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कैसा है वॉशरूम, कौनसा आटे की खाते हैं रोटी...जनगणना में बताना होगा सबकुछ, सरकार पूछेगी हर सवाल 

 India Census 2027: देश में अगले साल जातीय जनगणना की शुरूआत केंद्र सरकार करने जा रह है जहां यह जनगणना देशभर में दो फेज में कराई जाएगी. सरकार ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि पहाड़ी राज्यों जैसे लद्दाख, जम्मू कश्मीर,...
01:10 PM Jun 05, 2025 IST | Avdesh
 India Census 2027: देश में अगले साल जातीय जनगणना की शुरूआत केंद्र सरकार करने जा रह है जहां यह जनगणना देशभर में दो फेज में कराई जाएगी. सरकार ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि पहाड़ी राज्यों जैसे लद्दाख, जम्मू कश्मीर,...

 India Census 2027: देश में अगले साल जातीय जनगणना की शुरूआत केंद्र सरकार करने जा रह है जहां यह जनगणना देशभर में दो फेज में कराई जाएगी. सरकार ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि पहाड़ी राज्यों जैसे लद्दाख, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 1 अक्टूबर 2026 से जनगणना शुरू होगी.गृह मंत्रालय ने जानकारी दी कि जनगणना 2027 की प्रक्रिया 16 जून 2025 से आधिकारिक रूप से शुरू हो जाएगी और इसे 1 मार्च 2027 तक पूरा कर लिया जाएगा. वहीं सरकार 16 जून 2025 को जनगणना और जातीय जनगणना से संबंधित अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित करेगी और इसी दिन से देशभर में जनगणना की प्रक्रिया की आधिकारिक शुरुआत मानी जाएगी.

आपको बता दें कि केवल लोगों की संख्या गिनने की प्रक्रिया नहीं होती, बल्कि इससे सरकार को यह समझने में मदद मिलती है कि आम जनता किन परिस्थितियों में रह रही है, किन चीजों की उन्हें ज़रूरत है, और किन क्षेत्रों में सुधार किया जाना चाहिए.

इससे पहले भारत में पिछली बार जनगणना 2011 में हुई थी और 2021 में प्रस्तावित जनगणना कोविड महामारी के चलते स्थगित हो गई थी. अब केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि जल्द ही देश में अगली जनगणना की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. आइए जानते हैं कि जनगणना कैसे होती है और किन सवालों को आम जनता से पूछा जाता है.

कितने चरणों में होगी जनगणना?

जनगणना दो चरणों में होती है. हाउसिंग सेंसस और पॉपुलेशन सेंसस. पहले चरण यानी हाउसिंग सेंसस में घर से जुड़े सभी पहलुओं की जानकारी ली जाती है. इसमें केवल यह नहीं पूछा जाता कि घर में कितने लोग रहते हैं, बल्कि यह भी जाना जाता है कि घर की दीवारें मिट्टी से बनी हैं या ईंट-पत्थर से, फर्श कच्चा है या टाइल्स वाला और छत किस तरह की है. यहां तक कि यह भी रिकॉर्ड किया जाता है कि वॉशरूम की व्यवस्था कैसी है, क्या वह निजी है या सामुदायिक और शौचालय का वेस्ट कहां जाता है. सैप्टिक टैंक में, सीवर से जुड़ा है या कोई व्यवस्था नहीं है.

जनगणना केवल आबादी की गिनती तक सीमित नहीं है; यह सरकार को जनता की जीवनशैली, उनकी जरूरतें और सुधार के क्षेत्रों को समझने का एक महत्वपूर्ण साधन है। भारत में अंतिम जनगणना 2011 में हुई थी, और 2021 में प्रस्तावित जनगणना कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी। अब केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि जल्द ही अगली जनगणना शुरू की जाएगी। यह प्रक्रिया दो चरणों में होती है: हाउसिंग सेंसस और पॉपुलेशन सेंसस। आइए, जनगणना के विभिन्न पहलुओं और इससे जुड़े सवालों को विस्तार से समझें।

हाउसिंग सेंसस: घर की संरचना और सुविधाओं का लेखा-जोखा

हाउसिंग सेंसस में घर से संबंधित हर छोटी-बड़ी जानकारी एकत्र की जाती है। यह न केवल घर में रहने वाले लोगों की संख्या तक सीमित है, बल्कि घर की संरचना और सुविधाओं का भी गहन विश्लेषण किया जाता है।

दीवार, फर्श और छत की जानकारी

जनगणना में यह दर्ज किया जाता है कि घर की दीवारें मिट्टी, ईंट, पत्थर, लकड़ी या अन्य सामग्री से बनी हैं। फर्श के लिए मिट्टी, सीमेंट, टाइल्स, पत्थर या बांस जैसे विकल्पों को नोट किया जाता है। छत की सामग्री, जैसे कच्ची छत, टिन, कंक्रीट आदि, भी फॉर्म में शामिल होती है। इसके अलावा घर में शौचालय की उपलब्धता कैसी है ये भी पूछा जाता है।

वहीं परिवार की आय, घर का आकार, संपत्ति (जैसे वाहन), और घर में उपयोग होने वाली वस्तुओं की गुणवत्ता (महंगी या सस्ती) को भी जांचा जाता है।

खान-पान और रसोई की व्यवस्था

जनगणना में परिवार की खान-पान की आदतों पर भी नजर रखी जाती है। सरकारी कर्मचारी एक विस्तृत फॉर्म के माध्यम से निम्नलिखित जानकारियां एकत्र करते हैं जैसे परिवार में खपत होने वाले अनाज (गेहूं, ज्वार, बाजरा, रागी आदि) की जानकारी ली जाती है। साथ ही, खाना पकाने के लिए उपयोग होने वाले ईंधन का प्रकार, जैसे LPG, CNG, लकड़ी, गोबर के कंडे या चूल्हा, भी दर्ज किया जाता है।

वहीं आधुनिक युग में तकनीकी सुविधाओं का आकलन भी जनगणना का हिस्सा है जिसमें घर में वाई-फाई कनेक्शन की उपलब्धता और इससे जुड़े डिवाइसों की संख्या दर्ज की जाती है। इसके अलावा परिवार के पास मौजूद टीवी, डिश कनेक्शन, रेडियो, स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जानकारी ली जाती है।

व्यक्तिगत और सामाजिक जानकारी

वहीं जनगणना में प्रत्येक व्यक्ति से संबंधित विस्तृत जानकारी एकत्र की जाती है, जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पहलुओं को दर्शाती है जिसमें व्यक्ति का पूरा नाम, लिंग (पुरुष, महिला, अन्य), जन्म तिथि, माता-पिता का नाम, वैवाहिक स्थिति, स्थायी और अस्थायी पता, और परिवार के मुखिया से संबंध। इसके अलावा धर्म, जाति, जनजाति, संप्रदाय और यदि कोई दिव्यांगता हो तो उसका विवरण भी मांगा जाता है। वहीं व्यक्ति के पेशे और रोजगार से संबंधित जानकारी मांगी जाती है।

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