सीजफायर पर ट्रंप के दावे से भड़के संजय राउत – बोले, ‘हमारे फैसलों में अमेरिका की घुसपैठ मंजूर नहीं’
भारत और पाकिस्तान के बीच 18 दिनों से चले आ रहे सैन्य तनाव के बीच 10 मई को अचानक सीजफायर का ऐलान हुआ। लेकिन इस ऐलान को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर इसका श्रेय लेते हुए दावा किया कि उनके प्रयासों से भारत और पाकिस्तान दोनों संघर्ष विराम पर राजी हुए हैं। इस दावे ने न केवल कूटनीतिक हलकों में हलचल मचाई, बल्कि भारत की राजनीति में भी भूचाल ला दिया। सबसे तीखी प्रतिक्रिया शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता संजय राउत की आई, जिन्होंने ट्रंप के इस बयान को भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला बताया।
राउत ने पूछा सवाल – अगर इतने ताकतवर हैं, तो गाजा क्यों नहीं रुका?
संजय राउत ने तीखा प्रहार करते हुए कहा, "अगर डोनाल्ड ट्रंप इतने ही ताकतवर हैं, तो इजरायल और गाजा के बीच चल रहा संघर्ष क्यों नहीं रुकवा पाए? भारत कोई छोटा या कमजोर राष्ट्र नहीं है, जो किसी तीसरे देश के इशारों पर युद्ध रोक दे।" उन्होंने कहा कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है, और अमेरिका का इस तरह बीच में आना न केवल राजनयिक अनुशासन का उल्लंघन है, बल्कि मोदी सरकार की कमजोरी को भी उजागर करता है।
VIDEO | Addressing a press conference in Mumbai, Shiv Sena (UBT) MP Sanjay Raut (@rautsanjay61) says, "Why hasn't US President Trump stopped the Israel-Gaza war? It is still going on. President Trump pressured India to stop its action against Pakistan. No other president can… pic.twitter.com/SJkdmOyajX
— Press Trust of India (@PTI_News) May 11, 2025
'सिंदूर का अपमान करने वालों पर कार्रवाई अधूरी'
संजय राउत ने सीजफायर को लेकर केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, "हमने ऑपरेशन सिंदूर उन लोगों के खिलाफ शुरू किया था जिन्होंने हमारी 26 बहनों का सिंदूर मिटा दिया। अब सरकार बताए कि क्या बदला पूरा हो गया? पहलगाम हमले के पीछे जो 6 आतंकी थे, क्या उनका सफाया हो गया?" उनका कहना था कि जब तक अंतिम आतंकी ज़िंदा है, तब तक सीजफायर की बात करना शहीदों का अपमान है।
'भारत की लड़ाई, भारत ही लड़ेगा'
राउत ने सीधा संदेश दिया कि भारत को अपने फैसले खुद लेने की आदत है और किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की "दया या कूटनीतिक मध्यस्थता" की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत ने अगर जवाबी कार्रवाई की, तो वह नाप-तौल कर, रणनीति के तहत की गई थी, और ऐसे में अमेरिका का इस प्रक्रिया में घुसना राजनीतिक हस्तक्षेप है।
क्या हुआ था 10 मई को?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत-पाक सीमा पर तनाव चरम पर था। पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल हमले किए, लेकिन भारत की रक्षा प्रणाली ने उन्हें नाकाम कर दिया। भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद जवाबी कार्रवाइयों में पाकिस्तानी ठिकाने तबाह हुए। इसी बीच डोनाल्ड ट्रंप ने शाम 5:37 बजे पोस्ट करके सीजफायर की घोषणा की। इसके कुछ समय बाद भारत और पाकिस्तान की ओर से भी बयान आए, जिससे इस घोषणा की पुष्टि हुई।
ट्रंप का ऐलान – इरादा क्या था?
ट्रंप की इस "प्रीमैच्योर घोषणा" ने कई सवाल खड़े कर दिए, क्या वाकई अमेरिका ने बैकडोर डिप्लोमेसी से दोनों देशों को मनाया? या यह सिर्फ वैश्विक मंच पर खुद को 'शांतिदूत' साबित करने की एक कोशिश थी? क्या भारत को इस तरह की घोषणाओं से पहले अपनी कूटनीति पर नियंत्रण रखना चाहिए?
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