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Adani Green : अदाणी ग्रीन ने ग्लोबल बायो डाइवर्सिटी फ्रेमवर्क अपना कर प्रकृति संरक्षण को दी नई गति

इस फ्रेमवर्क की मदद से किसी भी संगठन को यह समझने में आसानी होती है कि उसके कामकाज का प्रकृति और जैव विविधता पर क्या असर पड़ता है, कहाँ जोखिम हैं और कहाँ आगे बढ़ने के मौके।
01:56 PM Dec 08, 2025 IST | srkauthor
इस फ्रेमवर्क की मदद से किसी भी संगठन को यह समझने में आसानी होती है कि उसके कामकाज का प्रकृति और जैव विविधता पर क्या असर पड़ता है, कहाँ जोखिम हैं और कहाँ आगे बढ़ने के मौके।

भारत की सबसे बड़ी रिन्यू एबल एनर्जी कंपनी , अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) ने अपने सस्टेनेबल डेवलपमेंट के सफर में एक अहम् कदम उठाया है। कंपनी ने नेचर-रिलेटेड फाइनेंशियल डिस्क्लोज़र्स (TNFD) फ्रेमवर्क को अपनी पूरी कारोबार रणनीति का हिस्सा बनाया है। इस फ्रेमवर्क की मदद से किसी भी संगठन को यह समझने में आसानी होती है कि उसके कामकाज का प्रकृति और जैव विविधता पर क्या असर पड़ता है, कहाँ जोखिम हैं और कहाँ आगे बढ़ने के मौके। इससे एजीईएल की कोशिश है कि वह सिर्फ कागजी ईएसजी नियमों तक सीमित न रहे, बल्कि ऐसा मॉडल अपनाए जिसमें स्वच्छ ऊर्जा के साथ-साथ पर्यावरण की सेहत का भी ध्यान रखा जाए।

वित्त वर्ष 2024 से ही एजीईएल ने अपने सभी प्रोजेक्ट्स में यह समझने का काम शुरू किया कि उनके कामकाज पर प्रकृति का क्या असर पड़ता है, कंपनी (AGEL) की गतिविधियों से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है और भविष्य में क्या जोखिम और मौके हो सकते हैं।TNFD ग्रुप से औपचारिक रूप से जुड़ने से पहले ही किया गया यह कार्य दर्शाता है कि कंपनी प्रकृति से जुड़े पहलुओं को महज वर्ष के आखिर में रिपोर्ट देने तक ही सीमित नहीं रखना चाहती, बल्कि अपनी योजना और फैसलों का हिस्सा भी बनाना चाहती है।

प्रकृति हमारी विकास की कहानी का अहम् हिस्सा है : आशीष खन्ना

एजीईएल के सीईओ आशीष खन्ना (Ashish Khanna) ने कहा, "प्रकृति हमारी विकास की कहानी का अहम् हिस्सा है। टीएनएफडी के सिद्धांतों को अपने कामकाज में शामिल करते हुए हम ऐसे मौके तलाश रहे हैं, जिनसे नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के साथ-साथ प्राकृतिक तंत्र भी मजबूत हो। हमारी कोशिश है कि स्वच्छ ऊर्जा का विस्तार प्रकृति की सुरक्षा (Environmental Health) और उसके पुनर्जीवन में भी योगदान दे। प्रकृति से जुड़े जोखिमों को सकारात्मक तरीके से समझना और संभालना लंबे समय तक कारोबार को मजबूत बनाए रखने के साथ-साथ समाज, निवेशकों और पर्यावरण के लिए स्थायी मूल्य तैयार करने के लिए बेहद जरूरी है।"

वर्ष 2030 तक 'नो नेट लॉस ऑफ बायोडाइवर्सिटी' हासिल करना कंपनी का लक्ष्य!

TNFD फ्रेमवर्क एक अंतर्राष्ट्रीय और विज्ञान आधारित पहल है, जिसे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम वित्त पहल, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme), विश्व वन्यजीव कोष और ग्लोबल कैनोपी ने मिलकर शुरू किया है। यह फ्रेमवर्क संगठनों को प्रकृति से जुड़े जोखिमों और अवसरों को पहचानने, समझने और सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करने में मदद करता है। टीएनएफडी के साथ जुड़कर एजीईएल ने यह दर्शाया है कि वह जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए फैसले लेने वाली वैश्विक रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों में अहम भूमिका निभा रहा है। इससे दुनियाभर की संरक्षण प्राथमिकताओं और भारत की जलवायु नेतृत्व की कोशिशों को भी मजबूती मिलती है।एजीईएल इंडिया बिज़नेस बायोडाइवर्सिटी इनिशिएटिव (IBBI और IBBI 2.0) का भी हिस्सा है। जैव विविधता को लेकर अपनी लंबे समय की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कंपनी का लक्ष्य, वर्ष 2030 तक 'नो नेट लॉस ऑफ बायोडाइवर्सिटी' हासिल करना है। इसके तहत एजीईएल ने अपने सभी प्रोजेक्ट क्षेत्रों में करीब 2 करोड़ 78 लाख 60 हजार पेड़ लगाने की योजना बनाई है।

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