बिहार में JDU हुई हाइजैक? चुनाव से पहले PK का धमाका, नीतीश पर बड़ा वार… सियासत में मचा बड़ा बवाल!
बिहार की राजनीति में एक बार फिर बवाल मच गया है। जन सुराज संयोजक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जदयू पर ऐसा हमला बोला है कि सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि जदयू अब कुछ नेताओं की "बपौती" बनकर रह गई है, पार्टी पर सिर्फ चार-पांच लोगों का कब्जा है, और बिहार में अफसरशाही का जंगलराज चल रहा है। ये आरोप ऐसे वक्त में आए हैं जब बिहार विधानसभा चुनाव साल के अंत में होने वाले हैं और नीतीश कुमार अपनी सियासी जमीन बचाने की जंग लड़ रहे हैं।
जदयू हाईजैक... नेताओं को कार्यकर्ताओं के नाम तक नहीं पता!
प्रशांत किशोर ने जदयू के भीतर की खाइयों को उजागर करते हुए कहा कि पार्टी के शीर्ष नेता अपने ही जिला अध्यक्षों को नहीं पहचानते। उनका कहना है, "अगर हम जैसे लोग नहीं होते, तो ये नेता कहीं नजर भी नहीं आते।" यह एक ऐसा तीखा प्रहार है जो नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सीधा सवाल खड़ा करता है। किशोर ने यहां तक इशारा किया कि जदयू के कुछ नेता उन्हें लीगल नोटिस भेजकर डराने की कोशिश करते हैं, लेकिन वो ऐसी धमकियों से बिल्कुल नहीं घबराते।
अफसरशाही का जंगलराज... प्रशासन पर किसका शिकंजा?
प्रशांत किशोर ने बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था पर भी निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि बिहार में अधिकारियों का एक ऐसा गठजोड़ है जो सरकार की नीतियों को अपने हित में मोड़ रहा है। ये आरोप उस समय आए हैं जब नीतीश सरकार "सुशासन" के दावे करती रही है। क्या सच में बिहार में अफसरों का राज चल रहा है? क्या नीतीश कुमार अपने ही प्रशासनिक तंत्र के आगे बेबस हो चुके हैं?
अशोक चौधरी से लालू तक... पुराने राजनीतिक घाव हुए हरे!
किशोर ने अपने बयान में RJD और कांग्रेस के पुराने नेताओं का जिक्र करके राजनीतिक जंग को और गहरा दिया है। उन्होंने बताया कि कैसे अशोक चौधरी और सदानंद सिंह जैसे नेता उनके पास आकर लालू प्रसाद यादव से मिलवाने की गुहार लगाते थे, लेकिन लालू जी उन्हें खरी-खोटी सुनाते थे। ये खुलासे बताते हैं कि बिहार की राजनीति में पुराने रिश्तों की कितनी गहरी जड़ें हैं।
चुनावी रणनीति या सच्चाई का खुलासा?
सवाल यह है कि प्रशांत किशोर के ये बयान महज चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं या फिर बिहार की सियासत में छिपे कुछ कड़वे सच को उजागर कर रहे हैं? क्या जदयू वाकई कुछ नेताओं की "प्राइवेट लिमिटेड कंपनी" बन चुकी है? क्या नीतीश कुमार अब अपनी ही पार्टी के भीतर हो रहे घपलों को नियंत्रित नहीं कर पा रहे? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में तब और साफ होंगे जब जदयू इन आरोपों पर कोई ठोस जवाब देगी।
बिहार की सियासत... अब किसके हाथ?
एक बात तो तय है कि प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में एक नया भूचाल ला दिया है। उनके इन बयानों से न सिर्फ जदयू बल्कि RJD और कांग्रेस जैसे दल भी सतर्क हो गए होंगे। चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में हर पार्टी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर सकती है। अब देखना यह है कि नीतीश कुमार इस हमले का जवाब कैसे देते हैं और बिहार की जनता इन आरोपों को कितना गंभीरता से लेती है। एक बार फिर बिहार की सियासत गर्म हो चुकी है, और यह जंग अब सिर्फ और सिर्फ जनता के कोर्ट में ही तय होगी!
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