विदेश में पाक के आतंक की क्लास लगा रहे शशि थरूर से कांग्रेस नेता को ही दिक्कत, थरूर की देशभक्ति को चमचागिरी क्यों कह रहे?
भारत–पाकिस्तान के बॉर्डर पर तनाव के दौरान अब कांग्रेस के भीतर भी एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है! जहां शशि थरूर विदेशों में पाकिस्तान के आतंकी रिकॉर्ड को उजागर करने में जुटे हैं, वहीं उन्हीं की पार्टी के नेता उदित राज ने उन पर करारा हमला बोल दिया है। उदित राज ने थरूर को "बीजेपी का सुपर प्रवक्ता" तक कह डाला और आरोप लगाया कि "ये सेना की कार्रवाइयों का श्रेय सरकार को दे रहे हैं, जबकि कांग्रेस के समय में ऐसा नहीं होता था।" यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब थरूर पनामा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं और पाकिस्तान को कोसते हुए कह रहे हैं कि "आतंकियों को अब कीमत चुकानी पड़ेगी।
उदित राज ने थरूर पर क्या आरोप लगाए?
उदित राज का आरोप है कि "शशि थरूर वह बातें कह रहे हैं जो बीजेपी के नेता भी नहीं कह रहे।" उन्होंने यहां तक कहा कि "ये मोदी सरकार की तारीफ करने में लगे हैं और सेना की कार्रवाइयों को सरकार का करिश्मा बता रहे हैं।
उदित राज ने याद दिलाया कि "कांग्रेस सरकार के दौरान सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाइयों को सार्वजनिक नहीं किया जाता था, लेकिन मोदी सरकार सेना के शौर्य का राजनीतिक फायदा उठा रही है।" सवाल यह है कि क्या थरूर वाकई पार्टी लाइन से हटकर बयान दे रहे हैं।
पनामा में पाक के आतंक की कैसे क्लास लगा रहे थे थरूर?
जबकि उदित राज थरूर पर निशाना साध रहे थे, थरूर खुद पनामा में पाकिस्तान को घेरने में व्यस्त थे। उन्होंने कहा कि "पहले आतंकी भारत पर हमला करके सुरक्षित लौट जाते थे, लेकिन अब उन्हें एहसास हो गया है कि उनकी हर गलती की कीमत चुकानी पड़ेगी।" थरूर ने सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए कहा कि "भारत ने पहली बार न केवल लाइन ऑफ कंट्रोल, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा भी पार की और आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त किया।" क्या यह बयान सरकार की नीतियों का समर्थन करता है? अगर हां, तो क्या इससे कांग्रेस की एकता पर सवाल उठते हैं?
थरूर के बयानों पर पार्टी क्यों चुप है?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस की ओर से थरूर के बचाव में कोई बड़ा नेता क्यों नहीं आ रहा? क्या यह पार्टी की आंतरिक रणनीति का हिस्सा है कि थरूर जैसे नेता सरकार के पक्ष में बोलें, जबकि अन्य नेता विपक्ष की भूमिका निभाएं? या फिर यह कांग्रेस के भीतर गहरी बंटवारे की निशानी है? उदित राज के बयान के बाद पार्टी की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है, जिससे साफ है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर एकमत नहीं है।
क्या थरूर की विदेशी मुहिम पर उदित राज का हमला सही है?
यह विवाद सिर्फ शशि थरूर और उदित राज तक सीमित नहीं, बल्कि यह कांग्रेस की उस दुविधा को दिखाता है जहां वह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर सरकार की आलोचना और समर्थन के बीच झूल रही है। क्या थरूर का पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोलना देशहित में है या फिर यह बीजेपी के एजेंडे को बढ़ावा देने जैसा है? अगर कांग्रेस इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाती, तो यह विवाद और गहरा सकता है। एक बात तय है कि राजनीति में देशभक्ति और पार्टी लाइन के बीच का यह संघर्ष अब और तेज होने वाला है!
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