ड्रग्स नहीं...IPL सट्टेबाजी बन चुका है सबसे खतरनाक नशा! बेटिंग ऐप्स के झांसे में कैसे फंस रहा है युवा भारत?
IPL का मजा लेना और अपनी पसंदीदा टीम का साथ देना एक बात है, लेकिन जब यही मैच आपकी जिंदगी का सबसे बड़ा जुआ बन जाए, तो समझ लीजिए कि आप एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुके हैं। भारत में आज IPL सिर्फ एक क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, बल्कि सट्टेबाजों का सबसे बड़ा अखाड़ा बन चुका है। ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स और वेबसाइट्स की बढ़ती संख्या ने युवाओं को इस कदर जकड़ लिया है कि अब वे मैच के नतीजों से ज्यादा अपनी बेट यानी सट्टे की चिंता करने लगे हैं। बेंगलुरु के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सट्टे में 1.5 करोड़ रुपये गंवा दिए, उसकी पत्नी ने आत्मह्या कर ली, और यह कोई अकेला मामला नहीं है। क्या हमारी युवा पीढ़ी IPL के नाम पर जुए की गिरफ्त में आती जा रही है?
IPL का डार्क साइड: कैसे बेटिंग ऐप्स युवाओं को लूट रहे हैं?
आज भारत का हर दूसरा युवा IPL मैचों पर पैसा लगा रहा है, लेकिन क्या वह जानता है कि यह सिर्फ एक मनोरंजन नहीं, बल्कि एक गंभीर लत बन सकता है? दरअसल, गूगल ट्रेंड्स के आंकड़े बताते हैं कि हर IPL सीजन में "Gambling Addiction" और "How to quit betting" जैसे सर्च कई गुना बढ़ जाते हैं।
ऑनलाइन बेटिंग प्लेटफॉर्म्स ने अपने चक्करदार विज्ञापनों और "पहला बेट फ्री" जैसे ऑफर्स के जरिए युवाओं को फंसाना शुरू कर दिया है। इन ऐप्स का सिस्टम इतना आसान बनाया गया है कि कोई भी कुछ ही क्लिक्स में हज़ारों रुपये दांव पर लगा सकता है। लेकिन जब नुकसान होता है, तो यही आसानी एक भयानक नशे में बदल जाती है।
कर्ज, डिप्रेशन से लेकर आत्महत्या तक सट्टेबाजी का खौफनाक सच!
सट्टेबाजी की लत सिर्फ पैसे तक सीमित नहीं रहती, यह आपकी मानसिक सेहत को भी बर्बाद कर देती है। दिल्ली की मनोचिकित्सक डॉ. अरौबा कबीर के मुताबिक, IPL सीजन में उनके पास ऐसे मरीजों की संख्या दोगुनी हो जाती है, जो बेटिंग की वजह से डिप्रेशन, एंग्जाइटी और आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे होते हैं। कई युवा तो इतने गहरे धंस चुके हैं कि वे कर्ज लेकर सट्टा लगाते हैं, फिर उस कर्ज को चुकाने के लिए दूसरा कर्ज लेते हैं। यह एक ऐसा चक्र बन जाता है, जिससे निकलना नामुमकिन सा लगने लगता है। बेंगलुरु के उस टेक प्रोफेशनल की तरह, जिसने अपनी पत्नी को खो दिया, क्या हमारे समाज में ऐसे और मामले सामने आने का इंतज़ार करना चाहिए?
कैसे पहचानें सट्टेबाजी की लत?
अगर आप या आपका कोई करीबी IPL या किसी भी खेल पर बेटिंग करता है, तो इन संकेतों को नज़रअंदाज़ न करें:
बार-बार स्कोर चेक करना: अगर कोई व्यक्ति हर पांच मिनट में लाइव स्कोर देख रहा है, तो यह चिंता का विषय है।
पैसों की कमी और कर्ज: अचानक पैसों की तंगी, दोस्तों से उधार लेना या बैंक बैलेंस छुपाना।
झूठ बोलना: परिवार से पैसे या बेटिंग के बारे में झूठ बोलना।
काम पर असर: ऑफिस या पढ़ाई में मन न लगना, प्रदर्शन गिरना।
डॉ. कबीर कहती हैं कि जुए की लत किसी नशे से कम नहीं होती। इसमें व्यक्ति को लगता है कि वह कंट्रोल में है, लेकिन धीरे-धीरे यह उसकी जिंदगी पर कंट्रोल करने लगती है।
क्या IPL सट्टेबाजी युवाओं के लिए बन गया है नया ड्रग?
IPL का क्रेज जहां एक तरफ क्रिकेट प्रेमियों के लिए खुशियां लेकर आता है, वहीं दूसरी तरफ यह कई युवाओं के लिए एक अभिशाप बन चुका है। सट्टेबाजी की यह लत न सिर्फ पैसे, बल्कि रिश्तों, करियर और जिंदगी को भी तबाह कर रही है। सरकार और समाज को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है, नहीं तो आने वाले समय में यह एक बड़ी सामाजिक समस्या बन सकती है। क्या हम अपनी युवा पीढ़ी को इस नशे की जद में जाने देंगे, या फिर समय रहते इस पर लगाम लगाएंगे।
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