Diabetes Temple of India: 1300 साल पुराना यह मंदिर दिलाता है डायबिटीज से छुटकारा
Diabetes Temple of India: तमिलनाडु के तिरुवरूर ज़िले में कोइलवेन्नी के गन्ने के मैदानों में भीड़भाड़ से दूर एक 1,300 साल पुराना मंदिर है जो ‘डायबिटीज़ मंदिर’ के नाम से मशहूर है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर में पूजा करने से डायबिटीज (Diabetes Temple of India) जैसे रोग से छुटकारा मिल जाता है।
भगवान शिव का है यह मंदिर
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ उनकी पूजा करुम्बेश्वर के रूप में की जाती है, जिसका मतलब है ‘गन्ने के भगवान’। यह एक आम धारणा है कि जो लोग शुगर से जुड़ी हेल्थ प्रॉब्लम (Diabetes Temple of India) से परेशान हैं, उन्हें यहाँ आने से इस प्रॉब्लम से राहत मिल सकती है। सोशल मीडिया पर कई टेस्टिमोनियल और वीडियो हैं कि कैसे मंदिर जाने से उन्हें मदद मिली।
यहाँ है शिवलिंग का एक खास रूप
जो चीज़ इस मंदिर को खास बनाती है, वह है इसका शिवलिंग का खास रूप। लोकल लोग इसे करुम्बेश्वर लिंग कहते हैं, जो गन्ने (तमिल में करुम्बु) से जुड़ा है। खेती से जुड़े होने की वजह से मंदिर की पहचान बनी और भक्त रवा (सूजी) जैसा मीठा प्रसाद चढ़ाने लगे। इसे गुड़ या चीनी के साथ मिलाया जाता था, और शिव अभिषेक गन्ने के रस से शुरू होता था।
यहां का अनोखा रिवाज
यहां एक रिवाज है चींटियों और छोटे कीड़ों में प्रसाद बांटना। यदि कीड़े और चींटियां प्रसाद खा लेते हैं इसका मतलब है कि बीमारी (डायबिटीज़) की गंभीरता कम हो रही है। भक्तों के ऐसे अनुभव हैं जिन्होंने कहा कि खास पूजा या बार-बार आने के बाद उनके ब्लड शुगर लेवल में सुधार हुआ।
सोशल मीडिया और इन्फ्लुएंसर की भूमिका
यह एक ऐसा मंदिर है जिसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते। इन्फ्लुएंसर के आने और वेन्नी करुम्बेश्वरर के सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद ही लोगों को इसके बारे में पता चला। इसलिए इस हज़ार साल से भी पुराने मंदिर को सोशल मीडिया का नया आविष्कार कहना गलत नहीं होगा। यह मंदिर पाडल पेट्रा स्थलम में से एक है — शुरुआती तमिल शैव भजनों (तेवरम) में मनाए जाने वाले 275 मंदिर। इसलिए तमिलनाडु के मंदिर सर्किट में इसकी एक खास जगह है।
भक्त क्या करते हैं?
मंदिर आने वाले भक्त यहां गुड़ या चीनी मिले रवा का प्रसाद लेकर आते हैं। वे डायबिटीज़ दूर करने वाली खास पूजा में भी हिस्सा लेते हैं। स्थानीय पुजारियों की परंपराओं में कुछ मीठे लिक्विड या गन्ने के रस से अभिषेक भी शामिल है। मीडिया रिपोर्ट्स और कुछ छोटी कम्युनिटी स्टडीज़ में मंदिर के रीति-रिवाजों के बाद दवा कम होने या रीडिंग बेहतर होने के मामले सामने आए हैं। हालांकि, ज़िम्मेदार रिपोर्टिंग और हेल्थ कमेंटेटर्स का कहना है कि डायबिटीज़ मैनेजमेंट के लिए मेडिकल केयर ज़रूरी है। इसके लिए स्ट्रिक्ट डाइट, एक्सरसाइज़ और अच्छी मॉनिटरिंग की ज़रूरत होती है। डॉक्टर की लिखी दवा ज़रूरी है। मंदिर में लोकल त्योहार बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। शैव रीति-रिवाज और लोकल थेप्पम (फ्लोट) और सालाना त्योहार लोगों को अट्रैक्ट करते हैं।
वेन्नी करुम्बेश्वर मंदिर कैसे पहुँचें
वेन्नी करुम्बेश्वर मंदिर तमिलनाडु में मन्नारगुडी से 14 km और तिरुवरूर से 28 km दूर है। तंजावुर सबसे पास का बड़ा शहर है जो लगभग 55 km दूर है।
सड़क से: मन्नारगुडी, तिरुवरूर, तंजावुर, कुंभकोणम और नागपट्टिनम से रेगुलर सरकारी बसें और प्राइवेट मिनी बसें चलती हैं। चेन्नई या बेंगलुरु से गाड़ी से आने वाले विज़िटर आमतौर पर तंजावुर → मन्नारगुडी → कोइलवेन्नी होते हुए पहुँचते हैं।
ट्रेन से: सबसे पास का रेलवे स्टेशन मन्नारगुडी रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 15 km दूर है। तिरुवरूर जंक्शन एक और ऑप्शन है।
हवाई जहाज़ से: सबसे पास का एयरपोर्ट तिरुचिरापल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो लगभग 100 km दूर है। वहाँ से, टैक्सी और बसें मन्नारगुडी और कोइलवेन्नी से जुड़ती हैं। लोकल ऑटो और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं।
यह भी पढ़ें: Gujarat ka Gayab Mandir: भगवान शिव का वो मंदिर जो दिन में दो बार हो जाता है गायब, जानें क्यों
.
