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महिला दिवस पर जानें उन सशक्त महिलाओं के बारे में, जिन्होंने हर कदम पर दिया इन महापुरुषों का साथ

International Women's day पर हम आपको उन सशक्त महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने पुरुषों की जिंदगी में अहम भूमिका निभाई।
10:32 AM Mar 08, 2025 IST | Pooja
International Women's day पर हम आपको उन सशक्त महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने पुरुषों की जिंदगी में अहम भूमिका निभाई।

International Women'S Day: आपने वह कहावत तो सुनी ही होगी कि 'हर कामयाब पुरुष की पीछे एक महिला का हाथ होता है', जो वाकई सही भी है। हमारे देश में कई ऐसे महापुरुष रहे हैं, जिनकी जिंदगी में जिनकी पत्नियों का खास योगदान रहा है। जो हर मोड़ पर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलीं। आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको ऐसी ही कुछ महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने न केवल देश की आजादी में अपनी वीरता का प्रमाण दिया, बल्कि उनका देश के महापुरुषों के जीवन में खास योगदान भी रहा।

वैसे, हमारे देश की आजादी में किन महापुरुषों का योगदान रहा, यह तो सभी जानते हैं, लेकिन उनका साथ किसने दिया और किसने उनकी हिम्मत बढ़ाई, यह शायद कम ही लोग जानते हों। तो आइए हम आपको बता देते हैं कि महापुरुषों का जिन महिलाओं ने साथ दिया, वे कौन-कौन हैं।

कस्तूरबा गांधी

इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है कस्तूरबा गांधी का, जो देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पत्नी थीं। महात्मा गांधी ने देश की आजादी के लिए जो किया, वह सभी जानते हैं। हालांकि, जो हर कदम पर उनके साथ रहीं, वह उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी ही थीं। उन्होंने देश की आजादी के लिए कई आंदोलनों में भी हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं वह इन आंदोलनों के चलते कई बार जेल भी गई थीं, जिस दौरान उन्होंने काफी कष्ट भी उठाएं। उनके अलावा, महात्मा गांधी के जीवन में उनकी मां पुतलीबाई का भी अहम योगदान रहा, जो उनके जीवन की बड़ी प्रेरणा रहीं।

सावित्री बाई फुले

सावित्री बाई फुले के बारे में वैसे तो हर कोई जानता है कि उन्होंने देश के लिए बहुत से ऐसे काम किए हैं, जिनकी मिसाल आज भी दी जाती है। महिलाओं को शिक्षित करने में उनका अहम योगदान रहा। आपको जानकर हैरानी होगी कि वह देश की पहली महिला शिक्षिका थीं, जिन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर कई स्कूलों की स्थापना की। ज्योतिबा फुले की बात करें, तो वह एक समाजसुधारक, लेखक और क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे।

सुशीला दीदी

इनके बारे में भले ही बहुत कम लोगों को पता हो, लेकिन वह एक ऐसी महिला थीं, जिन्होंने देश की आजादी के क्रांतिकारियों के लिए अपने गहनों तक को बेच दिया था। उन्होंने स्कूल से अपनी महिला प्राचार्य से देशभक्ति की प्रेरणा ली और एक पंजाबी गीत भी लिखा था। यह गीत क्रांतिकारियों का पसंदीदा गीत थी।

इसके अलावा, वह क्रांतिकारियों तक गुप्त जानकारी भेजना, लोगों को क्रांति के लिए जागरुक करने के लिए पर्चे बांटना जैसे काम करती थीं।

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