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कौन हैं शर्मिष्ठा पनोली...किस आरोप में कोलकाता पुलिस ने किया इंस्टाग्राम इन्फ्लूएंसर को गिरफ्तार?

पाकिस्तानी फॉलोवर के सवाल पर वीडियो, गिरफ्तारी और बहस—शर्मिष्ठा पनोली केस ने अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम धार्मिक भावनाओं पर नई बहस छेड़ दी है।
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पहलगाम हमले को लेकर क्या था वह विवादित वीडियो?

शर्मिष्ठा पनोली के लाखों फॉलोवर्स में एक पाकिस्तानी यूजर भी था, जिसने पहलगाम आतंकी हमले के बाद उनसे एक सवाल पूछा। इस सवाल का जवाब देते हुए शर्मिष्ठा ने जो वीडियो बनाया, उसमें उनके कुछ शब्दों को इस्लामिक भावनाओं के खिलाफ माना गया।

हालांकि, शर्मिष्ठा ने बाद में कहा कि उनका इरादा किसी धर्म या समुदाय को नीचा दिखाने का नहीं था, बल्कि वह पाकिस्तान की आतंकी मानसिकता पर सवाल उठा रही थीं। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ मुस्लिम समुदाय के कई लोग भड़क उठे। उन्हें जान से मारने और रेप की धमकियां मिलने लगीं। डरकर शर्मिष्ठा ने वीडियो डिलीट कर दिया और माफी मांगी, लेकिन तब तक देशभर में उनके खिलाफ कई पुलिस शिकायतें दर्ज हो चुकी थीं।

दिल्ली से कोलकाता तक: कैसे हुई शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी?

धमकियों से घबराकर शर्मिष्ठा पुणे छोड़कर दिल्ली आ गईं, लेकिन कोलकाता पुलिस ने उनका पीछा करना नहीं छोड़ा। शुक्रवार को दिल्ली से उन्हें गिरफ्तार करके कोलकाता ले जाया गया। मजिस्ट्रेट के सामने पेशी के बाद उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता ले जाया गया। यहां सवाल यह उठता है कि जब शर्मिष्ठा ने वीडियो डिलीट कर दिया था और माफी मांग ली थी, तो क्या उनकी गिरफ्तारी जरूरी थी? क्या यह केस स्वतंत्र अभिव्यक्ति और धार्मिक भावनाओं के बीच का संघर्ष है या फिर इसमें राजनीतिक दबाव भी शामिल है? कुछ लोगों का मानना है कि कोलकाता पुलिस ने बिना ठोस सबूतों के जल्दबाजी में कार्रवाई की, जबकि दूसरी ओर, कुछ लोग इसे कानून का सही पालन बता रहे हैं।

सोशल मीडिया पर शर्मिष्ठा के सपोर्ट में क्यों उठ रहे हैं सवाल?

बता दें कि शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर दो तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं। एक तरफ, कुछ लोगों ने उनकी गिरफ्तारी का समर्थन किया और कहा कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों को सजा मिलनी चाहिए। वहीं, दूसरी ओर, कई यूजर्स ने कोलकाता पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि अगर शर्मिष्ठा ने माफी मांग ली और वीडियो हटा दिया, तो उन्हें गिरफ्तार करना अनुचित है। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 2004 में एक फैसले में कहा था कि बिना लिखित आधार के गिरफ्तारी गैरकानूनी है। क्या शर्मिष्ठा के साथ न्याय हुआ है या फिर उन्हें सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान पर सवाल उठाए थे?

क्या शर्मिष्ठा पनोली का केस स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर हमला है?

यह मामला सिर्फ एक लड़की की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सवाल खड़ा करता है कि क्या भारत में अभिव्यक्ति की आजादी धार्मिक भावनाओं के आगे घुटने टेक रही है? क्या एक सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर किसी को जेल में डालना उचित है? शर्मिष्ठा ने खुद कहा था कि वह देशभक्त हैं और उनका मकसद सिर्फ आतंकवाद को उजागर करना था। लेकिन क्या उनकी बात सुनी गई? अब यह केस कोर्ट में होगा, और देश की नजरें इस पर टिकी हैं कि आखिरकार न्याय किसके पक्ष में होगा..अभिव्यक्ति की आजादी के या फिर धार्मिक संवेदनशीलता के?

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