G-7 Summit 2025: जानिए आखिर क्या है G7 समिट, जिसका सदस्य नहीं होने के बावजूद भारत को किया जाता है आमंत्रित?
G-7 Summit 2025: G-7 दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का एक समूह है, जिसे ग्रुप ऑफ सेवन के नाम से भी जाना जाता है। इस संगठन में अमेरिका, फ्रांस, जापान, इटली, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा शामिल है। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत G-7 का हिस्सा नहीं है, बावजूद इसके हर साल समिट में भारत को आमंत्रित (PM Modi Visit Canada) किया जाता है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क जे. कॉर्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर G-7 समिट में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। निमंत्रण मिलने पर प्रधानमत्री मोदी ने भी उनका आभार व्यक्त किया। हालांकि, पहले G-7 समिट में भारत को न्यौता न मिलने पर विपक्षी पार्टियां विदेश नीति को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रही थीं। अब सवाल यह है कि आखिर G-7 क्या है और आखिर भारत इसका हिस्सा क्यों नहीं है तो आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है G-7 समूह?
बता दें कि, G-7 दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था (What is G-7 Summit) और और यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक समूह है। G-7 संगठन में अमेरिका, फ्रांस, जापान, इटली, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा जैसे देश शामिल हैं। 1975 में 6 देश फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, इटली, जापान, इंग्लैंड और अमेरिका ने समूह बनाया था, उस वक्त इसे G-6 समूह कहा जाता था। 1976 में कनाडा के जुड़ने से यह G-7 हो गया। इसके बाद 1998 में रूस को इस ग्रुप में जोड़ा गया जिसके जिसके चलते यह G-8 संगठन बन गया। हालांकि, साल 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद रूस को इस संगठन से निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद यह फिर से G-7 संगठन बन गया।
कनाडा कर रहा G-7 समिट की अध्यक्षता
बता दें कि, G-7 संगठन में अमेरिका, फ्रांस, जापान, इटली, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा (G-7 Summit 2025) शामिल हैं। G-7 समूह का कोई मुख्यालय नहीं है और बारी-बारी से सभी सदस्य देश इस संगठन की अध्यक्षता करते हैं। इस साल कनाडा G-7 समिट की अध्यक्षता कर रहा है। G-7 समिट में कई देशों को आमंत्रित किया जाता है। इसी कड़ी में भारत 2019 से इस संगठन में लगातार आमंत्रित किया जा रहा है। इसी तरह से यूरोपियन यूनियन भी G-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेता है।
भारत G-7 संगठन का हिस्सा क्यों नहीं है?
जब G-7 दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों का संगठन और भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मजबूत अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत इसमें शामिल क्यों नहीं है। आइए इसके बारे में जानते हैं। दरअसल, जब G-7 समूह का गठन हुआ था, तब भारत एक विकासशील देश था और गरीबी से जूझ रहा था। उस समय भारत इस संगठन के मानदंडों पर खरा नहीं उतर रहा था। इसलिए उस समय भारत इस संगठन का हिस्सा नहीं था। हालांकि, अब भारत की गिनती दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में होती हो ऐसे में G-7 समिट में भारत को आमंत्रित करना इस संगठन की मजबूरी है। वर्तमान समय में दुनिया की बड़ी और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से G-7 शिखर सम्मेलन में भारत को लगातार आमंत्रित किया जा रहा है।
G-7 2025 समिट का एजेंडा
2019 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 बार से G-7 शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। पीएम मोदी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Former Prime Minister Manmohan Singh) ने भी G-7 समिट के 5 संस्करणों में भाग लिया था। बता दें कि, इस वर्ष कनाडा में हो रहे G-7 2025 समिट का एजेंडा वैश्विक शांति और सुरक्षा मजबूत करना है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय अपराध का मुकाबला कैसे किया जाए यह भी एजेंडा है। इसके अलावा जंगल की आग जैसी आपदा से निपटना, ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल चुनौतियां, AI और महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति इस बार मुख्य एजेंडा है।