26/11 का गुनहगार अजमल कसाब, आज ही फांसी का फरमान, पाकिस्तान में मची थी खलबली!
Pahalgam Terror Attack:जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों की तलाश में सुरक्षा एजेंसियां जुटी हुई हैं। ऐसा ही हमला 2008 में मुंबई में हुआ था, जिसे 26/11 आतंकी हमला कहा जाता है। इस हमले के एक आतंकी अजमल कसाब को सुरक्षा बलों ने जिंदा पकड़ा था। (Pahalgam Terror Attack) आतंकी कसाब को आज के ही दिन यानी 6 मई 2010 को विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। यह सजा न केवल भारत की न्याय व्यवस्था की ताकत का प्रतीक थी, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ देश के कड़े रुख का भी संदेश थी।
मुंबई हमले...आतंक का वो काला दिन
26 नवंबर 2008 की रात, भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई उस समय दहल उठी जब पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने समुद्र के रास्ते शहर में प्रवेश किया। ये आतंकी कराची से नाव के जरिए मुंबई पहुंचे थे। इनमें अजमल कसाब भी शामिल था, जो इस हमले का मुख्य चेहरा बनकर उभरा। आतंकियों ने मुंबई के कई महत्वपूर्ण स्थानों को निशाना बनाया, जिनमें छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी), ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, नरीमन हाउस और लियोपोल्ड कैफे शामिल थे।
समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे थे आतंकी
26 नवंबर 2008 वह दिन था जब भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई आतंकवादियों के हमले से दहल गई थी। पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे थे। इस हमले में अजमल कसाब भी शामिल था, जिसने एक ओर आतंकवादी के साथ मिलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) पर अंधाधुंध गोलीबारी की।
कसाब की गिरफ्तारी....शुरुआती पूछताछ
अजमल कसाब को गिरफ्तार करने के दौरान मुंबई पुलिस के जवान तुकाराम ओंबले शहीद हो गए, जिन्होंने निहत्थे होकर भी कसाब को पकड़ने की कोशिश की। गिरफ्तारी के बाद, कसाब से पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। उसने बताया कि वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फरीदकोट गांव का रहने वाला है और लश्कर-ए-तैयबा ने उसे आतंकी ट्रेनिंग दी थी। कसाब ने अपने अपराध को कबूल किया, लेकिन बाद में अपने बयान से मुकर गया। उसने दावा किया कि उसे जबरदस्ती फंसाया गया।
चार्जशीट में लगाए गए थे 86 आरोप
2009 में 11,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की गई, जिसमें कसाब के खिलाफ हत्या, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और आतंकवाद जैसे 86 आरोप लगाए गए। मई 2010 में उसे दोषी ठहराया गया और 6 मई 2010 को विशेष अदालत ने कसाब को फांसी की सजा सुनाई।
21 नवंबर 2012 को दी गई फांसी
कसाब ने सजा के खिलाफ अपील की, लेकिन 2011 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2012 में उसकी फांसी की सजा पर यह कहते हुए मुहई लगाई कि कसाब ने कभी भी अपनी गलती पर पश्चाताप नहीं दिखाया और वह खुद को पाकिस्तानी देशभक्त मानता था। अजमल कसाब ने दया याचिका दायर की, लेकिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के समक्ष यह याचिका खारिज कर दी गई। आखिरकार 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवदा जेल में उसे फांसी दी गई। इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन एक्स' नाम दिया गया, जो पूरी तरह गोपनीय था।
कसाब का शव....पाक का रवैया
फांसी के बाद, कसाब के शव को पाकिस्तान को सौंपने की पेशकश की गई, लेकिन पाकिस्तान ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इसके बाद, कसाब का शव यरवदा जेल परिसर में ही दफना दिया गया। पाकिस्तान ने शुरू में कसाब को अपना नागरिक मानने से भी इनकार किया था, लेकिन भारत द्वारा सबूत पेश करने के बाद उसे स्वीकार करना पड़ा।
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