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Religious Tourism: सावन में UP में हुई रिकॉर्ड टूरिस्ट्स की आवग, तीर्थयात्रियों की हुई भरमार

राज्य की राजधानी से लेकर वाराणसी के प्राचीन मंदिरों तक, 'हर हर महादेव' के जयकारे पूरे देश में गूंजते रहे।
08:51 PM Aug 13, 2025 IST | Preeti Mishra
राज्य की राजधानी से लेकर वाराणसी के प्राचीन मंदिरों तक, 'हर हर महादेव' के जयकारे पूरे देश में गूंजते रहे।
Religious Tourism in Uttar Pradesh

Religious Tourism: इस वर्ष सावन के महीने में उत्तर प्रदेश भर में आस्था और उत्सवों की अभूतपूर्व लहर देखी गई, जिसने धार्मिक पर्यटन में नए कीर्तिमान स्थापित किए। मंदिरों, घाटों और धार्मिक मेलों में श्रद्धालुओं की असाधारण भीड़ देखी गई, जिसने राज्य की भारत के अग्रणी आध्यात्मिक स्थल के रूप में स्थिति (Religious Tourism) को और मजबूत किया। भक्ति के इस भव्य संगम ने स्थानीय व्यापार और अर्थव्यवस्था को भी उल्लेखनीय बढ़ावा दिया।

राज्य की राजधानी से लेकर वाराणसी के प्राचीन मंदिरों तक, "हर हर महादेव" के जयकारे पूरे देश में गूंजते रहे। तीर्थयात्रियों ने प्रतिष्ठित मंदिरों में जलाभिषेक किया, जबकि बाराबंकी, बागपत और हापुड़ के पवित्र स्थल श्रद्धालुओं (Religious Tourism) से खचाखच भरे रहे।

लखनऊ के मंदिरों में उमड़ी भारी भीड़

लखनऊ के प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर में, श्रावण के दौरान प्रतिदिन तीर्थयात्रियों की संख्या औसतन 5,000-6,000 से बढ़कर 15,000-20,000 से अधिक हो गई। बुद्धेश्वर मंदिर में हर सोमवार और बुधवार को 20,000 से अधिक श्रद्धालु आते रहे। बाराबंकी के लोधेश्वर महादेव मंदिर में लगभग 12 लाख श्रद्धालु आए, जिनमें से सोमवार को 3 लाख तक श्रद्धालु आए।

बागपत के श्रावण मेले में लगभग 14 लाख श्रद्धालु आए, जिनमें से एक ही दिन में 5 लाख से ज़्यादा श्रद्धालु आए। हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर घाट से 1 लाख से ज़्यादा कांवड़िए गंगाजल लेकर आए, जबकि लखीमपुर खीरी के गोला गोकर्ण नाथ मंदिर में 8 लाख से 10 लाख के बीच श्रद्धालु आए।

वाराणसी में खूब आये तीर्थयात्री

वाराणसी का श्री काशी विश्वनाथ धाम श्रावण उत्सव का मुकुटमणि बना रहा। अनुमान है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पर्यटकों की संख्या में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, औसतन प्रतिदिन 70,000-82,000 पर्यटक आए, जो सोमवार को चरम पर था। यह वृद्धि न केवल शहर के अद्वितीय आध्यात्मिक आकर्षण को दर्शाती है, बल्कि सुविधाओं के उन्नयन और भीड़ प्रबंधन में राज्य के सफल प्रयासों को भी दर्शाती है।

क्या कहते हैं यूपी सरकार के आंकड़े?

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा मंगलवार को जारी जुलाई 2025 के आंकड़ों के अनुसार, अकेले लखनऊ में श्रावण के दौरान लगभग 3,50,000 पर्यटक होटलों में ठहरे, जिनमें लगभग 5,000 विदेशी पर्यटक शामिल थे। पारंपरिक मेलों ने 6,04,000 से अधिक लोगों को आकर्षित किया, जबकि सांस्कृतिक कार्यक्रमों और उत्सवों ने क्रमशः लगभग 49,200 और 16,700 आगंतुकों को आकर्षित किया। ये आंकड़े उत्तर प्रदेश में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन की बढ़ती प्रमुखता को दर्शाते हैं, जिसमें श्रावण उत्सव एक प्रमुख प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य कर रहा है।

क्या कहा मंत्री ने?

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, "श्रावण 2025 उत्तर प्रदेश के धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हो गया है। रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्रियों की उपस्थिति ने इस बात की पुष्टि की है कि उत्तर प्रदेश भारत का अग्रणी धार्मिक पर्यटन केंद्र है। हमने यह सुनिश्चित किया कि प्रत्येक श्रद्धालु को निर्बाध, सुरक्षित और संपूर्ण अनुभव मिले, साथ ही तीर्थ स्थलों पर बुनियादी ढाँचे को भी मज़बूत किया गया है।"

पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा, "श्रावण 2025 की असाधारण भीड़ हमारी धार्मिक पर्यटन रणनीति की सफलता का जीता-जागता प्रमाण है। मंदिर प्रबंधन से लेकर परिवहन, सुरक्षा और सुविधाओं तक, हर तीर्थयात्री को सुरक्षित, निर्बाध और अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव तैयारी की गई।"

हज़ारों मौसमी नौकरियां हुई पैदा

इस उत्सव के कारण प्रसाद विक्रेताओं, अस्थायी स्टॉलों, भोजनालयों, परिवहन सेवाओं और आवासों की माँग में भी वृद्धि हुई, जिससे हज़ारों मौसमी नौकरियाँ पैदा हुईं। ग्रामीण और शहरी दोनों समुदायों को लाभ हुआ, क्योंकि तीर्थयात्री न केवल उत्तर प्रदेश भर से, बल्कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड और विदेशों से भी आए।

अब सावन के समापन के साथ, उत्तर प्रदेश ने एक बार फिर यह प्रदर्शित किया है कि कैसे आध्यात्मिक विरासत, मज़बूत बुनियादी ढाँचा और रणनीतिक योजना एक धार्मिक उत्सव को आर्थिक विकास के एक शक्तिशाली इंजन में बदल सकती है।

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