विकास की सौगात के साथ ऑपरेशन सिंदूर पर बात… PM मोदी का मिशन बिहार का आगाज, जानिए इस बार कैसे अलग हैं सियासी समीकरण?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा इस बार सामान्य नहीं, बल्कि एक सशक्त राजनीतिक संदेश लेकर आया है। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पहली बार बिहार की धरती पर कदम रखते हुए पीएम मोदी ने न सिर्फ 50 हजार करोड़ रुपये की विकास योजनाओं का शुभारंभ किया, बल्कि 2025 के विधानसभा चुनाव की भी आधारशिला रख दी। पटना एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का उद्घाटन, बिहटा एयरपोर्ट का शिलान्यास और बिक्रमगंज में जनसभा— हर कार्यक्रम में मोदी ने एक साथ तीन संदेश दिए: विकास, राष्ट्रवाद और एनडीए की एकजुटता। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह दौरा बिहार में बीजेपी के लिए अकेले दम पर सत्ता हासिल करने का रास्ता साफ करेगा?
क्या नीतीश-मोदी मुलाकात में तय होगी सीट शेयरिंग?
पीएम मोदी ने पटना में 4 किलोमीटर लंबा रोड शो किया, जहां 32 स्थानों पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। यह रोड शो सिर्फ जनसमर्थन दिखाने के लिए नहीं, बल्कि यह संकेत देने के लिए था कि "2025 का चुनाव बीजेपी मोदी की लीडरशिप में लड़ेगी।
इसके बाद राजभवन में एनडीए के नेताओं से मुलाकात ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार और बीजेपी नेताओं के बीच सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा हुई या नहीं, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इतना साफ है कि मोदी इस बार नीतीश को "सीनियर पार्टनर" का दर्जा देने के मूड में नहीं दिखे।
बिक्रमगंज की रैली में गूंजा ऑपरेशन सिंदूर का शोर?
बिक्रमगंज में पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए साफ किया कि भारत अब आतंकवादियों को माफ नहीं करेगा।" उन्होंने कहा कि "हमने पहलगाम हमले का जो जवाब दिया, वह दुनिया ने देखा। अब कोई भी हमारी सीमाओं से खिलवाड़ नहीं कर सकता।
यह भाषण सीधे तौर पर बिहार के मतदाताओं को संबोधित था, जहां राष्ट्रवाद और सुरक्षा एक प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा है। बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने भी कहा कि "यह रैली सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि देश की शक्ति का प्रदर्शन है।
क्या बीजेपी अकेले दम पर बिहार जीत पाएगी?
यह पीएम मोदी का लोकसभा चुनाव के बाद पांचवां बिहार दौरा है, जो साबित करता है कि बीजेपी इस बार "नीतीश मुक्त बिहार" का सपना देख रही है। हालांकि, इतिहास गवाह है कि बिहार में बीजेपी कभी भी अकेले सरकार नहीं बना पाई। 2020 के चुनाव में भी नीतीश की जदयू के बिना उसकी स्थिति कमजोर थी।
लेकिन मोदी के इस दौरे ने एक बात तो साफ कर दी है कि बीजेपी इस बार नीतीश को ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं। अगर सीट शेयरिंग पर समझौता नहीं होता है, तो क्या एनडीए टूट जाएगा? या फिर नीतीश को मजबूरी में बीजेपी के शर्तों पर ही चुनाव लड़ना पड़ेगा?
क्या मोदी का बिहार दौरा 2025 चुनाव का गेम-चेंजर साबित होगा?
पीएम मोदी ने बिहार में जिस तरह विकास और राष्ट्रवाद का नया नैरेटिव गढ़ा है, वह 2025 के चुनाव में बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या बीजेपी नीतीश कुमार के बिना बिहार जीत पाएगी? क्या ऑपरेशन सिंदूर का जोश बिहार के मतदाताओं को बीजेपी की ओर खींच पाएगा? एक बात तय है कि मोदी ने इस दौरे से यह संकेत दे दिया है कि "बिहार में अब बीजेपी की बाजी पलटने का समय आ गया है। अब देखना यह है कि नीतीश कुमार इस चुनौती का जवाब कैसे देते हैं!
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