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US-China Trade War: ट्रेड वार में ऐसा उलझा अमेरिका-चीन कि भारत के फेवर में मैच, बाजार का इशारा समझ‍िए

US-China Trade War: नई दिल्‍ली। अमेरिका के साथ चीन बेहद खराब व्‍यापार युद्ध में उलझ चुका है। एक-दूसरे के खिलाफ चीन और अमेरिका ने टैरिफ की ऊंची दीवारें खड़ी कर दी हैं।
07:27 PM Apr 17, 2025 IST | Pushpendra Trivedi
US-China Trade War: नई दिल्‍ली। अमेरिका के साथ चीन बेहद खराब व्‍यापार युद्ध में उलझ चुका है। एक-दूसरे के खिलाफ चीन और अमेरिका ने टैरिफ की ऊंची दीवारें खड़ी कर दी हैं।

US-China Trade War: नई दिल्‍ली। अमेरिका के साथ चीन बेहद खराब व्‍यापार युद्ध में उलझ चुका है। एक-दूसरे के खिलाफ चीन और अमेरिका ने टैरिफ की ऊंची दीवारें खड़ी कर दी हैं। टैरिफ की दरें इतनी ज्‍यादा हैं कि अमेरिका का चीन में और चीन का अमेरिका में वस्‍तुओं को बेच पाना लगभग नामुमकिन हो गया है। अब किसी को समझ नहीं आ रहा है कि यह व्‍यापार युद्ध किस लेवल तक जाएगा? अमेरिका पूरी तरह से चीन के दबदबे को खत्‍म करना चाहता है। अपनी आक्रामकता की वजह से अमेरिकी मैदान में ड्रैगन क्‍लीन बोल्‍ड हो चुका है। हालांकि, इस ट्रेड वॉर ने भारत के फेवर में मैच कर दिया है। भारतीय शेयर बाजार भी इस ओर इशारा कर रहे हैं।

ट्रेड वार से भारत को फायदा

भारतीय शेयर बाजार अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को भारत के लिए अनुकूल अवसर के रूप में देख रहा है। चार कारोबारी सत्रों में ग्‍लोबल रुझानों के विपरीत बाजार में आई तेजी इस विश्वास को दर्शाती है। यह दिखाता है कि भारत इस भू-राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य का फायदा उठाने की स्थिति में है। निवेशकों और नीति निर्माताओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि वे इस अवसर को भुनाने के लिए सही कदम उठाएं। अन्य वैश्विक कारक भी भारतीय बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, सावधानीपूर्वक निगरानी और व्‍यापक आर्थिक नजरिया बनाए रखना जरूरी है।

भारतीय शेयर बाजार में लगातार चौथे दिन तेजी

गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में लगातार चौथे दिन तेजी देखने को मिली। बीएसई सेंसेक्स 1,509 अंक या 1.96% बढ़कर 78,553 अंक पर बंद हुआ। वहीं, एनएसई निफ्टी 414 अंक या 1.77% चढ़कर 23,851 पर पहुंच गया। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 4.33 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 419.33 लाख करोड़ रुपए हो गया। बैंकिंग शेयरों में तेजी, एफआईआई की खरीदारी, जापान और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता, डॉलर में कमजोरी और अमेरिकी टैरिफ छूट से बाजार को समर्थन मिला। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भी महंगाई की चिंता कम हुई।

अमेरिकी टैरिफ नीतियों और ग्‍लोबल अर्थव्यवस्था में मंदी की चिंता के बावजूद भारतीय बाजार तेजी के रथ पर सवार है। वहीं, दुनिया के तमाम बाजारों में इसके चलते भारी गिरावट है। यानी भारतीय बाजारों की तेजी ट्रेंड से बिल्‍कुल अलग है। अब ये भी समझने की कोशिश करते हैं कि ऐसा हुआ क्‍यों है।

टूटते ट्रेंड का मतलब क्‍या है?

आमतौर पर भारतीय बाजार ग्‍लोबल बाजारों के साथ तालमेल बैठाते हैं। अगर वैश्विक बाजार में गिरावट होती है तो भारतीय बाजार में भी नकारात्मक रुझान देखने को मिलता है। लेकिन, पिछले चार सत्रों में यह ट्रेंड टूटा है। इसका मतलब है कि कुछ खास फैक्‍टर भारतीय बाजार को ऊपर की ओर धकेल रहे हैं। भले ही वैश्विक स्तर पर निगेटिविटी है। बाजार को शायद एहसास हो चुका है कि अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर में भारत को फायदा होगा। यह इस विपरीत रुझान का संभावित कारण बताया जा रहा है। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के कारण ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन में बदलाव आ रहा है।

क्‍या हो सकते हैं फायदे?

व्यापार युद्ध के कारण चीन से निकलने वाली कंपनियां भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में देख सकती हैं। इससे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) बढ़ने की संभावना है। अगर कंपनियां भारत में अपनी उत्पादन इकाइयां स्थापित करती हैं या मौजूदा इकाइयों का विस्तार करती हैं तो इससे भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। चीन से प्रतिस्पर्धा कम होने पर भारत के पास विभिन्न क्षेत्रों में अपने निर्यात को बढ़ाने का अवसर होगा। इन सभी फैक्‍टर्स के संयुक्त प्रभाव से भारत की आर्थिक विकास दर में तेजी आ सकती है।

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