Wednesday, June 11, 2025
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आसाराम को मिली सजा, हाईकोर्ट में जस्टिस भट्ट ने कहा...हम आंखें बंद नहीं कर सकते, जानें पूरा मामला

गुजरात हाईकोर्ट में शुक्रवार को आसाराम बापू की अस्थायी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संदीप भट्ट ने एक सख्त टिप्पणी की।उन्होंने स्पष्ट किया कि अदालत...
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Asaram Bapu: गुजरात हाईकोर्ट में शुक्रवार को आसाराम बापू की अस्थायी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संदीप भट्ट ने एक सख्त टिप्पणी की। उन्होंने स्पष्ट किया कि अदालत इस तथ्य से आंखें नहीं मूंद सकती कि आसाराम भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत दोषी करार दिए जा चुके हैं और उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं।

यह फैसला तब आया जब आसाराम की ओर से यह दलील दी गई कि उनकी उम्र 86 वर्ष हो चुकी है और स्वास्थ्य कारणों के चलते उन्हें अस्थायी जमानत दी जानी चाहिए। ( Asaram Bapu )हालांकि, न्यायमूर्ति भट्ट ने इस पर असहमति जताते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आसाराम केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, बिना इसे उचित रूप से उपयोग किए।

अदालत में इस टिप्पणी के बाद एक बार फिर आसाराम के मामले को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। क्या उन्हें राहत मिलेगी या फिर कानूनी दायरे में उनकी मुश्किलें और बढ़ेंगी? आइए जानते हैं पूरा मामला..

एक जज ने दी जमानत, दूसरे ने किया खारिज

शुक्रवार (28 मार्च) को गुजरात हाईकोर्ट की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई, जहां न्यायमूर्ति इलेश जे. वोरा और न्यायमूर्ति संदीप एन. भट्ट ने अलग-अलग राय दी। न्यायमूर्ति वोरा ने आसाराम को तीन महीने की अस्थायी जमानत देने के पक्ष में फैसला सुनाया, जबकि न्यायमूर्ति भट्ट ने इसे खारिज कर दिया।

"तथ्यों से मुंह नहीं मोड़ सकते"

न्यायमूर्ति संदीप भट्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी को आसाराम को 31 मार्च तक की अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन इस दौरान उन्होंने केवल कुछ डॉक्टरों से संपर्क किया और किसी भी डॉक्टर का फॉलो...अप नहीं लिया।

उन्होंने कहा, "हम इस तथ्य से आंखें नहीं मूंद सकते कि आसाराम धारा 376 के तहत दोषी करार दिए जा चुके हैं और उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं। ऐसा लगता है कि वह बिना किसी ठोस कारण के अस्थायी जमानत की अवधि को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।"

इलाज के नाम पर ली गई राहत?

न्यायमूर्ति भट्ट ने पंचकर्म चिकित्सा को लेकर संदेह जताते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने 7 जनवरी को जमानत मिलने के बाद 1 मार्च तक किसी अस्पताल से संपर्क नहीं किया। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर उन्हें वाकई चिकित्सा की जरूरत थी तो उन्होंने इलाज शुरू करने में इतनी देरी क्यों की?

क्या आगे बढ़ेगी जमानत याचिका?

अब इस मामले को तीसरे जज के पास भेजे जाने की संभावना है, जो इस पर अंतिम फैसला देंगे। अगर जमानत खारिज होती है, तो आसाराम को वापस जेल जाना होगा। हालांकि, अगर जमानत मंजूर होती है, तो यह पीड़िता और उनके समर्थकों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

आसाराम को मेडिकल आधार पर 3 महीने की...

गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम को मेडिकल आधार पर तीन महीने की अंतरिम जमानत मंजूर कर दी है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत लिया गया है, जिसके अनुसार आसाराम पहले से ही 31 मार्च तक अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर थे। आसाराम ने गुजरात हाईकोर्ट में छह महीने की अंतरिम जमानत की मांग की थी, लेकिन दो जजों की डिवीजन बेंच में सहमति न बनने के बाद यह मामला लार्जर बेंच के पास भेजा गया। लार्जर बेंच ने सुनवाई के बाद तीन महीने की अंतरिम जमानत मंजूर कर दी।

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