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15 अगस्त 1947 से जुड़ी ये ख़ास बातें बहुत ही कम लोग जानते हैं और आप..?

Independence Day 2025: 15 अगस्त 1947… तारीख तो सिर्फ एक है, पर इसमें समाई कहानी सदियों लंबी है। रात के बारह बजते ही जैसे आसमान में आज़ादी की घंटियां गूंज उठीं—कहीं मंदिरों की घंटियां, कहीं मस्जिदों की अज़ान, कहीं गुरुद्वारों...
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Independence Day 2025: 15 अगस्त 1947… तारीख तो सिर्फ एक है, पर इसमें समाई कहानी सदियों लंबी है। रात के बारह बजते ही जैसे आसमान में आज़ादी की घंटियां गूंज उठीं—कहीं मंदिरों की घंटियां, कहीं मस्जिदों की अज़ान, कहीं गुरुद्वारों में अरदास और कहीं चर्च में प्रार्थना। दिल्ली की सड़कों पर झंडों की बहार थी, गांव-कस्बों में लोग बिना नींद के, बस सुबह का इंतज़ार कर रहे थे—जब सूरज की पहली किरण ‘आज़ाद भारत’ पर पड़ेगी। अखबारों की सुर्खियां आग की तरह फैल रही थीं—"भारत स्वतंत्र हुआ!"

Independence Day 2025

ब्रिटिश राज को बदलना पड़ा अपना फैसला

भारत में हर साल 15 अगस्त को आजादी दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि पहले ब्रिटिश सरकार ने भारत को 30 जून 1948 तक स्वतंत्र करने की योजना बनाई थी। लेकिन बाद में ब्रिटिश राज को अपना फैसला बदलना पड़ा और देश को तय समय से पहले ही आजाद किया। इसके पीछे माना जाता हैं कि भारत में हालात बेहद तनावपूर्ण थे। ब्रिटेन के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन देश में सांप्रदायिक हिंसा के खतरे को देखते हुए अपना फैसला बदलना पड़ा।

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लॉर्ड माउंटबेटन ने क्यों चुनी 15 अगस्त की तारीख

क्या आप जानते हैं भारत को 15 अगस्त को आजादी मिली, यह सिर्फ एक संयोग ना होकर ब्रिटेन के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन का फैसला था। लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत को आजाद के लिए 15 अगस्त की तारीख चुनी थी। क्योंकि 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ था। इसी दिन जापान ने हार मानी थी। ऐसे में लॉर्ड माउंटबेटन भारत की आजादी को भी विशेष मनाते हुए 15 अगस्त की तारीख चुनी थी।

15 अगस्त को गांधीजी बंगाल में थे मौजूद

15 अगस्त हमारी एकता, संघर्ष और बलिदान की याद दिलाने वाला दिन है। भारत को आजादी दिलाने में कई महापुरुषों ने अपना योगदान दिया था। इसमें एक नाम जो सबसे पहले याद आता हैं वो गांधी जी का हैं। हालांकि 15 अगस्त को जब दिल्ली में आजादी की ख़ुशी मनाई जा रही थी तब गांधीजी बंगाल में मौजूद थे। क्योंकि उस दिन बंगाल में काफी दंगों का माहौल बना हुआ था। गांधी जी ने आजादी की ख़ुशी मनाने के बजाय बंगाल में दंगों को शांत कराने में लगे थे।

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