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लोकतंत्र की हत्या पर मूकदर्शक नहीं बना जा सकताः कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति पर सदन की कार्यवाही के दौरान पक्षपात करने का आरोप लगाया है। वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अजय माकन ने कहा कि हम लोकतंत्र की हत्या पर मूकदर्शक नहीं बने रह सकते। इस...
03:03 AM Aug 10, 2024 IST | एन नवराही

नई दिल्ली। कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति पर सदन की कार्यवाही के दौरान पक्षपात करने का आरोप लगाया है। वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अजय माकन ने कहा कि हम लोकतंत्र की हत्या पर मूकदर्शक नहीं बने रह सकते। इस दौरान राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी भी मौजूद थे।

पत्रकारों से बातचीत के दौरान कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि पूरा विपक्ष महसूस करता है कि सभापति का रवैया पक्षपातपूर्ण है। विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा एक मापदंड तय करता है कि सभी सदनों को किस तरह से चलाया जाए। ऐसे में वहां पर सभापति जी को किसी भी पक्ष का साथ नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा, अगर सदन के अंदर विपक्ष की आवाज नहीं गूंजेगी तो लोकतंत्र कैसे चलेगा।

वहीं प्रमोद तिवारी ने कहा कि ये संसदीय परंपरा है कि सदन के अंदर नेता प्रतिपक्ष और नेता सदन को अपनी बात रखने की प्राथमिकता मिलती है। लेकिन काफी दिनों से ऐसा हो रहा है कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने की अनुमति नहीं मिलती। उनका माइक बंद कर दिया जाता है। अगर हम देश की जनता के अधिकारों की आवाज सदन में नहीं उठा सकते तो यह लोकतंत्र का हनन है। उन्होंने कहा कि खरगे 50 साल से अधिक के अनुभव वाले सबसे वरिष्ठ सांसदों में से एक हैं और उन्होंने हमेशा शोषितों, दलितों और गरीबों से जुड़े मुद्दों को उठाया है।

कांग्रेस के उपनेता ने भाजपा सदस्य घनश्याम तिवाड़ी द्वारा खरगे के खिलाफ इस्तेमाल की गई अशिष्ट भाषा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि घनश्याम तिवाड़ी ने नेता प्रतिपक्ष के लिए जिन शब्दों का चयन किया, वो अच्छे नहीं थे। यह अपमानजनक और अस्वीकार्य है। इस पर नेता प्रतिपक्ष द्वारा एक विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया था। इस मामले में कहा गया कि तिवाड़ी ने चैंबर में कहा था कि जो कुछ गलत हुआ, उसके लिए वे माफी मांगने को तैयार हैं। हम यह चाहते थे कि तिवाड़ी जी यही बात सदन में कह दें।

उन्होंने वरिष्ठ सांसद जया बच्चन द्वारा राज्यसभा के सभापति की भाव-भंगिमा को अनुचित बताए जाने का भी हवाला दिया। उन्होंने विपक्ष के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह सदन का प्रस्ताव नहीं, बल्कि एनडीए का प्रस्ताव है। हम लोकतांत्रिक तरीके से जनता की आवाज उठाते रहेंगे, लेकिन सरकार जो निंदा प्रस्ताव लाई है, वो दिखाता है कि इनका रवैया तानाशाही भरा है।

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