1971 के युद्ध और 2025 में क्या अंतर है? शशि थरूर ने बताया भारत-पाक के बीच सीजफायर क्यों जरूरी
भारत-पाक सीमा पर सीज़फायर को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक बड़ा बयान दे दिया है।10 मई को हुए सीजफायर को लेकर थरूर ने कहा कि 1971 के युद्ध और आज की स्थिति में बड़ा अंतर है। उन्होंने साफ किया कि जहां 1971 में बांग्लादेश की आजादी का नैतिक उद्देश्य था, वहीं आज भारत सिर्फ आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहता था। दअरसल दोनों देशों के बीच सीज़फायर के बाद से सोशल मीडिया पर मोदी के मुकाबले इंदिरा गांधी कार्यकाल का कंपैरिजन ट्रेंड करता हुआ दिख रहा है। इस बीच थरूर के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर भी इस बयान की खूब चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं कि थरूर ने क्या कहा और क्यों यह बयान इतना अहम हो गया है?
1971 युद्ध से आज की स्थिति कैसे अलग?
शशि थरूर ने अपने बयान में 1971 के युद्ध और वर्तमान स्थिति के बीच स्पष्ट अंतर बताते हुए कहा कि 1971 का युद्ध एक नैतिक संघर्ष था जहां बांग्लादेश की आजादी का सवाल था। वहीं आज की स्थिति में भारत का उद्देश्य सिर्फ आतंकवादियों को सबक सिखाना था। थरूर ने ट्वीट कर कहा कि"उसकी (पाकिस्तान) फितरत है मुकर जाने की, उसके वादे पे यकीं कैसे करूं?" यह बयान पाकिस्तान के इरादों पर उनके अविश्वास को दर्शाता है।
#WATCH | Delhi | "1971 was a great achievement, Indira Gandhi rewrote the map of the subcontinent, but the circumstances were different. Bangladesh was fighting a moral cause, and liberating Bangladesh was a clear objective. Just keeping on firing shells at Pakistan is not a… pic.twitter.com/Tr3jWas9Ez
— ANI (@ANI) May 11, 2025
"शांति जरूरी, पर सबक सिखा चुके हैं"
थरूर ने सीजफायर का समर्थन करते हुए कहा कि भारत लंबे समय तक युद्ध नहीं चाहता। उनके मुताबिक, "हम बस आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहते थे और वह सबक सिखाया जा चुका है।" उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि सरकार पहलगाम हमलों में शामिल आतंकियों को कड़ी सजा देगी। यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सरकार की सैन्य कार्रवाई को सही ठहराता प्रतीत होता है।
#WATCH | Delhi | On the understanding reached between Indian and Pakistan, Congress MP Shashi Tharoor says, "We had reached a stage where the escalation was needlessly getting out of control. Peace is necessary for us. The truth is that the circumstances of 1971 are not the… pic.twitter.com/dowttNX1wj
— ANI (@ANI) May 11, 2025
इंदिरा गांधी की विरासत से वर्तमान राजनीति तक
थरूर ने 1971 के युद्ध को "एक महान उपलब्धि" बताया जब इंदिरा गांधी ने "एक नया नक्शा फिर से लिखा"। हालांकि उन्होंने साफ किया कि वे परिस्थितियां अलग थीं और आज शांति बनाए रखना जरूरी है। यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि सोशल मीडिया पर इंदिरा गांधी की विरासत और मोदी सरकार की नीतियों की तुलना की जा रही थी। थरूर ने दोनों को अलग संदर्भों में रखकर इस बहस को नया मोड़ दिया है।
सीजफायर के बाद क्या है स्थिति?
बता दें कि थरूर के बयान के बावजूद, सीजफायर के बाद भी कई इलाकों में पाकिस्तान की गोलीबारी जारी रही, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। यह दिखाता है कि भले ही 1971 और 2025 के युद्धों के उद्देश्य अलग हों, पाकिस्तान का असली चरित्र नहीं बदला। थरूर ने भी अपने बयान में इस संदेह को व्यक्त किया कि पाकिस्तान अपने वादों पर कायम नहीं रहेगा।
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