मध्य प्रदेश में खत्म होगा कांग्रेस का वनवास! दलित-पिछड़े और जिलाध्यक्ष बदलेंगे खेल...राहुल ने क्या मंत्र दिया?
Madhya Pradesh Congress: मध्य प्रदेश में कांग्रेस पिछले दो दशकों से सत्ता से बाहर है, जबकि बीजेपी का दबदबा कायम है। सत्ता के इस वनवास को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने की मुहिम शुरू की है। राहुल गांधी ने इसके लिए संगठन सृजन अभियान शुरू किया और भोपाल में छह घंटे तक नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ चार अहम बैठकें कीं।
इस दौरान उन्होंने संगठन को जमीनी स्तर पर दुरुस्त करने, नई लीडरशिप तैयार करने और गुटबाजी खत्म करने की रणनीति पर जोर दिया। राहुल के पांच बड़े सियासी संदेश इस अभियान के केंद्र में रहे।
जिला अध्यक्ष बनेंगे कांग्रेस का भविष्य
राहुल गांधी ने साफ किया कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस का भविष्य जिला अध्यक्षों के हाथ में है। उन्होंने कहा, "जो जिला अध्यक्ष बनेंगे, वही पार्टी को भविष्य में चलाएंगे।" जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में पारदर्शिता पर जोर देते हुए राहुल ने बताया कि दिल्ली से ऑब्जर्वर भेजे जाएंगे, जो गुजरात मॉडल की तरह हर जिले में नेताओं से बात कर नाम फाइनल करेंगे। पुराने और नए नेताओं की सूची देखी जाएगी, और अगर ऑब्जर्वर ने गड़बड़ी की, तो उन पर भी कार्रवाई होगी।
जिला अध्यक्षों को मिलेगी ज्यादा ताकत
राहुल ने जिला संगठन को मजबूत करने की रणनीति बनाई है। उन्होंने कहा कि जिला अध्यक्षों को ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे, ताकि संगठन ब्लॉक और गांव स्तर तक मजबूत हो। नए जिला अध्यक्षों का मूल्यांकन उनके प्रदर्शन के आधार पर होगा, जैसे- वोटों में बढ़ोतरी, स्थानीय निकाय चुनावों में प्रदर्शन, और विधानसभा-लोकसभा चुनावों में नतीजे। साथ ही, उम्मीदवार चयन में जिला अध्यक्षों की राय को अहमियत दी जाएगी, जो पहले राष्ट्रीय और प्रदेश नेताओं के हाथ में थी।
दलित-पिछड़ों के मुद्दों पर फोकस
राहुल गांधी ने कांग्रेस की रणनीति में बड़ा बदलाव लाने की बात कही। उन्होंने दलित, पिछड़े, आदिवासी, गरीब, और अल्पसंख्यक समुदायों के मुद्दों पर मुखर रहने का निर्देश दिया। राहुल ने कहा, "जब इन वर्गों पर हमला हो, तब कांग्रेस उनके साथ खड़ी होनी चाहिए।" संगठन का आकलन इस आधार पर भी होगा कि वह इन समुदायों के लिए कितना सक्रिय है।
‘लंगड़े घोड़े’ को बाहर का रास्ता
राहुल ने नेताओं को स्पष्ट चेतावनी दी कि काम न करने वालों की अब पार्टी में कोई जगह नहीं। उन्होंने नेताओं को तीन श्रेणियों में बांटा: रेस का घोड़ा (जो मेहनत करता है), बारात का घोड़ा (जो औपचारिक काम करता है), और लंगड़ा घोड़ा (जो सिर्फ टाइम पास करता है)। राहुल ने कहा, "रेस के घोड़े को रेस में, बारात के घोड़े को बारात में भेजेंगे, और लंगड़े घोड़े को रिटायर करेंगे।" यानी, जो नेता सिर्फ सिफारिशों के दम पर पद पाए और काम नहीं करते, उन्हें हटाया जाएगा।
नई लीडरशिप को मौका
राहुल गांधी ने युवा और जुझारू नेताओं को आगे लाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जिला अध्यक्षों को सभी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना होगा, न कि अपनी निजी राजनीति करनी होगी। जिम्मेदारी के साथ-साथ उन्हें अधिकार भी दिए जाएंगे। राहुल ने यह भी कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष, उनके, और केसी वेणुगोपाल के दरवाजे जिला अध्यक्षों के लिए हमेशा खुले रहेंगे।
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