संसद मानसून सत्र : आज पेश हो सकता है स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल! केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख भाई मांडविया पेश करेंगे बिल!
Parliament Monsoon Session : संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल आज पेश हो सकता है। केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख भाई मांडविया (MansukhBhai Mandaviya) बिल पेश करेंगे! इस दौरान भारी हंगामे के भी आसार है, अगर ये बिल पास हो जाता है तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025 के दायरे में आ जाएगा। मानूसन सत्र की शुरुवात 21 जुलाई को हुई लेकिन दो दिन लगातार विपक्ष के भारी हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाई बाधित होती रही, लेकिन आज यानी की तिसरे दिन स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल पेश किया जा सकता है।
BCCI अभी तक स्वायत निकाय है जो अपने हिसाब से करती है काम!
सूत्रों के मुताबिक, बीसीसीआई को स्वायत्त निकाय होने की वजह से अपने हिसाब से स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति है। ऐसे में अगर स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल पास हो जाता है तो बीसीसीआई राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025 (National Sports Governance Bill 2025) के दायरे में आ जाएगा और वो स्वयं संचालित निकाय नहीं रहेगा। फिर उस पर सरकार और खेल मंत्रालय का आधिपत्य हो जाएगा। जिससे बीसीसीआई की पूरी ताकत सरकार के हाथों में चली जाएगी। खेल मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस बिल से बीसीसीआई सहित सभी महासंघों के लिए राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक के दायरे में आना जरुरी हो जाएगा। दरअसल बीसीसीआई ही एकमात्र ऐसी खेल संस्था है जो सरकारी नियमों के दायरे में नहीं आती थी। लेकिन अब उससे ये आजादी छीन सकती है।
बीसीसीआई के ऊपर अपनी मनमानी करने का है आरोप!
स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल पास होने के बाद बीसीसीआई में अन्य कई बड़े बदलाव भी देखने के मिल सकते है, जेसे की बीसीसीआई के अध्यक्ष रोजर बिन्नी (Roger Binny) के पद पर बने रहने पर भी लगातार सवाल उठता रहा है, नियमों के मुताबिक बीसीसीआई का संविधान किसी भी पदाधिकारी की उम्र को 70 साल की उम्र तक उस पद पर बने रहने की अनुमती देता है, जबकि रोजर बिन्नी इसी महिने की 9 जुलाई को उम्र का ये पड़ाव पूरा कर चुके है, ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या रोजर बिन्नी इस पद पर बने रहेंगे या फिर ये पद बीसीसीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला (Rajiv Shukla) को इस पद की कमान सौंपी जा सकता है।
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इस विधेयक को पास कराने का उद्देश्य राष्ट्रीय खेल महासंघ के जरिए कई समस्याओं का हल निकालना है।
1 - स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल पास होने के बाद राष्ट्रीय खेल महासंघों में अपारदर्शी शासन होगा, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही देखने के मिलेगा।
2 - शासन में खिलाड़ियों के प्रतिनिधित्व का अभाव : खिलाड़ियों को एथलीट समितियों के माध्यम से शामिल करना और उत्कृष्ट योग्यता वाले खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य करता है।
3 - NSF चुनावों पर लगातार मुकदमेबाजी का होना : अदालती पचड़ो को कम करने के लिए साफ चुनावी दिशानिर्देश और विवाद समाधान तंत्र स्थापित होगा।
4 - अनुचित या अपारदर्शी खिलाड़ीयों का चयन : इस बिल के पास हो जाने के बाद चयन मानदंडों को मानकीकृत होगा और योग्यता-आधारित चयन सुनिश्चित करने के लिए ट्रायल और परिणामों के प्रकाशन को अनिवार्य करेगा।
5 - उत्पीड़न और असुरक्षित खेल वातावरण : शिकायतों के लिए सुरक्षित खेल तंत्र, POSH अनुपालन और स्वतंत्र समितियों का गठन अनिवार्य करता है।
6 - शिकायत निवारण चैनलों का अभाव : खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और हितधारकों के लिए समर्पित, समयबद्ध शिकायत निवारण प्रणालियाँ स्थापित करता है।
7 - लंबी कानूनी देरी से एथलीटों के करियर को नुकसान : विवादों को शीघ्रता से निपटाने के लिए त्वरित मध्यस्थता या न्यायाधिकरण प्रणाली लागू की गई।
8 – उम्र में हेरफेर और डोपिंग : इस बिल के पास हो जाने के बाद खिलाड़ियों के लिए हर मामले में सख्त सत्यापन, बायोमेट्रिक प्रणाली, डोपिंग रोधी अनुपालन भी कानूनी दायित्वों के रूप में लागू।
9 - हितों के टकराव के नियमों की साफ और स्पष्ट परिभाषाएँ और प्रवर्तन लागू किया गया।
10 - एनएसएफ और आईओए के लिए कोई समान संहिता नहीं : सभी खेल निकायों को एक एकीकृत शासन संहिता और पात्रता मानदंडों के अंतर्गत लाया गया।
मानसून सत्र में पेश होने वाला 'स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल' (Sports Governance Bill) खेल संबंधी शिकायतों और खेल विवादों के एकीकृत, न्यायसंगत और प्रभावी तरीके से हल निकालने के लिए एक ठोस उपाय करेगा। साथ ही इसमें कई तरह के और भी प्रावधान शामिल किए गए है, जो की खिलाड़ियों को मदद करने के लिए बनाए गए हैं।
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