Mahanavami 2025: भारत के पांच प्रमुख मंदिर जहाँ महानवमी के दिन उत्सव होता है अपने चरम पर
Mahanavami 2025: सबसे प्रसिद्ध हिंदू त्योहारों में से एक नवरात्रि, महानवमी पर समाप्त होती है, जो माँ सिद्धिदात्री को समर्पित नौवाँ दिन है। यह ज्ञान, समृद्धि और सिद्धि प्रदान करने वाली सर्वोच्च देवी हैं। इस वर्ष महानवमी (Mahanavami 2025) बुधवार, 1 अक्टूबर को मनाई जाएगी, जो भक्ति, उपवास और पूजा के नौ दिनों के समापन का प्रतीक है।
नवरात्रि पूरे भारत में समान उत्साह के साथ मनाई जाती है, लेकिन कुछ मंदिर अपनी भव्यता, परंपराओं और इस दिन होने वाली विशाल भीड़ के लिए विशिष्ट हैं। इस लेख में भारत भर के पाँच प्रमुख मंदिरों के बारे में बताया गया है जहाँ (Mahanavami 2025) महानवमी उत्सव अपने चरम पर होता है, जो भक्ति, अनुष्ठानों और सांस्कृतिक विरासत का मिश्रण प्रस्तुत करते हैं।
वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू और कश्मीर
त्रिकूट पहाड़ियों में स्थित, वैष्णो देवी मंदिर देवी दुर्गा के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है, जो हर साल लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। महानवमी पर, मंदिर में अद्वितीय भक्ति का दर्शन होता है। माँ दुर्गा के लिए विशेष प्रार्थनाएँ और आरती आयोजित की जाती हैं, और गुफा मंदिर हज़ारों दीयों और फूलों से जगमगा उठता है। पूरा क्षेत्र भक्ति मंत्रों से गूंज उठता है, और भक्तों का मानना है कि नवरात्रि के दौरान मंदिर में दर्शन करने से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
कामाख्या मंदिर, असम
गुवाहाटी में स्थित, कामाख्या मंदिर भारत के सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक है। देवी कामाख्या को समर्पित, यह नवरात्रि के दौरान एक विशेष स्थान रखता है। महानवमी पर, मंदिर में विस्तृत अनुष्ठान, यज्ञ और तांत्रिक पूजा पद्धतियाँ आयोजित की जाती हैं जो तीर्थयात्रियों और आध्यात्मिक साधकों दोनों को आकर्षित करती हैं। यहां का मुख्य आकर्षण मंदिर की रहस्यमयी ऊर्जा, पारंपरिक असमिया संगीत और नृत्य प्रदर्शन के साथ मिलकर यहां के महानवमी उत्सव को सचमुच अद्वितीय बनाती है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, पश्चिम बंगाल
कोलकाता के निकट स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर, जो देवी काली को समर्पित है, दुर्गा पूजा के सबसे प्रमुख केंद्रों में से एक है। नवरात्रि के दौरान, विशेष रूप से महानवमी के दिन, यह मंदिर भव्य दुर्गा पूजा उत्सवों से जीवंत हो उठता है। भक्तगण आरती, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए मंदिर में उमड़ पड़ते हैं, जो बंगाल की दुर्गा पूजा की समृद्ध परंपरा को दर्शाते हैं। मंदिर में माँ दुर्गा की सुंदर रूप से सुसज्जित मूर्तियाँ और महानवमी पर शाम की आरती एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती हैं।
विंध्याचल मंदिर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित, विंध्यवासिनी देवी मंदिर एक और अत्यंत पूजनीय शक्तिपीठ है, जहाँ माँ दुर्गा की विंध्यवासिनी देवी के रूप में पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान, लाखों भक्त इस मंदिर में आते हैं, और महानवमी पर, उत्सव अपने चरम पर होता है। मंदिर और उसके आसपास का क्षेत्र जगमगा उठता है और भक्त त्रिकोण परिक्रमा करते हैं, विंध्यवासिनी देवी, काली खोह और अष्टभुजा मंदिरों के दर्शन करते हैं। यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा, पारंपरिक अनुष्ठान और जीवंत स्थानीय मेले महानवमी को एक आत्मिक अनुभव बना देती है।
चामुंडेश्वरी मंदिर, मैसूर, कर्नाटक
चामुंडी पहाड़ियों की चोटी पर स्थित, मैसूर का चामुंडेश्वरी मंदिर देवी चामुंडेश्वरी को समर्पित है, जो माँ दुर्गा का एक अन्य रूप हैं जिन्होंने राक्षस महिषासुर का वध किया था। महानवमी के दिन, मंदिर में भव्य अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम और विशेष आरती होती है। यह दिन विश्व प्रसिद्ध मैसूर दशहरा उत्सव के साथ भी मेल खाता है, जिससे यह मंदिर भक्ति और उत्सव का केंद्र बन जाता है। आध्यात्मिक अनुष्ठानों और भव्य दशहरा जुलूस का संयोजन यहाँ महानवमी को भारत के सबसे शानदार उत्सवों में से एक बनाता है।
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