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जिगरी यार! एक जैसी राजनीति से एक जैसी रणनीति तक, जानिए मोदी और ट्रंप की समानताएं

मोदी और ट्रंप: राजनीति के दो दिग्गज, जिन्हें जोड़ती हैं कई समानताएँ! जानिए कैसे ये दोनों लोकप्रिय नेता अपनी शैली, विचारों और राजनीति में एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं।
10:49 PM Nov 06, 2024 IST | Vibhav Shukla

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस को बड़ी शिकस्त दी है, और अब वे अगले राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं।  भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डोनाल्‍ड ट्रंप को अमेरिका के राष्‍ट्रपति चुनाव में जीत की बधाई दी है। पीएम मोदी ने ट्रंप की जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि अब हमें मिलकर अपने लोगों की भलाई के लिए और वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहिए। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में ट्रंप के साथ कुछ फोटो भी शेयर की हैं, जिनमें दोनों नेता साथ नजर आ रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा, 'मेरे दोस्त डोनाल्ड ट्रंप को हार्दिक बधाई! आपकी ऐतिहासिक चुनावी जीत पर। जैसे ही आप अपने पिछले कार्यकाल की सफलताओं को आगे बढ़ाएंगे, मैं भारत-अमेरिका के बीच साझेदारी को और मजबूत करने के लिए हमारे सहयोग को फिर से शुरू करने के लिए उत्सुक हूं।'"

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर ट्रंप के साथ अपनी कुछ पुरानी फोटो भी शेयर की, जिसमें दोनों नेता मिलकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हुए नजर आ रहे हैं। पीएम मोदी ने ट्वीट में यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच के रिश्ते बेहद महत्वपूर्ण हैं और दोनों देशों को मिलकर अपने लोगों की भलाई और वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए काम करना चाहिए।

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मोदी और ट्रंप: जिगरी यार, एक जैसी राजनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप केवल यार ही नहीं हैं, कई मामलो में दोनों की सोच भी एक जैसी है। दोनों ही राजनीति में आने के बाद से बहुत चर्चित और प्रभावशाली नाम रहे हैं। दोनों नेता अपने-अपने देश में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचे और दुनियाभर में अपने अलग अंदाज़ के लिए जाने जाते हैं। उनकी शैली, चुनावी रणनीतियाँ और नेतृत्व का तरीका कई मामलों में एक जैसा दिखता है। तो आइए जानते हैं, नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप में आखिर ऐसी कौन-कौन सी बातें हैं जो उन्हें एक-दूसरे से जोड़ती हैं।

1. पॉपुलिस्ट नेता होने का अंदाज़

मोदी और ट्रंप दोनों ही ऐसे नेता रहे हैं जो पॉपुलिज़्म यानी जनप्रियता की राजनीति में माहिर माने जाते हैं। इन दोनों ने जनता के दिल में अपनी सीधी और बोल्ड बातों से जगह बनाई। मोदी जहाँ "सबका साथ, सबका विकास" और "न्यू इंडिया" का सपना दिखाते हैं, वहीं ट्रंप "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" जैसे नारे लेकर आए। दोनों ने ही ऐसे मुद्दे उठाए जो आम जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं।

2. मीडिया और सोशल मीडिया पर पकड़

नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही सोशल मीडिया का बखूबी इस्तेमाल करते हैं। मोदी ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले नेताओं में से एक हैं। ट्रंप भी राष्ट्रपति रहते हुए ट्विटर पर अपने विचारों को स्पष्टता और आक्रामकता के साथ रखते थे। ट्रंप के ट्वीट्स अक्सर मीडिया में सुर्खियाँ बटोरते थे, तो वहीं मोदी भी अपने मास कम्युनिकेशन की स्किल्स से समर्थकों के साथ जुड़े रहते हैं।

