बेंगलुरु भगदड़ केस में बुरे फंसे कोहली! सरकारी लापरवाही का ठीकरा क्यों फोड़ रहे हैं विराट पर?
Bengaluru Stampede Case: बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई भीषण भगदड़ ने अब एक राजनीतिक और कानूनी तूफान को जन्म दे दिया है, जिसकी आंच में RCB के स्टार खिलाड़ी विराट कोहली तक पहुंच गई है। 4 जून को आयोजित RCB की विजय परेड के दौरान हुई इस दर्दनाक घटना में 11 लोगों की मौत और 50 से अधिक घायल होने के बाद अब पुलिस ने कोहली समेत टीम प्रबंधन, KSCA और आयोजक कंपनी के खिलाफ आधिकारिक शिकायत दर्ज की है। सवाल यह है कि क्या एक खिलाड़ी को इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, या फिर यह सिर्फ प्रशासनिक विफलताओं को छिपाने का एक राजनीतिक दांव है?
क्यों दर्ज हुई कोहली के खिलाफ शिकायत?
कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन में दर्ज इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि RCB प्रबंधन ने पुलिस अनुमति के बिना ही परेड का आयोजन कर दिया था। दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले बेंगलुरु पुलिस ने स्पष्ट तौर पर 7 जून को परेड आयोजित करने का सुझाव दिया था, लेकिन KSCA और RCB ने 4 जून को ही समारोह करने पर जोर दिया।
जांच में यह भी सामने आया कि RCB के मार्केटिंग हेड निखिल सोसाले ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके लाखों फैंस को स्टेडियम खिंचवा लिया, जबकि सुरक्षा व्यवस्था पर कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई थी। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब आयोजकों और प्रशासन दोनों ने लापरवाही दिखाई, तो फिर सिर्फ खिलाड़ियों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?
कर्नाटक सरकार ने क्यों किया शीर्ष अधिकारियों का तबादला?
इस घटना के बाद कर्नाटक सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सिटी कमिश्नर बी दयानंद समेत कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। नए पुलिस कमिश्नर के रूप में सीमांत कुमार सिंह की नियुक्ति की गई है। हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि यह फैसला सिर्फ जनता का गुस्सा शांत करने के लिए किया गया है, क्योंकि सरकार स्वयं इस आयोजन में शामिल थी। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यालय ने पुलिस की सलाह को नजरअंदाज करते हुए 4 जून को ही कार्यक्रम करने का दबाव बनाया था। क्या यह मामला सिर्फ अधिकारियों को बलि का बकरा बनाकर राजनीतिक नेतृत्व की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश है?
क्या कोहली और RCB प्रबंधन को होगी कड़ी सजा?
अभी तक RCB के मार्केटिंग हेड निखिल सोसाले और आयोजक कंपनी DNA एंटरटेनमेंट के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। हालांकि, विराट कोहली के खिलाफ अभी तक कोई सीधी कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन पुलिस की FIR में उनका नाम शामिल होने से यह स्पष्ट है कि जांच का दायरा बढ़ सकता है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 304A (लापरवाही से मौत) और 337 (जानबूझकर किए गए कार्य से चोट पहुंचाना) के तहत मामला बन सकता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या एक खिलाड़ी, जो सिर्फ टीम का प्रतिनिधित्व कर रहा था, को इस हादसे की कानूनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए?
क्या यह सियासी दबाव का नतीजा है?
इस पूरे मामले ने कर्नाटक की राजनीति और क्रिकेट प्रशासन को एक अजीब मोड़ पर ला खड़ा किया है। एक तरफ जहां पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विराट कोहली जैसे सुपरस्टार को भी कानूनी घेरे में लाने की कोशिश की जा रही है। क्या यह मामला वास्तव में न्याय पाने की दिशा में एक ईमानदार प्रयास है, या फिर सार्वजनिक रोष को शांत करने के लिए किया गया एक सुनियोजित दिखावा? अगले कुछ दिनों में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, इस सवाल का जवाब मिलना तय है। लेकिन अभी तक यह केस सिर्फ एक ही सच उजागर करता है कि भारत में बड़े आयोजनों की सुरक्षा व्यवस्था अभी भी लचर है, और जब हादसा होता है तो जिम्मेदारी तय करने के बजाय सिर्फ दोषी ढूंढने की होड़ शुरू हो जाती है।
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