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25 बैठकों में सिर्फ 1 बिल! दिल्ली विधानसभा का वो शर्मनाक रिकॉर्ड जिसने तोड़े सारे रिकॉर्ड

2024 में दिल्ली विधानसभा ने 25 बैठकों में सिर्फ एक बिल पास किया, जबकि राष्ट्रीय औसत 17 है। क्या रेखा गुप्ता बदलाव ला पाएंगी?
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दिल्ली विधानसभा ने 2024 में एक ऐसा अजीबोगरीब रिकॉर्ड बनाया है जिस पर शायद ही कोई गर्व करे। PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च की ताजा रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि पूरे साल में हुई 25 बैठकों में दिल्ली विधानसभा ने सिर्फ एक ही बिल पास किया। दरअसल दिल्ली गुड्स एंड सर्विस टैक्स एक्ट, 2024 का यह आंकड़ा पूरे देश के औसत (17 बिल प्रति विधानसभा) से कहीं नीचे है और दिल्ली की विधायी निष्क्रियता को बेपर्दा करता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह कि यह एकमात्र बिल भी उसी दिन पास कर दिया गया जिस दिन पेश किया गया था, जो विधायी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

बैठकों का खेल तो खूब हुआ लेकिन आउटपुट शून्य

दिल्ली विधानसभा ने 2024 में 25 बैठकें करके राष्ट्रीय औसत (20 बैठकें) को पीछे छोड़ दिया, लेकिन काम की बात करें तो ये बैठकें महज दिखावा साबित हुईं। ओडिशा (42 बैठकें) और केरल (38 बैठकें) जैसे राज्यों ने जहां क्रमशः 3 और 15 बिल पास किए, वहीं दिल्ली का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। हैरानी की बात यह कि दिल्ली विधानसभा का सत्र फरवरी से दिसंबर तक चला (तमिलनाडु के साथ सबसे लंबा), लेकिन कुल कार्यसमय महज 57 घंटे रहा जोकि राष्ट्रीय औसत (100 घंटे) से आधे से भी कम!

आप के 62 विधायकों के कमाल का है नतीजा?

2024 में दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 62 विधायक थे, जबकि बीजेपी के सिर्फ 8। इतने बड़े बहुमत के बावजूद सरकार ने जनहित के किसी नए कानून को पास कराने की जहमत तक नहीं उठाई। विडंबना देखिए कि हरियाणा जैसे राज्य ने जहां 13 बैठकों में 23 बिल पास किए, वहीं दिल्ली की सरकार ने अपने बहुमत का इस्तेमाल सिर्फ एक बिल पास करने में किया। क्या यह विधायिका के प्रति उदासीनता नहीं है? विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़ा दिल्ली सरकार की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

क्या 2025 में बनी BJP की रेखा गुप्ता सरकार बदलाव लाएगी?

दरअसल 2025 के विधानसभा चुनावों मे BJP की जीत के बाद अब सवाल यह है कि क्या नई सरकार इस विधायी निष्क्रियता को बदल पाएगी? रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार के सामने अब बड़ी चुनौती है कि वे न सिर्फ बैठकों की संख्या, बल्कि गुणवत्ता पर भी ध्यान दें।

1998 के बाद पहली बार दिल्ली में बीजेपी सरकार बनने के बाद, उम्मीद की जा रही है कि विधानसभा अपनी खोई हुई गरिमा को फिर से हासिल करेगी। लेकिन क्या वाकई ऐसा होगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा!\

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