3. देश की आम जनता से सीधा संवाद

मोदी और ट्रंप की एक और बड़ी समानता यह है कि दोनों ने जनता के साथ सीधा संवाद किया। मोदी का "मन की बात" कार्यक्रम और ट्रंप की "रैली" और प्रेस कांफ्रेंस में लोगों के बीच सीधी बातचीत का तरीका उनके समर्थकों में बेहद लोकप्रिय रहा है। मोदी जहाँ हर महीने जनता से अपने रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से संवाद करते हैं, वहीं ट्रंप अपनी रैलियों में सीधे तौर पर समर्थकों से मिलते थे और अपने विचार रखते थे।

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4. राष्ट्रवाद का संदेश

राष्ट्रवाद यानी "नेशनलिज़्म" का मुद्दा इन दोनों नेताओं की राजनीति का एक प्रमुख हिस्सा रहा है। मोदी ने भारत में "राष्ट्र प्रथम" का संदेश दिया और स्वदेशी चीजों को अपनाने का आह्वान किया। ट्रंप ने भी "अमेरिका फर्स्ट" की नीति को अपनाया और कई मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से कटे रहे। मोदी ने जहाँ "मेक इन इंडिया" जैसे अभियानों से राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया, वहीं ट्रंप ने "बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन" नीति का समर्थन किया।

5. विवादास्पद फैसले और स्पष्ट राय

मोदी और ट्रंप दोनों ही अपने विवादास्पद फैसलों के लिए जाने गए हैं। मोदी ने नोटबंदी, CAA (नागरिकता संशोधन कानून), अनुच्छेद 370 को हटाने जैसे बड़े और विवादास्पद फैसले लिए, तो ट्रंप ने भी अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने और मुस्लिम बहुल देशों पर ट्रैवल बैन लगाने जैसे फैसले लिए। दोनों नेताओं का मानना रहा है कि कठिन और स्पष्ट फैसले ही किसी भी देश को मजबूत बनाते हैं, भले ही वे विवादास्पद क्यों न हों।

6. दोनों ने बनाया खुद को एक ब्रांड

ट्रंप और मोदी दोनों ही अपने-अपने देश में खुद को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करने में सफल रहे हैं। मोदी का पहनावा, उनका विशेष प्रकार का कुर्ता और सदरी, और 'मोदी जैकेट' का स्टाइल एक पहचान बन गया है। वहीं ट्रंप अपने हेयरस्टाइल और महंगे सूट्स के लिए जाने जाते हैं। दोनों ही नेताओं ने अपने नाम और व्यक्तित्व को अपनी राजनीति का हिस्सा बना लिया, जिससे लोग उनसे व्यक्तिगत रूप से जुड़ा महसूस करते हैं।

7. दोनों की दृढ़ सोच

नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही अपने विचारों में दृढ़ और कट्टर माने जाते हैं। मोदी की तरह, ट्रंप ने भी कई मामलों में अपने देश के पारंपरिक दृष्टिकोण से हटकर निर्णय लिए। ट्रंप ने अमेरिका को कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों से बाहर कर दिया, जैसे कि पेरिस जलवायु समझौता। मोदी ने भी कई बार भारत के प्रति कट्टर सोच अपनाते हुए निर्णय लिए।

8. राजनीतिक विरोधियों के प्रति आक्रामक रवैया

दोनों नेता अपने विरोधियों पर सीधा हमला करने से पीछे नहीं हटते। मोदी और ट्रंप ने अपने विरोधियों पर तीखे कटाक्ष और बयान देने में कभी संकोच नहीं किया। जहाँ मोदी ने विपक्ष के खिलाफ अक्सर सख्त रुख अपनाया, वहीं ट्रंप ने अपने विरोधियों को सोशल मीडिया पर भी खुलेआम आलोचना का सामना कराया।

9. असामान्य राजनीतिक पृष्ठभूमि

जहाँ एक ओर नरेंद्र मोदी की शुरुआत राजनीति में एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में हुई, वहीं ट्रंप का राजनीतिक सफर भी सामान्य नहीं था। मोदी चाय बेचने वाले के बेटे थे और उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहकर राजनीति में कदम रखा, तो ट्रंप एक बिजनेसमैन और रियल एस्टेट टायकून थे, जिनके पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं था। बावजूद इसके, दोनों ने ही अपने दम पर राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया।

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10. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान

