H-1B वीजा फीस बढ़ाने की अमेरिका ने बताई ये वजह, जानें क्या होता हैं H-1B वीजा?
H-1B Visa: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार दुनियाभर में अपने फैसलों को लेकर काफी चर्चा में बने हुए हैं। उनका टैरिफ विवाद अभी सुलझा ही नहीं हैं। अब ट्रंप ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए H-1B वीजा के लिए लगने वाली फीस में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी कर दी। जिस वीजा के लिए पहले करीब 6 लाख रुपये देने पड़ते थे, उसको अब नए नियमों के तहत बढ़ाकर 88 लाख रुपये कर दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले का काफी विरोध हो रहा हैं।
अमेरिका ने बताई ये वजह
व्हाइट हाउस की तरफ से जारी बयान के मुताबिक "मतदाताओं ने राष्ट्रपति ट्रंप को अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता देने के लिए जबरदस्त जनादेश दिया है। उन्होंने इसे पूरा करने के लिए दिन-रात काम किया है। पिछले कुछ सालों में कई कंपनियों ने अमेरिकी लोगों को नौकरी से निकाल दिया। व्हाइट हाउस ने बताया कि एक कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 में 5,189 H-1B वीजा कर्मचारियों को दिए और इसी साल 16,000 अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया।
सबसे ज्यादा भारतीय को मिले H-1B वीजा
हर साल लाखों भारतीय H-1B वीजा के लिए आवेदन करते हैं. पिछले कुछ सालों में H-1B वीजा में भारतीयों की हिस्सेदारी 70% के आसपास रही है। इसके बाद चीन और बाकी देशों का स्थान आता हैं। ऐसे में अमेरिका के इस फैसले का सबसे बड़ा असर भारतीय लोगों पर पड़ेगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को व्हाइट हाउस में इस ऑर्डर पर साइन किए। नए चार्ज 21 सिंतबर से लागू होंगे।
जानें क्या होता हैं H-1B वीजा?
एच-1बी एक अमेरिका का नॉन रेजिडेंशियल वीजा है। जो वहां मौजूद कंपनियों को टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, फाइनेंस और एजुकेशन जैसे खास सेक्टर्स में विदेशी कर्मचारियों को हायर करके नौकरी देते की परमिशन देता है। सभी बड़ी कंपनियों में ज्यादातर डेवलपर, इंजीनियर समेत अन्य कर्मचारी एच-1बी वीजा लेकर काम करते हैं और इनमें भारतीयों की संख्या अधिक है।
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