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"सावरकर पर राहुल के तंज, इंदिरा के सम्मान को पहुंचाते हैं ठेस": सावरकर की जयंती से पूर्व गिरिराज ने कांग्रेस को क्या कह डाला?

सावरकर जयंती से पहले गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी को उनकी दादी इंदिरा गांधी की श्रद्धा याद दिलाई—यह बयान कांग्रेस की बदली सोच पर वार है। सावरकर जयंती से पहले गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी को उनकी दादी इंदिरा गांधी की श्रद्धा याद दिलाई—यह बयान कांग्रेस की बदली सोच पर वार है।
12:51 PM May 28, 2025 IST | Rohit Agrawal
सावरकर जयंती से पहले गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी को उनकी दादी इंदिरा गांधी की श्रद्धा याद दिलाई—यह बयान कांग्रेस की बदली सोच पर वार है। सावरकर जयंती से पहले गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी को उनकी दादी इंदिरा गांधी की श्रद्धा याद दिलाई—यह बयान कांग्रेस की बदली सोच पर वार है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को विनायक दामोदर सावरकर पर बार-बार की जा रही तीखी टिप्पणियों के लिए आड़े हाथों लिया है। सावरकर जयंती की पूर्व संध्या पर एक कार्यक्रम में सिंह ने राहुल को याद दिलाया कि उनकी दादी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सावरकर को सम्मानित किया था और उनके नाम पर डाक टिकट तक जारी किया था। यह तीखा हमला न केवल राहुल की बयानबाजी पर सवाल उठाता है, बल्कि कांग्रेस की विचारधारा में आए बदलाव को भी उजागर करता है। आइए, इस विवाद के विभिन्न पहलुओं पर नजर डालें।

सावरकर जयंती से पूर्व क्या बोले गिरिराज सिंह?

राहुल गांधी ने हाल के वर्षों में कई बार वीर सावरकर को लेकर विवादास्पद बयान दिए हैं। उन्होंने सावरकर को "अंग्रेजों का नौकर" और "माफीवीर" जैसे शब्दों से नवाजा, जिससे बीजेपी और हिंदुत्व समर्थकों में गुस्सा भड़क गया।

2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के अकोला में राहुल ने सावरकर पर तंज कसते हुए कहा था कि वे मर जाएंगे, लेकिन माफी नहीं मांगेंगे, जैसा कि सावरकर ने किया। इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने भी राहुल को फटकार लगाई थी, यह कहते हुए कि स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान अस्वीकार्य है। गिरिराज सिंह ने राहुल के इन बयानों को "राष्ट्र-विरोधी" करार देते हुए कहा कि वे सावरकर जैसे महान क्रांतिकारी की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं।

क्या इंदिरा गांधी ने सावरकर को दिया था सम्मान?

गिरिराज सिंह ने राहुल की आलोचना करते हुए उनकी दादी इंदिरा गांधी का जिक्र किया, जिन्होंने 1970 में सावरकर के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था। इतना ही नहीं, इंदिरा ने सावरकर ट्रस्ट को 11,000 रुपये का निजी दान दिया और 1983 में उनके जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने का आदेश भी दिया। इंदिरा ने सावरकर को "भारत का अद्भुत सपूत" तक कहा था। सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि राहुल अपनी दादी के इस सम्मान को भूलकर सावरकर को गाली दे रहे हैं, जो कांग्रेस की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है। यह सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस की नई पीढ़ी अपनी ही विरासत से कट चुकी है?

हिंदुत्व के प्रतीक क्यों हैं सावरकर?

विनायक दामोदर सावरकर हिंदुत्व विचारधारा के जनक माने जाते हैं, जिन्होंने 1923 में अपनी किताब में "हिंदुत्व" शब्द को परिभाषित किया। बीजेपी और आरएसएस उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रवादी के रूप में देखते हैं।

हालांकि, सावरकर का अंग्रेजों को लिखा माफीनामा हमेशा विवाद का विषय रहा है। राहुल और कांग्रेस इस मुद्दे को बार-बार उठाकर बीजेपी के राष्ट्रवाद के दावों पर सवाल उठाते हैं। दूसरी ओर, बीजेपी नेता जैसे सुनील देवधर का दावा है कि सावरकर ने कभी माफी नहीं मांगी, बल्कि यह रणनीति थी। इस तर्क-वितर्क में सावरकर की छवि एक ध्रुवीकृत मुद्दा बन चुकी है।

भाषण के दौरान और क्या बोल गए गिरिराज सिंह?

गिरिराज सिंह ने अपने भाषण में राष्ट्र और देश के बीच अंतर को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि देश एक भौगोलिक इकाई है, लेकिन राष्ट्र लोगों की भावनाओं का प्रतीक है। उन्होंने इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा कि भले ही वह कुछ समय के लिए भौगोलिक रूप से गायब रहा, लेकिन यहूदी दिलों में राष्ट्र जिंदा रहा। सिंह ने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा राष्ट्र को केंद्र में रखा, चाहे वह सामाजिक समरसता हो या जातिगत जनगणना का मुद्दा। यह बयान राहुल के उन बयानों का जवाब था, जिनमें उन्होंने संविधान को गैर-भारतीय बताने वाले सावरकर के विचारों की आलोचना की थी।

BJP ने पलटवार करके राहुल पर दागे सवाल

बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए उनके बयानों को "झूठ का पुलिंदा" करार दिया। सुनील देवधर ने राहुल को "मूर्ख" तक कह डाला, यह आरोप लगाते हुए कि वे सावरकर को बदनाम करने के लिए गलत तथ्य पेश करते हैं। गिरिराज सिंह ने भी राहुल और कांग्रेस पर देश-विरोधी बयानबाजी का आरोप लगाया, यह कहते हुए कि उनकी राजनीति झूठ और भ्रम पर टिकी है। बीजेपी का यह हमला न केवल सावरकर के मुद्दे पर है, बल्कि यह कांग्रेस की समग्र रणनीति को कमजोर करने की कोशिश भी दर्शाता है।

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