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डॉ. दया शंकर: एक ऐसा व्यक्तित्व जिससे दाऊद इब्राहिम भी घबराता था.....

अक्सर सिविल अफसरों के लिए कहा जाता है की अधिकतर अफसर भ्रष्ट होते है। लेकिन हमारी धारणाओं के अतरिक्त भी कुछ ऐसे अफसर है जिन्होंने अपनी सच्चाई, ईमानदारी और साहस से बड़े होनहार काम कर दिखाए है। ऐसे ही एक अफसर थे डॉ. दया शंकर ।डॉ. दया शंकर बैच 1978 के एक इंडियन रेवन्यू अफसर(IRS) थे। वे अपनी ईमानदारी, बहादुरी, हिम्मत और अपनी सख्ती और अनुशासन के लिए जाने जाते थे। वे अपने समय के बहुत काबिल अफसर थे। डà

02:43 PM Jan 25, 2023 IST | mediology

अक्सर सिविल अफसरों के लिए कहा जाता है की अधिकतर अफसर भ्रष्ट होते है। लेकिन हमारी धारणाओं के अतरिक्त भी कुछ ऐसे अफसर है जिन्होंने अपनी सच्चाई, ईमानदारी और साहस से बड़े होनहार काम कर दिखाए है। ऐसे ही एक अफसर थे डॉ. दया शंकर ।डॉ. दया शंकर बैच 1978 के एक इंडियन रेवन्यू अफसर(IRS) थे। वे अपनी ईमानदारी, बहादुरी, हिम्मत और अपनी सख्ती और अनुशासन के लिए जाने जाते थे। वे अपने समय के बहुत काबिल अफसर थे। डà

अक्सर सिविल अफसरों के लिए कहा जाता है की अधिकतर अफसर भ्रष्ट होते है। लेकिन हमारी धारणाओं के अतरिक्त भी कुछ ऐसे अफसर है जिन्होंने अपनी सच्चाई, ईमानदारी और साहस से बड़े होनहार काम कर दिखाए है। ऐसे ही एक अफसर थे डॉ. दया शंकर ।
डॉ. दया शंकर बैच 1978 के एक इंडियन रेवन्यू अफसर(IRS) थे। वे अपनी ईमानदारी, बहादुरी, हिम्मत और अपनी सख्ती और अनुशासन के लिए जाने जाते थे। वे अपने समय के बहुत काबिल अफसर थे। डॉ. दया शंकर ने उस समय हो रही सोने की तस्करी पर रोक लगवाई थी और पूरी निष्ठा और सच्चाई से अपनी नौकरी की थी. डॉ. दयाशंकर अपने डिपार्टमेंट द्वारा दिए गए नकद पुरस्कार का भी स्वीकार नहीं करते थे
हमेशा अपनी मेहनत की कमाई में विश्वास रखते थे और कभी भी न हराम का लिया न लेने के बारे में सोचा। रेवन्यू अफसर होने के कारण डॉ. दया शंकर को कई धमकिया मिलती थी, पैसो का लालच भी दी जाती थी और अन्य कई चीज़ो का सामना करना पड़ता था। लेकिन वे हमेशा अपने सिद्धांतो पर अड़े रहे और कभी किसी के सामने नहीं झुके।
उनके शौर्य और पराक्रम के बहुत सारे किस्से प्रेरणादायक है। उन्होंने दाऊद इब्राहिम के बड़े बड़े ठिकानो पर रैड डालकर दाऊद के ठिकानो का पर्दाफाश किया था, और तो और एक बार तस्करो को पकड़ने के चक्कर में पाकिस्तान की समुद्री सीमा पार कर गए थे। पाकिस्तान के कोस्टल अफसर ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। जिसके बाद भारत को उन्हें छुड़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियो की मदद लेनी पड़ी थी। तस्करो ने अपने रास्ते डॉ. दया शंकर के डर की वजह से बदल लिए थे। दाऊद इब्राहिम ने एक मैगज़ीन को दिए साक्षात्कार में यह स्पष्ट किया था की अगर वो किसी अफसर से डरता है तो वो डॉ. दया शंकर थे।

दया शंकर ने काम करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण 2 सिद्धांत, “ईमानदारी” और “साहस” को हमेशा महत्व दिया। इसलिए आज भी उनको, ईमानदारी से देश की सेवा के लिए याद किया जाता है। बहुत ही कम अफसर होते है जो अपनी जान की परवा किए बिना देश की सेवा में जुटे रहते है। डॉ. दया शंकर ने 2005 में अपने काम से सेवा निवृत्ति ले ली थी.  2012 में बीमारी के चलते ऑस्ट्रेलिया में उनका निधन हो गया। लेकिन देश आज भी ऐसे अनमोल हीरे को नहीं भुला जिसने पूर्ण ईमानदारी से देश को सेवा दी। भारत को ऐसे ही अफसरों की जरुरत है जो सिर्फ ईमानदार ही न हो लेकिन देश से बुराइयों का सफाया करे। OTTIndia भी देश के अनमोल हीरे को सलाम करता है….
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