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कौन होते हैं DGMO, जिनके बीच बातचीत से टल गया भारत-पाकिस्तान का 'युद्ध'!

Operation Sindoor: भारत-पाकिस्तान के बीच पिछले करीब 4 दिन से युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई थी। शनिवार शाम करीब 5 बजे सीजफायर होने से गोलीबारी पर ब्रेक लग गया है।
09:00 PM May 10, 2025 IST | Pushpendra Trivedi
Operation Sindoor: भारत-पाकिस्तान के बीच पिछले करीब 4 दिन से युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई थी। शनिवार शाम करीब 5 बजे सीजफायर होने से गोलीबारी पर ब्रेक लग गया है।

Operation Sindoor: भारत-पाकिस्तान के बीच पिछले करीब 4 दिन से युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई थी। शनिवार शाम करीब 5 बजे सीजफायर होने से गोलीबारी पर ब्रेक लग गया है। दोनों देशों के DGMO में बातचीत के (Director General of Military Operations) बाद यह संभव हो पाया है। ऐसे में अब यह जानना जरूरी है कि DGMO कौन होते हैं, उनका क्या काम होता है और युद्ध जैसी स्थिति बनने पर उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है।

अब जानिए कौन होते हैं DGMO?

यह Director General of Military Operations (DGMO) यानी महानिदेशक सैन्य अभियोजन भारतीय सेना का एक उच्च पद होता है, जो सभी सैन्य अभियानों की जिम्मेदारी संभालता है। इस समय भारत के DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई हैं। बताया जाता है कि बार्डर पर तैनात सैनिकों से लेकर युद्ध क्षेत्र में चल रहे सभी अभियानों की कमान और दिशा-निर्देश इन्हीं के हाथों में होते हैं। किसी भी सैन्य संघर्ष की स्थिति में DGMO ही वो अधिकारी होते हैं जो सबसे पहले जंग की रणनीति तय करते हैं।

सैन्य अभियानों की जिम्मेदारी DGMO के पास

बताया जाता है कि DGMO का काम सिर्फ जमीनी स्तर की कमान तक सीमित नहीं होता है। DGMO आतंकवाद विरोधी अभियानों, सीमा प्रबंधन और शांति स्थापना जैसे मिशनों के लिए रणनीति भी बनाते हैं। DGMO सेना की तीनों शाखाएं थल सेना, वायुसेना और नौसेना के साथ आपसी समन्वय के साथ काम करते हैं। वे सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया तंत्र के बीच भी एक पुल का कार्य करते हैं।

RAW, IB और NIA के साथ भी होता हैं संवाद

DGMO के पास सारी सैन्य और खुफिया जानकारियां सबसे पहले पहुंचती हैं। इन सूचनाओं के आधार पर ही वे योजना बनाते हैं और आगे की रणनीति तय करते हैं। इसके लिए उन्हें RAW (Research and Analysis Wing), IB (Intelligence Bureau) और NIA (National Investigation Agency) जैसी एजेंसियों के साथ निरंतर संपर्क में रहना होता है। इसके अलावा PMO और Defence of ministry के उच्च अधिकारियों को भी समय-समय पर उनकी रिपोर्ट दी जाती है।

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