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तुर्किए की दोस्ती में धोखा! अमेरिका से हथियार लेकर भारत को आंख दिखा रहा

तुर्किए ने भारत की दोस्ती में पीठ में छुरा घोंपा! ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान का साथ देने के बाद अब अमेरिका से मिसाइलें खरीद रहा है। क्या तुर्किए पर हमला अमेरिका को चैलेंज करना होगा? जानें पूरी खबर।
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भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान तुर्किए ने ऐसा खेल खेला कि सबके होश उड़ गए। जिस तुर्किए को भारत ने भूकंप के वक्त दिल खोलकर मदद की थी, उसी ने अब पीठ में छुरा घोंप दिया। ऑपरेशन सिंदूर में तुर्किए ने पाकिस्तान का साथ दिया और अब अमेरिका से मिसाइलें खरीदकर ताकत बढ़ा रहा है। दूसरी तरफ, भारत-अमेरिका के रिश्ते भी कुछ खास नहीं चल रहे। ऐसे में सवाल उठता है- अगर कोई तुर्किए पर हमला करता है, तो क्या ये अमेरिका पर हमला माना जाएगा?

तुर्किए ने दिखाया असली रंग

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किए ने पाकिस्तान की मदद करके अपना असली चेहरा दिखा दिया। भारत ने जब तुर्किए में भूकंप से तबाही मची थी, तब जमकर सहायता की थी। लेकिन अब वही तुर्किए भारत के खिलाफ खड़ा है। यही वजह है कि भारत में लोग तुर्किए और उसके सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी तुर्किए के खिलाफ गुस्सा साफ दिख रहा है।

अमेरिका की तुर्किए को मिसाइलें

अमेरिका ने तुर्किए को 304 मिलियन डॉलर की मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें बेचने की डील को हरी झंडी दे दी है। ये कदम नाटो के तहत दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए उठाया गया है। लेकिन सवाल ये है कि जब तुर्किए भारत के खिलाफ खड़ा है, तो अमेरिका उसकी मदद क्यों कर रहा है?

क्या ये भारत के लिए खतरे की घंटी है?

नाटो का कनेक्शन क्या है?

तुर्किए और अमेरिका भले ही सीधे दोस्त न हों, लेकिन दोनों नाटो के सदस्य हैं। नाटो का मकसद है अपने सदस्य देशों की सुरक्षा और स्वतंत्रता की रक्षा करना। नाटो के तीन बड़े काम हैं- सामूहिक रक्षा, संकट प्रबंधन और सहकारी सुरक्षा। यानी अगर तुर्किए पर कोई हमला होता है, तो नाटो के नियमों के तहत अमेरिका को उसका साथ देना पड़ सकता है। ऐसे में अगर भारत या कोई और देश तुर्किए के खिलाफ कोई कदम उठाता है, तो क्या ये अमेरिका को भी चैलेंज करने जैसा होगा?

ट्रंप का क्रेडिट लेने का खेल

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर का क्रेडिट लेने की कोशिश डोनाल्ड ट्रंप ने भी की। लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया कि ये समझौता DGMO लेवल पर हुआ, वो भी पाकिस्तान के अनुरोध पर। भारतीय वायुसेना की कार्रवाई इतनी जबरदस्त थी कि पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े। ट्रंप के इस रवैये की जमकर आलोचना हो रही है। वो हर बार क्रेडिट लेने की कोशिश करते हैं, चाहे काम उनका हो या न हो।

अमेरिका का यू-टर्न

ट्रंप का रवैया तो वैसे भी दुनिया जानती है। दो दिन पहले उन्होंने एक ऐसे आतंकी से हाथ मिलाया, जिस पर कभी अमेरिका ने करोड़ों का इनाम रखा था और जेल भेजा था। अमेरिका का आतंकवाद के खिलाफ ये यू-टर्न भारत के लिए खतरा बन सकता है। एक तरफ ट्रंप भारत-पाक सीजफायर में अपनी दखल का ढोल पीट रहे हैं, दूसरी तरफ तुर्किए को हथियार देकर उसकी पीठ ठोक रहे हैं।

भारत के लिए सबक

तुर्किए का धोखा और अमेरिका का दोहरा रवैया भारत के लिए बड़ा सबक है। ऐसे में भारत को अपनी रक्षा और विदेश नीति को और मजबूत करना होगा। तुर्किए ने साबित कर दिया कि मुश्किल वक्त में भरोसा सिर्फ अपने दम पर करना चाहिए। अब देखना ये है कि भारत इस चुनौती का जवाब कैसे देता है।

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