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यूपी उपचुनाव: अखिलेश के मास्टरस्ट्रोक से बैकफुट पर बीजेपी, 10 पुलिसकर्मी भी सस्पेंड!

यूपी उपचुनाव में मीरापुर से कुंदरकी तक प्रेदेश के 10 पुलिसकर्मी सस्पेंड हो गए हैं, और ये सब सपा की शिकायत पर हुआ है। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या नतीजे आने से पहले ही अखिलेश यादव ने 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी बढ़त बना ली है?
07:05 PM Nov 20, 2024 IST | Vibhav Shukla

महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों के बीच उत्तर प्रदेश उपचुनाव की चर्चा पूरे देश में तेज़ हो गई है। चुनाव आयोग ने लापरवाही के आरोप में 10 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव की शिकायत पर की गई। अखिलेश ने इस मामले को लेकर चुनाव आयोग से लेकर सोशल मीडिया तक दबाव बनाने की अपनी पूरी ताकत झोंकी। यूपी के चुनावी इतिहास में ये पहली बार है जब किसी उपचुनाव के दौरान इतने बड़े पैमाने पर पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई हो। तो सवाल ये उठता है कि आखिर अखिलेश ने क्या किया, जिसने चुनाव आयोग को इतनी बड़ी कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया?

अखिलेश की सधी हुई रणनीति ने बदल दी तस्वीर

अखिलेश यादव इस बार बहुत एक्टिव दिखाई दिए। जैसे लोकसभा चुनाव में खुद मोर्चा संभाला था, वैसे ही इस उपचुनाव में भी वह पूरे समय मैदान में बने रहे। शुरुआत में ही उन्होंने सुबह-सुबह चुनावी गड़बड़ी पर सवाल उठाए। फिर लगातार वो सोशल मीडिया पर अपनी आवाज उठाते रहे, और सपा के बाकी नेता भी चुनाव आयोग को अपनी शिकायतें भेजते रहे। कुंदरकी, सीसामऊ और कटेहरी जैसी जगहों पर चुनाव में धांधली की बातें सामने आईं, और अखिलेश ने इन मामलों को जोर-शोर से उठाया।

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सपा ने इस बार लखनऊ में एक तरह का 'वार रूम' भी तैयार किया था, जो पूरी चुनावी प्रक्रिया को ट्रैक करता था। यहां से चुनावी इलाकों से वीडियो और तस्वीरें मंगवाई जा रही थीं, जो बाद में चुनाव आयोग को भेजी गईं। इन वीडियोज में पुलिस की लापरवाही और कथित धांधली के सबूत थे, जिन्हें लेकर अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग पर दबाव बनाना शुरू कर दिया।

 

अखिलेश की सक्रियता से सपा के कार्यकर्ता भी बहुत एक्शन में नजर आए। कई जगहों पर वो पुलिस से भिड़ते हुए दिखाई दिए। इन भिड़ंतों के वीडियोज सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए, जो वायरल हो गए। कांग्रेस के नेता भी इस मुद्दे पर पूरी तरह एक्टिव हो गए और इन वीडियोज के आधार पर चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग करने लगे। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने भी इस मुद्दे को उठाया और चुनाव आयोग से सख्त कदम उठाने की अपील की।

अखिलेश के मास्टरस्ट्रोक से  बैकफुट पर बीजेपी

अखिलेश यादव ने यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि अपनी पार्टी को यूपी में और मजबूत करने के लिए भी यह लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलकर खुद को एक विजेता की तरह पेश किया। चुनावी धांधली पर कार्रवाई के बाद बीजेपी इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ कहने की स्थिति में नहीं रही।

अखिलेश यादव का कहना था कि यूपी में ये चुनाव प्रशासन द्वारा करवाया जा रहा है, और यही उनकी पार्टी को विजेता बना देगा। सपा ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलकर बीएसपी और ओवैसी की पार्टी के बारे में चर्चा को कम कर दिया। अब चुनावी बहस सिर्फ बीजेपी और सपा के बीच सिमट कर रह गई है।

 समर्थन मिलने से अखिलेश की स्थिति मजबूत

सपा को इस उपचुनाव में कांग्रेस और ममता बनर्जी की पार्टी से भी समर्थन मिल रहा है। मझवां सीट पर ममता की पार्टी के नेता ललितेशपति त्रिपाठी ने सपा के उम्मीदवार के लिए प्रचार किया, जिससे अखिलेश की स्थिति और मजबूत हुई। इसका मतलब यह हुआ कि सपा ने सिर्फ अपनी पार्टी ही नहीं, बल्कि दूसरे विपक्षी दलों को भी अपने पक्ष में कर लिया है।

अब सभी की निगाहें 23 नवंबर पर

अब सबकी निगाहें 23 नवंबर को आने वाले चुनावी नतीजों पर हैं, जब यूपी की 9 सीटों के परिणाम सामने आएंगे। इन 9 सीटों में से बीजेपी 8 और आरएलडी 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है। सपा अकेले 9 सीटों पर मैदान में है। अखिलेश की रणनीति ने यह साबित कर दिया कि वह केवल चुनाव जीतने के लिए नहीं, बल्कि यूपी में अपनी राजनीति को और मजबूत करने के लिए भी लड़ रहे हैं। अब ये देखना होगा कि 23 नवंबर को जो नतीजे आएंगे, वो उनकी रणनीति को सही ठहराते हैं या नहीं।

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