India-Pak तनाव के बीच आधी रात हुई खास बातचीत, फोन लाइन पर थे जयशंकर और शहबाज... आखिर किसने बढ़ाया पहला कदम?
India pakistan tension 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदुओं के नरसंहार के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव आसमान छू रहा है। भारत ने आतंकियों को "मिट्टी में मिलाने" की कसम खाई है, तो पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रोना रोकर भारत को "हमले की तैयारी" का आरोप लगा रहा है। इस बीच, अमेरिका ने आधी रात को दोनों देशों के नेताओं से फोन पर बात करके तनाव कम करने की कोशिश की। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से अलग-अलग बातचीत की, जिसमें उन्होंने संयम बरतने की अपील की।
अमेरिका ने क्या कहा भारत और पाकिस्तान को?
भारत से बातचीत: जयशंकर के साथ हुई वार्ता में रुबियो ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की अमेरिकी प्रतिबद्धता दोहराई। साथ ही, उन्होंने भारत से पाकिस्तान के साथ तनाव कम करने का आग्रह किया।
पाकिस्तान को लगी फटकार: शहबाज शरीफ से बात करते हुए रुबियो ने साफ कहा कि पाकिस्तान को हमले की जांच में पूरा सहयोग करना चाहिए। अमेरिका ने इस्लामाबाद से आतंकवादियों को जवाबदेह ठहराने और भारत के साथ सीधा संवाद बहाल करने का आह्वान किया।
अंतरराष्ट्रीय चिंता: अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि पहलगाम हमला पूरे दक्षिण एशिया की शांति के लिए खतरा है और आतंकवाद से निपटने में अमेरिका भारत के साथ खड़ा है।
"आतंकियों को मिलेगी मौत की सजा": भारत
भारत ने अमेरिका के समर्थन का स्वागत किया, लेकिन साफ कर दिया कि वह पाकिस्तानी आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। सूत्रों के मुताबिक, जयशंकर ने रुबियो को बताया कि भारत के पास पाकिस्तानी आतंकियों की भूमिका के ठोस सबूत हैं और वह "सही समय पर सही जवाब" देगा। सेना को मिली खुली छूट के बाद अब यह सवाल है कि भारत कब और कैसे जवाबी कार्रवाई करेगा।
अमेरिकी दबाव में शहबाज का रोना
पाकिस्तानी मीडिया ने शहबाज शरीफ की बातचीत को "शांति प्रयास" बताया, लेकिन सच यह है कि अमेरिकी दबाव के आगे उन्हें झुकना पड़ा। पाकिस्तान को डर है कि अगर भारत ने सैन्य कार्रवाई की तो उसकी बची-खुची अर्थव्यवस्था भी चौपट हो जाएगी। इसलिए, शहबाज ने अमेरिका से मदद मांगी, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि बिना कार्रवाई के बातचीत नहीं होगी।
क्या अब टल गया युद्ध?
अमेरिका के हस्तक्षेप से तनाव थोड़ा कम हुआ है, लेकिन भारत ने अपने रुख से कोई समझौता नहीं किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अभी भी सैन्य या साइबर हमले की तैयारी कर रहा है, लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने के बाद ही कोई बड़ा कदम उठाएगा। पाकिस्तान के लिए यह चेतावनी है कि अगर उसने आतंकियों को नहीं सौंपा तो भारत अपने तरीके से जवाब देगा।
अमेरिकी दखल से क्या बदलेगा?
अमेरिका ने इस संकट में मध्यस्थ की भूमिका निभाकर दोनों देशों को युद्ध के कगार से खींच लिया है, लेकिन भारत का धैर्य अब टूट रहा है। पहलगाम हमले के बाद देश में आक्रोश है और मोदी सरकार कोई ठोस कार्रवाई किए बिना पीछे नहीं हटेगी। अब देखना यह है कि क्या पाकिस्तान जांच में सहयोग करेगा या फिर भारत को सैन्य कार्रवाई करनी पड़ेगी? एक बात तय है कि इस बार भारत चुप नहीं बैठेगा!
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