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Singapore: अमेरिका-कनाड़ा नहीं इंडियन स्टूडेंट्स को सिंगापुर पसंद...कमाई भी बढ़ी !

भारतीय स्टूडेंट्स को अमेरिका, कनाडा की जगह सिंगापुर ज्यादा पसंद आ रहा है। भारतीय यहां पढ़ाई के साथ कमाई भी कर रहे।
04:45 PM Apr 20, 2025 IST | Vivek Chaturvedi
भारतीय स्टूडेंट्स को अमेरिका, कनाडा की जगह सिंगापुर ज्यादा पसंद आ रहा है। भारतीय यहां पढ़ाई के साथ कमाई भी कर रहे।

Indian Students Singapore: भारतीय स्टूडेंट्स को अब अमेरिका- कनाडा की जगह सिंगापुर ज्यादा पसंद आ रहा है। सिंगापुर में भारतीय छात्र- छात्राओं की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। (Indian Students Singapore) खास बात यह है कि कमाई के मामले में भी भारतीय छात्र काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। सिंगापुर के गृह मंत्री ने खुद इस बात की जानकारी शेयर की। जो भारत के लिए किसी खुशखबर से कम नहीं है।

इंडियन स्टूडेंट्स को सिंगापुर पसंद

अमेरिका और कनाड़ा से अब भारतीय स्टूडेंट्स का पहले जैसा लगाव नहीं रहा। अब भारतीय स्टूडेंट्स को सिंगापुर काफी रास आ रहा है। सिंगापुर में भारतीय छात्रों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। खास बात यह है कि सिंगापुर में भारतीय छात्र-छात्राएं सिर्फ पढ़ाई ही नहीं कर रहे। भारतीय स्टूडेंट्स यहां अच्छी आमदनी भी हासिल कर रहे हैं। हाल ही सिंगापुर के होम मिनिस्टर की ओर से एक मीडिया रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया।

पढ़ाई के साथ कमाई भी कर रहे

सिंगापुर में भारतीय स्टूडेंट्स की प्रगति की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2020 में यहां 25 साल और इससे ज्यादा उम्र के 41 प्रतिशत युवाओं के पास डिग्री थी। साल 2000 में यह आंकड़ा महज 16.4 प्रतिशत ही था। ऐसे में आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि भारतीय स्टूडेंट्स काफी तेजी से प्रगति कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन आंकड़ों से पता चलता है कि सिंगापुर में प्रति 10 स्टूडेंट्स में से 4 भारतीय ग्रेजुएट हैं। जो सिंगापुर में अच्छी कमाई भी कर रहे हैं। पिछले 10 सालों में सिंगापुर में भारतीय परिवारों की आय में 40 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।

क्यों इंडियन को रास आ रहा सिंगापुर?

भारतीय स्टूडेंट्स के सिंगापुर के प्रति बढ़ते रुझान के कई कारण हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें सबसे अहम कारण सिंडा जैसे स्वयं सहायता समूह हैं। जिनके प्रयासों से भारतीय समुदाय की प्रगति में सुधार देखने को मिल रहा है। इसके अलावा आव्रजन सहित अन्य कारण भी मायने रखते हैं। इसी तरह स्कूल ड्रॉप आउट को लेकर भी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2000 में 38 प्रतिशत भारतीय स्टूडेंट्स ने सैकण्डरी से पहले ही स्कूल छोड़ दिया। जबकि 2020 में यह आंकड़ा 18 फीसदी ही है, जो बताता है कि स्कूल ड्रॉप आउट में भी कमी आई है।

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