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हिंसा के समय चाय की चुस्की ले रहे थे युसूफ पठान, नाराज TMC नेताओं ने की टिकट न देने की अपील

पश्चिम बंगाल की राजनीति में इन दिनों एक नया विवाद गरमा गया है—मशहूर क्रिकेटर और बरहामपुर से टीएमसी सांसद यूसुफ पठान पार्टी के भीतर ही आलोचना के घेरे में आ गए हैं। वजह? जब मुर्शिदाबाद हिंसा की आग में झुलस...
09:54 AM Apr 19, 2025 IST | Sunil Sharma
पश्चिम बंगाल की राजनीति में इन दिनों एक नया विवाद गरमा गया है—मशहूर क्रिकेटर और बरहामपुर से टीएमसी सांसद यूसुफ पठान पार्टी के भीतर ही आलोचना के घेरे में आ गए हैं। वजह? जब मुर्शिदाबाद हिंसा की आग में झुलस...

पश्चिम बंगाल की राजनीति में इन दिनों एक नया विवाद गरमा गया है—मशहूर क्रिकेटर और बरहामपुर से टीएमसी सांसद यूसुफ पठान पार्टी के भीतर ही आलोचना के घेरे में आ गए हैं। वजह? जब मुर्शिदाबाद हिंसा की आग में झुलस रहा था, तब यूसुफ पठान सोशल मीडिया पर चाय की चुस्की का आनंद ले रहे थे। टीएमसी के अंदर यह मुद्दा अब गर्माता जा रहा है। लोकसभा चुनाव 2026 में क्या यूसुफ पठान को दोबारा टिकट मिलेगा या नहीं, यह अब एक बड़ा सवाल बन चुका है।

क्या हुआ था मुर्शिदाबाद में?

11 और 12 अप्रैल को संशोधित वक्फ अधिनियम को लेकर मुर्शिदाबाद के कई इलाकों में जबरदस्त हिंसा भड़की। जंगीपुर, शमसेरगंज, सुती और धुलियान जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तनाव का माहौल बना रहा। इन इलाकों में टीएमसी के कई नेता और विधायक तुरंत लोगों के बीच पहुंचे, मगर यूसुफ पठान नदारद रहे।

सोशल मीडिया पोस्ट बनी विवाद की वजह

हिंसा के बीच यूसुफ पठान ने इंस्टाग्राम पर अपनी एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें वो सफेद कपड़ों में आराम से बैठे हैं और हाथ में चाय का प्याला है। कैप्शन था – "आरामदायक दोपहर, चाय की चुस्की, शांति। मैं अभी डूब रहा हूं।" इस पोस्ट ने न सिर्फ जनता को खफा किया बल्कि पार्टी के अंदर भी कई नेताओं का पारा चढ़ा दिया।

पार्टी नेताओं का फूटा गुस्सा

मुर्शिदाबाद से टीएमसी सांसद अबू ताहिर खान ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि वो बाहरी हैं, राजनीति में नए हैं। जब सब नेता और कार्यकर्ता मैदान में हैं, ऐसे में उनकी गैरमौजूदगी जनता को गलत संदेश दे रही है। भरतपुर के विधायक हुमायूं कबीर ने तो यहां तक कह दिया कि यूसुफ पठान वोटरों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं।

सांसद का व्यवहार सवालों के घेरे में

उन्होंने कहा कि वो एक स्टार क्रिकेटर हैं, गुजरात में रहते हैं, लेकिन अब जब लोगों को उनकी जरूरत है, वो गायब हैं। अगर यही रवैया रहा, तो मैं पार्टी नेतृत्व से कहूंगा कि अगली बार उन्हें टिकट ना दिया जाए। सिर्फ राजनीतिक बयान ही नहीं आ रहे, बल्कि जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच भी नाराजगी साफ देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि यूसुफ पठान ने एक बार जीतने के बाद इलाके से दूरी बना ली है। अब सवाल ये है—क्या यूसुफ पठान राजनीति को हल्के में ले रहे हैं, या फिर उन्हें सच में फर्क नहीं पड़ता?

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