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पलक झपकते मलबे में बदला 85 मीटर ऊंचा टावर, देखें Video

<p>सुबह करीब 11:00 बजे उत्तरन पावर स्टेशन के कूलिंग टावर को धमाके से गिरा दिया गया है। आपको बता दें कि 85 मीटर ऊंचे इस टावर को आधुनिक तकनीक की मदद से ध्वस्त किया गया है। कुछ ही सेकेंड में एक साथ 72 खंभे फूंक दिए गए। पूरी घटना देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उनके घर की छत पर जमा हुए। यहां पढ़ें- Gujarat: गुजरात के गांधीनगर से आया चौकाने वाला किस्सा, बेरहम माता पिता ने 3 महीने की बच्ची को लावारिस छोड़ाआखि</p>
01:11 PM Mar 21, 2023 IST | mediology
<p>सुबह करीब 11:00 बजे उत्तरन पावर स्टेशन के कूलिंग टावर को धमाके से गिरा दिया गया है। आपको बता दें कि 85 मीटर ऊंचे इस टावर को आधुनिक तकनीक की मदद से ध्वस्त किया गया है। कुछ ही सेकेंड में एक साथ 72 खंभे फूंक दिए गए। पूरी घटना देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उनके घर की छत पर जमा हुए। यहां पढ़ें- Gujarat: गुजरात के गांधीनगर से आया चौकाने वाला किस्सा, बेरहम माता पिता ने 3 महीने की बच्ची को लावारिस छोड़ाआखि</p>
सुबह करीब 11:00 बजे उत्तरन पावर स्टेशन के कूलिंग टावर को धमाके से गिरा दिया गया है। आपको बता दें कि 85 मीटर ऊंचे इस टावर को आधुनिक तकनीक की मदद से ध्वस्त किया गया है। कुछ ही सेकेंड में एक साथ 72 खंभे फूंक दिए गए। पूरी घटना देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उनके घर की छत पर जमा हुए।

यहां पढ़ें- Gujarat: गुजरात के गांधीनगर से आया चौकाने वाला किस्सा, बेरहम माता पिता ने 3 महीने की बच्ची को लावारिस छोड़ा

आखिर ऐसा क्यों किया ?
आपको बता दें कि टावरों के लिए एक विशेष समय सीमा तय की जाती है जो सरकारी बिजली स्टेशनों के अंदर होते हैं। इसके बनने के 30 से 35 साल बाद इसे तोड़ा जाना होता है। सूरत उतरन कूलिंग टॉवर 1993 में बनाया गया था। 2017 में 30 साल पूरे होने के बाद केंद्र सरकार ने इस कूलिंग टावर को गिराने का फैसला किया। 
क्या है ये आधुनिक तकनीक जिसकी मदद से ध्वस्त किया टावर ?
दरअसल इस आधुनिक तकनीक को एक्सप्लोसिव कंट्रोल ब्लास्ट सिस्टम के नाम से जाना जाता है। विदेशों में इसका इस्तेमाल आजम से नहीं बल्कि कई सालों से किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल विशेष रूप से ऊंची इमारतों को सेकंड के अंदर गिराने के लिए किया जाता है। इस तकनीक को इसलिए इस्तेमाल किया जाता है ताकि आसपास की बिल्डिंग को कोई नुक्सान न हो। 
कैसे किया विस्फोट ?
इस टावर की ऊंचाई करीब 85 मीटर है और इसमें 72 खंभे थे। पहले खंभों में छेद किए गए और उनमें तरल विस्फोटक डाला गया। एक पिलर के अंदर करीब 20 छेद किए गए थे। इसके बाद रिमोट कंट्रोल से विस्फोट किया गया। विस्फोटक रखने की प्रक्रिया तकनीकी टीम पिछले दो महीने से कर रही थी।  
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