने छात्रों के साथ मिलकर गौतम अदाणी का गर्मजोशी से स्वागत किया।

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