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"भगोड़ा कहिए लेकिन...", माफ़ी मांगते हुए भारत लौटने के विषय में क्या बोल गए विजय माल्या?

विजय माल्या ने कहा- भारत लौट सकता हूं, बशर्ते मिले निष्पक्ष सुनवाई और सम्मान। क्या सरकार भगोड़े की शर्तें मानेगी? जानिए पूरा मामला।
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भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। पॉडकास्टर राज शमानी को दिए एक विस्फोटक इंटरव्यू में माल्या ने कहा कि वह भारत लौटने पर विचार कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें दो शर्तें माननी होंगी। पहली, उन्हें निष्पक्ष सुनवाई की गारंटी मिले और दूसरी, उन्हें सम्मानजनक जीवन दिया जाए। यह बयान उस समय आया है जब भारत सरकार लगातार उनके प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटिश अदालतों में लड़ाई लड़ रही है।

"चोर नहीं, भगोड़ा हूं": ऐसा क्यों बोले माल्या?

इंटरव्यू के दौरान जब माल्या से पूछा गया कि क्या वह खुद को "चोर" मानते हैं, तो उन्होंने तुरंत जवाब दिया, "मुझे भगोड़ा कहिए, यह ठीक है, लेकिन चोर क्यों? चोरी कहां हुई है?" माल्या ने दावा किया कि वह मार्च 2016 में भारत से पहले से तय यात्रा पर गए थे, न कि भागे थे। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि वह "कुछ कारणों" से वापस नहीं लौटे, जिन्हें वह "वाजिब" मानते हैं।

9,000 करोड़ के कर्ज पर क्या है माल्या का दावा?

माल्या पर भारतीय बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज न चुकाने का आरोप है। लेकिन इस साल फरवरी में उनके वकीलों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में दावा किया था कि बैंकों ने मूल कर्ज से कहीं अधिक 14,000 करोड़ रुपये की वसूली कर ली है। माल्या की तरफ से यह भी दावा किया गया कि उन्होंने पूरा कर्ज चुका दिया है, फिर भी उनकी संपत्तियों की नीलामी जारी है। इस मामले में हाईकोर्ट ने बैंकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

ब्रिटिश कोर्ट के हवाले से माल्या का नया तर्क

अपने भारत लौटने के रास्ते में एक बड़ी बाधा का जिक्र करते हुए माल्या ने यूरोपियन कन्वेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स (ECHR) का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश कोर्ट ने कई मामलों में फैसला दिया है कि भारतीय जेल की स्थितियां मानवाधिकारों का उल्लंघन करती हैं, इसलिए प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता। यह तर्क उन्होंने अपने मामले में भी दिया है।

क्या माल्या की शर्तें मानी जाएंगी?

माल्या का यह इंटरव्यू उस समय आया है जब भारत सरकार निरंजन मूर्ति और मेहुल चोकसी जैसे अन्य भगोड़े कारोबारियों को वापस लाने में जुटी है। विशेषज्ञों का मानना है कि माल्या की "शर्तें" स्वीकार करना भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक चुनौती होगा। सवाल यह है कि क्या सरकार किसी भगोड़े के सामने शर्तें मानने को तैयार होगी, या फिर माल्या को बिना शर्त वापस लाने की कोशिश जारी रखेगी? अभी तक केंद्र सरकार ने इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह मामला निश्चित रूप से नए सिरे से बहस छेड़ देगा।

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