सीखना अब होगा सहज! CBSE लाया मातृभाषा में पढ़ाई का फॉर्मूला, छोटे बच्चों को बड़ी राहत
CBSE Guidelines:केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने देशभर के अपने संबद्ध स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे छात्रों की मातृभाषा की पहचान जल्द से जल्द सुनिश्चित करें। अभी तक अधिकांश निजी स्कूलों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी रहा है, जबकि मातृभाषा पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जाता था। अब बोर्ड ने एक नई गाइडलाइन जारी करते हुए मातृभाषा को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। CBSE ने 22 मई को जारी सर्कुलर में स्पष्ट किया है कि प्री-प्राइमरी से (CBSE Guidelines)लेकर कक्षा 2 तक की पढ़ाई ‘मूलभूत चरण’ (Foundation Stage) के अंतर्गत आती है, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के अनुसार इस चरण की शिक्षा बच्चों की घरेलू, मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा (R1) में दी जानी चाहिए।
कक्षा 3 से 5 तक विकल्प की छूट
सर्कुलर के अनुसार, कक्षा 3 से 5 तक छात्र चाहें तो R1 में पढ़ाई जारी रख सकते हैं या किसी अन्य भाषा को माध्यम बना सकते हैं। यह भी संकेत दिया गया है कि जुलाई से मातृभाषा आधारित शिक्षा शुरू की जा सकती है। यह पहला अवसर है जब CBSE ने संकेत दिया है कि मातृभाषा आधारित शिक्षा को अपने स्कूलों में अनिवार्य किया जा सकता है। अभी तक यह केवल नीति के तहत प्रोत्साहित किया जाता रहा है।
जानिए NEP....NCFSE का क्या है दृष्टिकोण?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFSE 2023) दोनों ही शुरुआती वर्षों में मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा देने की वकालत करते हैं। विशेष रूप से आठ वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए यह भाषा-संचालित पढ़ाई को प्रभावी मानते हैं। दस्तावेजों में उल्लेख है कि बच्चे सबसे बेहतर सीख अपनी जानी-पहचानी भाषा में ही कर सकते हैं।
स्टेटस रिपोर्ट
नई गाइडलाइन सभी सीबीएसई स्कूलों में जुलाई अंत तक लागू हो जाने का निर्देश जारी किया गया है। जारी नई गाइडलाइन में शिक्षकों को ट्रेनिंग देने के अलावा यह भी कहा गया कि स्कूल जुलाई से हर महीने की पांच तारीख तक NCF लागू करने की स्टेटस रिपोर्ट बोर्ड को भेजें। रिपोर्ट भेजने को लेकर बोर्ड ने एक लिंक भी जारी किया है। सीबीएसई ने कहा कि गर्मियों की छुट्टी तक सभी स्कूलों को सिलेबस और नई भाषा में बच्चों को पढ़ाने का टीचिंग मटेरियल तैयार करना होगा। नई गाइडलाइन को स्कूल में लागू करने से पहले शिक्षकों को ट्रेनिंग और वर्कशॉप पूरी करनी होगी।
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