जातिगत जनगणना में मुस्लिमों की जाति भी शामिल, तीन महीने में शुरू होगी प्रक्रिया, रिपोर्ट कब आएगी?
मुस्लिमों में शामिल 36 जातियों को मिलता है आरक्षण का लाभ
सरकारी सूत्र ने कहा कि जातियों की गिनती महज बहुसंख्यक हिंदू समुदाय तक सीमित नहीं रहेगी। यह प्रक्रिया अन्य धर्मों के लिए भी अपनाई जाएगी। मुसलमानों में भी जातियां हैं, अगड़े, पिछड़े और दलित हैं। इसी आधार पर इनमें शामिल 36 जातियों को ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलता है। ऐसे में कोई यह नहीं कह सकता कि उसके यहां जाति नहीं है। दलित मानी जानी वाली जातियों को अरजाल कहा जाता है। पसमांदा जो पिछड़े मुसलमान में हैं, उनमें कुंजड़े, जुलाहे, धुनिया, कसाई, फकीर, मेहतर, धोबी, मनिहार, नाई जैसी कई जातियां हैं। इनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को जानने के लिए भी गणना जरूरी है।
कबसे शुरू होगा जनगणना का काम?
अगले दो से तीन महीनों में जनगणना का काम शुरू हो जाएगा।अधिकारियों की डेपुटेशन पर नियुक्ति की प्रक्रिया जल्दी ही प्रारंभ हो जाएगी। जनगणना का काम पंद्रह दिन में पूरा कर लिया जाएगा। इस बार डिजिटल तरीके से जनगणना होगी। सभी डीटेल्स को आधार से जोड़ा जाएगा। बायोमेट्रिक भी होगा, एआई का इस्तेमाल किया जाएगा।
हालांकि आंकड़ों के विश्लेषण में एक-दो साल का समय लग सकता है। सरकार का लक्ष्य 2029 का लोक सभा चुनाव महिला आरक्षण के साथ कराना है। अगले साल तक जनगणना का काम पूरा होने के बाद परिसीमन का काम शुरू होगा। इसके लिए आयोग बनेगा और रिपोर्ट बनाने के लिए राज्यों का दौरा करेगा। ओबीसी की संख्या बढ़ने पर सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की 27% सीमा बढ़ाने पर विचार हो सकता है। आरक्षण के भीतर आरक्षण सब कैटेगरी पर जस्टिस रोहिणी आयोग की रिपोर्ट पर अभी कोई ऐक्शन नहीं लिया गया है। जातीय जनगणना के बाद इस पर विचार किया जा सकेगा।
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