मोदी और ट्रंप दोनों ही अपने देशों के बाहर भी काफी लोकप्रिय रहे हैं। जहाँ मोदी ने कई देशों में "हाउडी मोदी" और "मोदी इन मैडिसन" जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय समुदाय के साथ सीधे संपर्क बनाया, वहीं ट्रंप भी विदेशी दौरों के दौरान लोगों के बीच अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहे।

11. धार्मिक आधार पर वोट बैंक

मोदी और ट्रंप की राजनीति में धर्म का भी एक बड़ा स्थान रहा है। मोदी जहाँ हिंदू राष्ट्रवाद का पक्ष लेने के लिए जाने जाते हैं, वहीं ट्रंप ने ईसाई धर्म और अमेरिका की पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं के पक्ष में कई बार बयान दिए। दोनों नेताओं का यह पक्ष उनके वोटबैंक को मजबूत करने में सहायक रहा।

12. दोनों का अनौपचारिक रवैया

मोदी और ट्रंप ने हमेशा ही एक अनौपचारिक और जनता के बीच का नेता होने का प्रभाव छोड़ने की कोशिश की है। मोदी ने भारत में सोशल मीडिया पर कई बार अपने निजी जीवन से जुड़ी बातें शेयर कीं, जैसे कि अपने माँ से मिलने की तस्वीरें। वहीं ट्रंप भी कई बार अपने निजी जीवन से जुड़ी चीज़ें जनता के सामने रखते रहे हैं।

13. कोरोना वायरस महामारी में नेतृत्व

मोदी और ट्रंप के नेतृत्व का एक और अहम पड़ाव कोरोना महामारी रहा। दोनों ने अपने-अपने देश में इस महामारी से निपटने के लिए कई कदम उठाए। मोदी ने लॉकडाउन और वैक्सीन ड्राइव पर जोर दिया, जबकि ट्रंप ने वैक्सीन के तेजी से विकास पर ध्यान केंद्रित किया। हालांकि, दोनों को ही इस महामारी के दौरान कुछ फैसलों के लिए आलोचना भी झेलनी पड़ी।

14. सशक्त भाषण शैली

दोनों नेताओं का भाषण देने का अंदाज़ बहुत जोशीला और प्रभावी है। मोदी जहाँ अपनी हिन्दी भाषण शैली से भारतीय जनता के दिलों में जगह बनाते हैं, वहीं ट्रंप की अंग्रेजी भाषण शैली में उनका आत्मविश्वास झलकता है। दोनों ही नेताओं ने अपने भाषणों के जरिए जनता को प्रेरित किया है और उन्हें अपने विचारों से जोड़ा है।

15. समर्थकों की अद्भुत निष्ठा

मोदी और ट्रंप के समर्थक भी अपनी निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। मोदी समर्थक जहाँ उन्हें देश का रक्षक मानते हैं, वहीं ट्रंप समर्थक उन्हें "अमेरिका का उद्धारक" मानते हैं। दोनों नेताओं के समर्थक सोशल मीडिया पर भी उनकी जमकर प्रशंसा करते हैं और उन्हें हर तरह से समर्थन देते हैं।

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नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही एक अलग राजनीतिक शैली और व्यक्तित्व के नेता रहे हैं। इन दोनों की राजनीति में कई समानताएँ देखने को मिलती हैं, जो उनके नेतृत्व और जनसंपर्क के तरीकों में झलकती हैं। जहां एक तरफ मोदी भारत में अपनी मजबूत छवि बनाए हुए हैं, वहीं ट्रंप ने भी अमेरिका में अपनी अलग पहचान बनाई है। दोनों ही नेताओं की राजनीतिक यात्रा उनके समर्थकों और आलोचकों के बीच चर्चा का विषय बनी रहती है।

इन समानताओं को देखकर हम कह सकते हैं कि मोदी और ट्रंप जैसे नेता अपने दृढ़ संकल्प और जनप्रियता के कारण एक मिसाल बने हैं। दोनों ने न केवल अपने देश के लोगों को एक नया नजरिया दिया, बल्कि राजनीति की एक नई परिभाषा भी गढ़ी है।

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