Udaipur : "वाइब्रेंट गुजरात" कल्चरल प्रोग्राम में उमड़े उदयपुराइटस्, कार्यक्रम में दिखी गुजरात की कला, संस्कृति, व्यंजन और परंपरा की झलक
उदयपुर, 15 सितम्बर : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के (PM Narendra Modi) ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत विजन’ के तहत “वसुधैव कुटुंबकम” की (Vasudhaiva Kutumbakam) भावना को आगे बढाते हुए गुजरात और राजस्थान के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान के उद्देश्य से रविवार को उदयपुर (Udaipur) के फील्ड क्लब परिसर में आयोजित वाइब्रेंट गुजरात कल्चरल प्रोग्राम 2025 में संस्कृतियों का अनूठा संगम देखने को मिला। गुजराती और मेवाड़ी संस्कृति के संगम से आनंद की ऐसी हिलोरे उठीं कि हर कोई मन की गहराई तक भीग सा गया।
गुजरात सरकार का टूरिजम कॉर्पारेशन ऑफ गुजरात लिमिटेड (Gujarat Government's Tourism Corporation of Gujarat Limited) की मेजबानी में आयोजित अपनी तरह के इस पहले और अनूठे कार्यक्रम का शुभारंभ पंजाब के राज्यपाल एवं चण्डीगढ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया के मुख्य आतिथ्य में हुआ। गुजरात के पर्यटन मंत्री मुलुभाई बेरा (Mulubhai Bera), राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया, शहर विधायक ताराचंद जैन, गुजरात के पर्यटन सचिव राजेंद्र कुमार, गुजरात पर्यटन निगम के प्रबंध निदेशक प्रभव जोशी, पूर्व मंत्री हरीश राजानी, समाजसेवी गजपालसिंह आदि विशिष्ट अतिथि रहे।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग परंपरागत पोशाकों में पहुंचे। किसी ने गुजरात के लोक जीवन को दर्शाती चणिया चौली और केडियू व चोर्ना धारण किया तो कुछ लोग राजपूताना के गौरव का प्रतिनिधित्व करते धोती-कुर्ता और मेवाड़ी पाग या मारवाड़ी साफे के साथ अलग ही छटा बिखेरी। गुजरात के पंपरागत लोक गीतों और लोक नृत्य की धुनों पर थिरकते कदम एक भारत-श्रेष्ठ भारत का दिग्दर्शन कराते से प्रतीत हुए।
Udaipur में लोक संस्कृति ने बांधा समां
उत्सव के विधिवत् शुभारंभ के साथ ही लोक संस्कृति की रंगत बिखरने लगी। प्रारंभ में आकर्षक पारंपरिक गुजराती लोक प्रदर्शन हुआ। इसमें तलवार रास, गोफ गुंथन और मणियारो रास (Maniyaro Raas) की प्रस्तुतियों ने मंत्र मुग्ध कर दिया। जैसे ही राजस्थान की आत्मा घूमर नृत्य प्रारंभ हुआ तो मानो पूरा परिसर ही सांस्कृतिक समागम का प्रतिबिम्ब ही बन गया। मनमोहक प्रस्तुति के बाद, जाने माने पार्श्व गायक पार्थिव गोहिल ने गुजरात के परंपरागत लोक गीतों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर सभी को मानो सम्मोहित सा कर दिया।
गुजराती व्यंजनों का लिया लुत्फ
आयोजन के दौरान परंपरा गुजराती व्यंजनों की भी स्टॉल्स सजाई गई। इसमें लोगों को गुजरात के लजीज पंरपरागत व्यंजन खमण-ढोकला, फाफड़ा सहित कई तरह के व्यंजनों का लुत्फ उठाने का अवसर मिला।
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सांस्कृतिक विरासत को मिलेगी मजबूती
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंजाब के राज्यपाल एवं चण्डीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया (Gulabchand Kataria) ने कहा कि उदयपुर जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगर में वाइब्रेंट गुजरात कल्चरल प्रोग्राम का आयोजन हम सबके लिए गर्व का विषय है। उदयपुर, जिसे झीलों की नगरी कहा जाता है, और गुजरात, जिसे जीवंत संस्कृति व समृद्ध धरोहर के लिए जाना जाता है, दोनों का संगम अपने आप में अद्भुत है। इस तरह के कार्यक्रम हमारी संयुक्त सांस्कृतिक विरासत को और मज़बूत करेंगे। साथ ही भारत को पर्यटन के क्षेत्र में वैश्विक मानचित्र पर और अधिक मजबूती से स्थापित करेंगे।
भारत की ताकत उसकी विविधता और संस्कृति में है : गुलाबचंद कटारिया
श्री कटारिया ने कहा कि गुजरात सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से कलाकारों के माध्यम से दोनों राज्यों को जोड़ने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत उसकी विविधता और संस्कृति में है। यह विविधता ही हमें दुनिया के सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करती है। गुजरात हो या राजस्थान हमारे त्योहार, हमारी नृत्य परंपराएँ, लोकगीत, खानपान और शिल्पकला, पूरी दुनिया को भारतीय ससंस्कृति की झलक दिखाते हैं। गुजरात और राजस्थान जैसे राज्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान, पर्यटन विकास और आर्थिक सशक्तिकरण में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। आज का यह कार्यक्रम उसी कड़ी का हिस्सा है, जो यह संदेश देता है कि पर्यटन सिर्फ़ आर्थिकी नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता का माध्यम भी है।
राजस्थान और गुजरात का रिश्ता बहुत गहरा है : मुलुभाई बेरा
गुजरात के पर्यटन मंत्री श्री मुलुभाई ने कहा कि राजस्थान और गुजरात का रिश्ता बहुत गहरा है। खान पान रहन-सहन एवं परंपराओं में इसकी झलक मिलती है । आज के इस आयोजन में गुजरात के खानपान का स्वाद भी है तो परंपरागत गरबे की झलक भी। यह आयोजन दोनों राज्यों के बीच के अटूट संबंध को और भी गहरा करेगा।
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