भाजपा में नए अध्यक्ष की कवायद तेज! इस दिन हो सकता है ऐलान...जानिए कहां फंसा है पेंच?
BJP National President: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में लगातार देरी हो रही है। अब मिली ताजा जानकारी के अनुसार, जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी पर फैसला जुलाई तक टल सकता है। जून का महीना आधा बीत चुका है, लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव अभी तक नहीं हो पाया है।
पार्टी के नियमों के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है, जब देश के कम से कम आधे राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष चुन लिए जाएं। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते इस दिशा में कवायद तेज हो जाएगी और लगभग 10 राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष चुन लिए जाएंगे और इसके तुरंत बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है। ऐसे में बताया जा रहा है कि भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले हो सकता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से अनौपचारिक बातचीत में ऐसे संकेत मिले हैं कि नए अध्यक्ष का चुनाव अब और आगे नहीं टाला नहीं जाएगा। मालूम हो कि बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 को खत्म हो चुका है और फिलहाल वह एक्सटेंशन पर हैं। वहीं, नड्डा वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं।
संघ की सहमति जरूरी!
भाजपा नेतृत्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ विचार-विमर्श के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन करना चाहता है। आरएसएस की प्राथमिकता है कि अध्यक्ष पद पर ऐसा नेता हो, जिसका वैचारिक आधार मजबूत हो और जो संघ या भाजपा की पृष्ठभूमि से हो। पार्टी और संघ बाहरी नेताओं को संगठन की कमान सौंपने से बचते हैं।
क्योंकि वे चाहते हैं कि संगठन का नेतृत्व वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध व्यक्ति के हाथ में रहे। इसीलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शामिल ज्यादातर नाम—जैसे शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव, सुनील बंसल, मनोहर लाल खट्टर और दक्षिण भारत से जी. किशन रेड्डी—या तो संघ से जुड़े रहे हैं या खांटी भाजपाई हैं।
नए अध्यक्ष के नेतृत्व में होगा बिहार चुनाव!
वहीं यह भी तय माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव, जो अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने हैं, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हालांकि, भाजपा में पहले कभी अध्यक्ष के चुनाव में इतनी देरी नहीं हुई। इस बार लोकसभा चुनाव और फिर महाराष्ट्र व हरियाणा जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों के कारण प्रक्रिया में देरी हुई। पहले भी, 2014-15 में अमित शाह और 2020 में जेपी नड्डा के चयन में ज्यादा लंबी प्रक्रिया नहीं चली थी।
प्रदेश अध्यक्षों का चयन क्यों जटिल?
बता दें कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में अध्यक्ष चुनना भाजपा के लिए आसान नहीं है। खासकर उत्तर प्रदेश में, जहां ओबीसी वोटों को आकर्षित करने की रणनीति के तहत पार्टी किसी पिछड़े वर्ग के नेता को संगठन की कमान सौंप सकती है, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजपूत हैं। वहीं, मध्य प्रदेश में, जहां मुख्यमंत्री मोहन यादव पिछड़े वर्ग से हैं, संगठन की जिम्मेदारी किसी सवर्ण नेता को मिल सकती है।
आरएसएस की सलाह और संगठनात्मक रणनीति
आरएसएस का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा के लिए एक चेतावनी की तरह हैं, और पार्टी को संगठन को और मजबूत करना चाहिए। जेपी नड्डा का कार्यकाल 2023 में समाप्त हो चुका है, लेकिन विस्तार के आधार पर वह अभी तक पद पर हैं। अब पार्टी प्रदेश अध्यक्षों के चयन के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष पर फैसला लेगी, जिसमें आरएसएस की सलाह महत्वपूर्ण होगी।
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