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Katarniya Ghat: रोमांचक ट्रिप के लिए बेस्ट है कतर्नियाघाट, यहां दिखेंगे डोल्फिन से लेकर बंगाल टाइगर तक

अगर आप किसी ऐसे पर्यटन स्थल की तलाश में हैं जो वन्यजीवों के रोमांच और प्राकृतिक शांति दोनों का अनुभव प्रदान करे
06:16 PM Jul 24, 2025 IST | Preeti Mishra
अगर आप किसी ऐसे पर्यटन स्थल की तलाश में हैं जो वन्यजीवों के रोमांच और प्राकृतिक शांति दोनों का अनुभव प्रदान करे

Katarniya Ghat: अगर आप किसी ऐसे पर्यटन स्थल की तलाश में हैं जो वन्यजीवों के रोमांच और प्राकृतिक शांति दोनों का अनुभव प्रदान करे, तो कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य एक परफेक्ट ऑप्शन है। उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में स्थित, यह कम जाना-पहचाना अभयारण्य दुधवा टाइगर रिज़र्व का हिस्सा है और बंगाल टाइगर, गंगा डॉल्फ़िन, घड़ियाल, हाथी, तेंदुआ और पक्षियों व सरीसृपों की अनगिनत प्रजातियों का घर है। अपने हरे-भरे जंगलों, नदी-तटीय पारिस्थितिकी तंत्र और समृद्ध जैव विविधता के साथ, कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रेमियों, फ़ोटोग्राफ़रों और पर्यावरण-यात्रियों के लिए एक स्वर्ग है।

कहां है कतर्नियाघाट ?

कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले में, भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित है। यह 400 वर्ग किलोमीटर में फैला है और घाघरा की एक सहायक नदी, गिरवा नदी के तट पर स्थित है। यह विशाल दुधवा टाइगर रिज़र्व का एक हिस्सा है, जिसमें किशनपुर और दुधवा अभयारण्य भी शामिल हैं।

कतर्नियाघाट को क्या खास बनाता है?

बंगाल टाइगर के दर्शन: कतर्नियाघाट उत्तर भारत के उन गिने-चुने अभयारण्यों में से एक है जहाँ आपको जंगल में बंगाल टाइगर देखने का अच्छा-खासा मौका मिलता है। घने साल के जंगल और घास के मैदान उनके प्राकृतिक आवास हैं।

गंगा डॉल्फ़िन का घर: इस अभयारण्य से होकर बहने वाली गिरवा नदी, भारत के राष्ट्रीय जलीय जीव, लुप्तप्राय गंगा डॉल्फ़िन का घर है। नाव सफ़ारी उन्हें पानी में उछलते हुए देखने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करती है।

घड़ियाल और मगरमच्छ: कतरनियाघाट में घड़ियालों की भी अच्छी-खासी आबादी है, जो मगरमच्छों की एक गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति है। आप नदी के किनारे धूप सेंकते हुए मगर मगरमच्छों को भी देख सकते हैं।

विदेशी पक्षी अवलोकन: यह अभयारण्य पक्षी प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है। यहाँ 500 से ज़्यादा पक्षियों की प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं, जिनमें हॉर्नबिल, किंगफ़िशर, पेंटेड स्टॉर्क, फ़िश ईगल और पैराडाइज़ फ्लाईकैचर शामिल हैं।

दुर्लभ सरीसृप और उभयचर: मॉनीटर छिपकलियों से लेकर भारतीय रॉक पाइथन और दुर्लभ मेंढकों तक, कतर्नियाघाट अद्वितीय और दुर्लभ सरीसृप जीवों का घर है, जो इसे शोधकर्ताओं और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक आनंदमय स्थान बनाता है।

कतर्नियाघाट घूमने का सबसे अच्छा समय

यह अभयारण्य नवंबर से जून तक खुला रहता है। घूमने के लिए सबसे अच्छे महीने फरवरी से मई हैं, जब वन्यजीवों के दर्शन सबसे आम होते हैं और मौसम सुहावना होता है। मानसून के मौसम (जुलाई से अक्टूबर) से बचें क्योंकि भारी बारिश और प्रजनन काल के कारण अभयारण्य बंद रहता है।

कतर्नियाघाट कैसे पहुँचें

सड़क मार्ग

कतर्नियाघाट उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
लखनऊ से: लगभग 210 किमी, बहराइच होते हुए कार द्वारा 5-6 घंटे।
बहराइच से अभयारण्य लगभग 90 किमी।
बहराइच से नियमित बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग

निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन बहराइच रेलवे स्टेशन है, जो लखनऊ, गोंडा और गोरखपुर से जुड़ा हुआ है।

हवाई मार्ग

निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 225 किमी दूर है। वहां से आप टैक्सी या ट्रेन लेकर बहराइच जा सकते हैं और फिर अभयारण्य तक जा सकते हैं।

कतर्नियाघाट के पास ठहरने के ऑप्शन

यद्यपि अभयारण्य के भीतर या उसके आस-पास कुछ वन विश्राम गृह और इको-टूरिज्म लॉज हैं, आप बहराइच शहर में भी ठहर सकते हैं, जहाँ कई बजट होटल और गेस्टहाउस उपलब्ध हैं।

आगंतुकों के लिए टिप्स

सफारी के दौरान हमेशा एक गाइड या वन रक्षक साथ रखें।
पक्षी दर्शन और फोटोग्राफी के लिए दूरबीन और कैमरा साथ रखें।
वन्यजीवों को बेहतर ढंग से देखने के लिए हल्के रंग के कपड़े पहनें।
जंगल में जानवरों को खाना खिलाने या कूड़ा फैलाने से बचें।
सफारी और ठहरने के विकल्प पहले से बुक कर लें, खासकर व्यस्त मौसम में।

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