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आज है शिव-पार्वती को समर्पित महेश नवमी, जानिए पूजा मुहूर्त और विधि

महेश नवमी का माहेश्वरी समुदाय और भगवान शिव के भक्तों के लिए गहरा आध्यात्मिक महत्व है।
08:30 AM Jun 04, 2025 IST | Preeti Mishra
महेश नवमी का माहेश्वरी समुदाय और भगवान शिव के भक्तों के लिए गहरा आध्यात्मिक महत्व है।
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Mahesh Navami 2025: महेश नवमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार जिसे भगवान शिव और देवी पार्वती के सम्मान में मनाया जाता है। यह पर्व माहेश्वरी समुदाय द्वारा विशेष रूप से मनाया जाता है। ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार (Mahesh Navami 2025) भगवान शिव के अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए दिव्य रूप में प्रकट होने का प्रतीक है। यह दिन माहेश्वरी समुदाय की आध्यात्मिक उत्पत्ति का प्रतीक है और इसे भक्ति, प्रार्थना, उपवास और सामुदायिक सेवा के साथ मनाया जाता है।

एक किवदंती के अनुसार, शिव और पार्वती ने आज ही के दिन 72 क्षत्रियों को शापमुक्त किया था और उन्हें कहा था कि आज से उनके वंश पर शिव-पार्वती की छाप रहेगी और वो लोग माहेश्वरी कहलाएंगे। यही कारण है कि यह पर्व माहेश्वरी समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष ज्येष्ठ माह की नवमी तिथि की शुरुआत 3 जून को रात 9:56 बजे होगा और समापन 4 जून को रात 11:54 बजे होगा।

महेश नवमी पूजा मुहूर्त

लाभ मुहूर्त- सुबह 05:23 से सुबह 07:07 तक
अमृत मुहूर्त- सुबह 07:07 से सुबह 08:51 तक
शुभ मुहूर्त- सुबह 10:35 से दोपहर 12:20 तक
लाभ मुहूर्त- शाम 05:32 से रात 07:16
शुभ मुहूर्त- रात 08:32 से रात 09:48

महेश नवमी का महत्व

महेश नवमी का माहेश्वरी समुदाय और भगवान शिव के भक्तों के लिए गहरा आध्यात्मिक महत्व है। ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व मानवता को आशीर्वाद देने के लिए भगवान महेश (शिव) और देवी पार्वती के दिव्य स्वरूप का स्मरण करता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन धर्म और धार्मिकता को बनाए रखने के लिए माहेश्वरी समुदाय की दिव्य रचना की गई थी। यह त्योहार भक्ति, पवित्रता और सेवा का प्रतीक है। माना जाता है कि उपवास, प्रार्थना और दान-पुण्य के माध्यम से महेश नवमी मनाने से आध्यात्मिक उत्थान, पारिवारिक खुशहाली और दैवीय आशीर्वाद मिलता है। यह माहेश्वरी समुदाय की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को भी मजबूत करता है।

महेश नवमी पूजा विधि

- सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और स्वच्छ पारंपरिक कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध करें और भगवान शिव और देवी पार्वती की छवियों या मूर्तियों के साथ वेदी तैयार करें।
- परिवार के कल्याण और आध्यात्मिक विकास के लिए भक्ति और पवित्रता के साथ पूजा करने का संकल्प लें।
- भगवान शिव को दूध, दही, शहद, घी और जल से अभिषेक करें
- चंदन का लेप लगाएं और बिल्व (बेल) के पत्ते, धतूरा और सफेद फूल चढ़ाएं
- फल, मिठाई और नारियल चढ़ाएं
- देवी पार्वती को लाल फूल, कुमकुम, चूड़ियाँ और मिठाई अर्पित करें
- पार्वती स्तोत्र या देवी प्रार्थना का पाठ करें
- शिव मंत्रों ‘ओम नमः शिवाय’, शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- घी के दीपक और अगरबत्ती से शिव-पार्वती की आरती करें।
- ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और आवश्यक वस्तुएं दें।
- परिवार और दोस्तों के बीच प्रसाद वितरित करके पूजा का समापन करें।

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