" एक कदम पीछे पाकिस्तान..." वो गांव जो तीन तरफ से दुश्मन से घिरा...पर यहां के बाशिंदे इतने खुश क्यों?
Operation Sindoor : पंजाब एवं हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में बीती रात को बड़ी आतंकी हमले की कोशिश नाकाम की गई है.चंडीगढ़ के सेक्टर-39 में दाना मंडी के पास दो संदिग्धों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है. इनके पास से हथियार और विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है. पुलिस ने दो आरोपियों से एक ब्लैक कलर का बैग बरामद किया है और इसमें विस्फोटक रखा गया था। जानकारी के मुताबिक, यह दोनों आतंकी हैप्पी पसिया के गुर्गे बताई जा रहे हैं, (Operation Sindoor )जो की एक बड़ी वारदात को अंजाम देने और कोई ब्लास्ट करने की फिराक में आए थे. अब इन्होंने चंडीगढ़ में हमला करना था या पंजाब में, इसको लेकर पुलिस जांच में जुड़ गई है. पूछताछ में अभी तक यह सामने आया है कि मास्टरमाइंड का सिर्फ दोनों को आदेश आना था और इसके बाद ही दोनों को हमला करना था.
युद्ध जैसे हालात में भी दाओके में नो टेंशन
पीछे कांटेदार तार की बाड़ है, मतलब पैर पीछे रखते ही पाकिस्तान, लेकिन इसके बाद भी दाओके गांव के लोगों में जरा भी खौफ नहीं है। हालांकि गांव के लोग सतर्क जरूर हैं... जहां पूरा देश पाक-पाक अटैक से डर के साये में है। इस बीच गांव के लोग पेड़ की छांव के नीचे बैठकर स्थानीय मुद्दों को डिस्कस करते है.
पाकिस्तान से सटा है पंजाब के दाओके गांव
दाओके गांव दुश्मन के लिहाज से कितना संवेदनशील है इस बात का अंदाजा ऐसे लगा लीजिए कि गांव के एक किसान ने कहा कि अगर पाक ने दाओके को जोड़ने वाली इकलौती सड़क अगर उड़ा दे तो उनका संपर्क पूरे भारत से कट जाएंगा. ये लोग गांव में ही फंस कर रह जाएंगे. इसके बाद भी इन लोगों के मन में यहां से भागने का जरा भी ख्याल नहीं आ रहा. क्यों कि ये उनका घर है और उनको भारतीय सेना पर पूरा भरोसा भी है.
खेतों में सेना के टैंक घूमते थे...
गांव के ही एक अन्य बुजुर्ग का कहना है कि ये हालात उनके लिए नए नहीं हैं. उन्होंने 1965, 1971 और ऑपरेशन पराक्रम के समय पर भी ऐसे हालात देखे हैं. उस समय मंजर को बयां करते हुए उन्होंने कहा कि हर जगह सेना ही सेना थी. आते-जाते वे लोग यद्ध को महसस करते थे. खेतों में सेना के टैंक घूमते थे और आसमान में हर तरफ फाइटर जेट ही नजर आते थे. अब तो सेना के पास मॉर्डन तकनीक के हथियारों का जरीखा है.
इसीलिए ये भरोसा भी है कि सेना दुश्मन को धूल चटा कर ही रहेगी. उस समय तो वे सब डरे हुए थे. उनके पास गांव छोड़ना ही एकमात्र विकल्प बचा था. हालांकि आज समय वैसा नहीं रहा. लेकिन उनका लाइफस्टाइल आज भी वसा ही है. वे लोग आज भी पहले की तरह पाकिस्तान के बिल्कुल बगल में अपने खेतों में काम कर रहे हैं. यहां सेना की मौजूदगी न के बराबर है.
बच्चों को अपने रिश्तेदारों के यहां सुरक्षित..
पाकिस्तान से सटे दओके गांव की आबादी 2,200 लोगों की है. पाकिस्तान के साथ इनकी सीमा 9 किलोमीटर की है. मौजूदा हालात से गांव के बहुत से लोग इस कदर परेशान हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को अपने रिश्तेदारों के यहां सुरक्षित जगहों पर भेज दिया है. हालांकि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया अपने बच्चे तो सभी को प्यारे होते हैं. इसीलिए सावधानी बरतना तो बनता है
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