Turkey Boycott पर सवाल सुनते ही क्यों सक बका गए कांग्रेस नेता? वीडियो वायरल होने पर मचा सियासी संग्राम
भारत के साथ तनाव में तुर्की द्वारा पाकिस्तान को दिए गए समर्थन के खिलाफ देशभर में जबरदस्त आक्रोश फैला हुआ है। भारतीयों ने तुर्की पर्यटन और उत्पादों का बहिष्कार शुरू कर दिया है। लेकिन इस मुद्दे पर जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से सवाल किया गया तो वे जवाब देने से बचते नजर आए। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश और प्रवक्ता पवन खेड़ा के बीच माइक सरकाने का नजारा देखने को मिला, जिसने एक नया राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है।
कांग्रेस नेताओं ने क्यों टाला सवाल?
दरअसल मीडिया से पूछे गए सीधे सवाल पर कांग्रेस के दोनों नेताओं ने असहजता दिखाई। वीडियो फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि जयराम रमेश ने माइक पवन खेड़ा की तरफ सरकाया, जबकि खेड़ा ने कहा "हम इस पर बाद में बात करेंगे"। यह देखते ही BJP ने हमला बोल दिया। पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर कांग्रेस पर जनभावनाओं से कटे होने का आरोप लगाया।
बीजेपी और कांग्रेस ने एक दूसरे पर लगाए आरोप
बीजेपी IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इसको लेकर लिखा कि "जब देश तुर्की के पाक समर्थन के खिलाफ एकजुट है, कांग्रेस साफ स्टैंड लेने से कतरा रही है।" उन्होंने कांग्रेस के राजनीतिक अलगाव को इसका प्रमाण बताया। इसके जवाब में पवन खेड़ा ने सरकार को घेरते हुए पूछा कि"क्या सरकार ने तुर्की के साथ राजनयिक संबंध तोड़ दिए हैं? विदेश नीति सरकार बनाती है, विपक्ष नहीं।"
PM ने भारत के लोगों से क्यों बोला झूठ?
वहीं कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्री एस जयशंकर को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि मोदी सरकार ने भारतीय क्षेत्र पर चीन के लगातार अतिक्रमण के बावजूद उसके साथ सामान्य संबंध क्यों रखा। या प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों से झूठ क्यों बोला और 19 जून, 2020 को चीन को उसके अतिक्रमण के लिए सार्वजनिक रूप से क्लीन चिट देकर राष्ट्रीय हितों को अपूरणीय क्षति क्यों पहुंचाई।
सोशल मीडिया पर CongressSupportsTurkey हुआ ट्रेंड
इस पूरे प्रकरण ने सोशल मीडिया को हिलाकर रख दिया है। चारों तरफ़ कांग्रेस लीडर्स के इस माइक ड्रामे का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। साथ ही ट्विटर पर CongressSupportsTurkey ट्रेंड करने लगा है, जबकि कांग्रेस समर्थक #ModiSilentOnTurkey से सरकार को घेर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना कांग्रेस की विदेश नीति संबंधी दुविधा को उजागर करती है, जहां वह न तो सरकार का खुलकर समर्थन कर पा रही है और न ही जनभावनाओं के साथ खड़ी हो पा रही है।
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