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भारत से लेकर रूस, इज़राइल, चीन और ईरान तक, पूरे वर्ल्ड में चल रही बड़ी उलट पुलट; क्या है अमेरिकी कनेक्शन?

ट्रंप प्रशासन के दौर में भारत-पाक सीज़फायर, रूस-यूक्रेन वार्ता और चीन-अमेरिका तनाव में नरमी—क्या ये वैश्विक शांति की नई शुरुआत है?
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एक साथ भारत-पाक सीजफायर, रूस-यूक्रेन शांति वार्ता, ईरान-अमेरिका वार्ता और चीन-अमेरिका व्यापार तनाव में कमी से एक सवाल उठ रहा है कि अचानक दुनिया भर में शांति की लहर क्यों दिख रही है? पिछले 48 घंटों में वैश्विक राजनीति में आए इन आश्चर्यजनक बदलावों के पीछे अमेरिकी रणनीति में बदलाव की आहट साफ सुनाई दे रही है। ट्रंप का अमेरिका, जो कभी युद्धों का इंजन था, रातोंरात कूटनीति का झंडाबरदार बन गया है। भारत-पाक के बीच सीज़फायर थोपने से लेकर गाजा में हमास पर नरम रुख तक, हर कदम पर वाशिंगटन की छाप साफ़ दिखाई दे रही है।  जब विश्व की ताकतें एक-दूसरे को घूर रही हैं, तो अमेरिका का यह शांतिदूत अवतार सवाल उठाता है कि क्या यह नई विश्व व्यवस्था की शुरुआत है? आइए समझते हैं विश्व में चल रही इस जटिल भू-राजनीतिक को 5 बड़े संघर्षपूर्ण बदलावों से...

1.भारत-पाक तनाव: अमेरिकी पलटी ने कैसे बदला खेल?

भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका के रुख में आया अचानक परिवर्तन सबसे चौंकाने वाला रहा। शुरुआत में भारत को मिल रहे समर्थन के बाद अचानक ट्रंप प्रशासन ने सीजफायर के लिए दबाव बनाया। यह अमेरिकी रणनीति में बदलाव का स्पष्ट संकेत है कि जहां पहले वे भारत को पाकिस्तान पर सैन्य दबाव बनाने दे रहे थे, वहीं अचानक उन्होंने मध्यस्थ की भूमिका निभाना शुरू कर दिया। दिलचस्प बात यह कि सीजफायर के बाद भी पाकिस्तान द्वारा उल्लंघन की खबरों को मीडिया कवरेज से गायब कर दिया गया, जो अमेरिकी प्रभाव की ओर साफ़ इशारा करता है।

2.रूस-यूक्रेन: युद्धविराम की ओर बढ़ते कदम

रूसी राष्ट्रपति पुतिन द्वारा 15 मई को इस्तांबुल में बिना शर्त वार्ता का प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब पश्चिमी देशों ने 30 दिन के युद्धविराम की मांग की थी। यह समयावधि महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अमेरिकी मध्य पूर्व यात्रा से ठीक पहले की गई है। क्या यह संयोग है कि जिस समय अमेरिका ने भारत-पाक मामले में हस्तक्षेप किया, उसी समय रूस-यूक्रेन संघर्ष में भी शांति की पहल शुरू हुई? विश्लेषकों का मानना है कि यह अमेरिका की नई वैश्विक शांति पहल का हिस्सा हो सकता है।

3.ईरान-अमेरिका: परमाणु वार्ता पर आए एक टेबल पर 

ईरान और अमेरिका के बीच रविवार को शुरू हुई नई वार्ता दशकों पुराने तनाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह वार्ता ओमान के मध्यस्थता में हो रही है, जो दिखाता है कि अमेरिका अब सीधी वार्ता के बजाय मध्यस्थों के जरिए काम करना पसंद कर रहा है। यह वही रणनीति है जो भारत-पाक मामले में देखने को मिली। ट्रंप प्रशासन का यह नया दृष्टिकोण अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है।

4.चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर: टैरिफ में अचानक कमी

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी सामान पर टैरिफ 145% से घटाकर 80% करने का प्रस्ताव अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध में नया मोड़ ला सकता है। यह कदम अगली व्यापार वार्ता से पहले उठाया गया है, जो दिखाता है कि अमेरिका चीन के साथ संबंध सुधारने को प्राथमिकता दे रहा है। यह ट्रंप प्रशासन की नई आर्थिक नीति का संकेत हो सकता है जहां वे व्यापार युद्धों के बजाय वार्ता को तरजीह दे रहे हैं।

5.इजरायल-हमास: अमेरिका का नरम रुख

गाजा संघर्ष में अमेरिका द्वारा हमास से हथियार छोड़ने की मांग हटाना एक बड़ा रणनीतिक बदलाव है। यह कदम इजरायल को नाराज कर सकता है, लेकिन यह दिखाता है कि अमेरिका अब संघर्षों को लंबा खींचने के बजाय शांति समाधान को प्राथमिकता दे रहा है। यही रणनीति हमने भारत-पाक और रूस-यूक्रेन मामले में भी देखी है।

साथ ही बता दें कि ये सभी वैश्विक घटनाएं अलग-अलग नहीं, बल्कि एक सुनियोजित अमेरिकी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होती हैं। ट्रंप प्रशासन शायद अब वैश्विक संघर्षों को सुलझाने के लिए नई दृष्टिकोण अपना रहा है। जहां सैन्य दबाव के बजाय कूटनीतिक समाधानों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह बदलाव अमेरिकी विदेश नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है, जिसका प्रभाव आने वाले वर्षों में वैश्विक राजनीति पर दिखाई देगा। क्या यह नई विश्व व्यवस्था की शुरुआत है? समय ही बताएगा।

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