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विश्व के सबसे ऊंचे शिव मंदिर तुंगनाथ में जाकर करने है शिव के दर्शन तो जान लें ये रास्ता

अगर आप भगवान शिव के प्राचीन तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो पहले ये जान लें कि इस विश्व के सबसे ऊँचे मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है।
10:34 AM Feb 26, 2025 IST | Vyom Tiwari
अगर आप भगवान शिव के प्राचीन तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो पहले ये जान लें कि इस विश्व के सबसे ऊँचे मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है।

महाशिवरात्रि का पावन पर्व इस साल 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। अगर आप इस शुभ अवसर पर भगवान शिव के दर्शन करना चाहते हैं, तो तुंगनाथ मंदिर एक शानदार जगह हो सकती है। यह मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित है और इसे दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर माना जाता है।

तुंगनाथ मंदिर पंच-केदार यात्रा का हिस्सा है, जो पांच पवित्र शिव मंदिरों की यात्रा होती है। यह यात्रा चार धाम यात्रा से अलग है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडवों को अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगनी पड़ी। लेकिन भगवान शिव ने उनसे बचने के लिए लुका-छिपी का खेल खेला और पांच अलग-अलग स्थानों पर प्रकट हुए। इन स्थानों पर ही पांच मंदिर बने, जिन्हें पंच-केदार कहा जाता है केदारनाथ, तुंगनाथ, मध्यमहेश्वर, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर। इनमें तुंगनाथ तीसरा सबसे महत्वपूर्ण मंदिर माना जाता है।

अगर आप तुंगनाथ मंदिर जाना चाहते हैं, तो आपको इसकी यात्रा से जुड़ी जरूरी जानकारी लेनी चाहिए। आइए जानते हैं कि इस मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है और इसके कपाट श्रद्धालुओं के लिए कब खुलते हैं।

दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर

तुंगनाथ मंदिर, जो 3,680 मीटर (12,073 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, पंच केदार मंदिरों में सबसे ऊंचा होने के साथ-साथ दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर भी माना जाता है। कहा जाता है कि इसका संबंध महाभारत के पांडवों से जुड़ा हुआ है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, 8वीं शताब्दी में महान संत और दार्शनिक आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर की खोज की थी। वहीं, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसका निर्माण 8वीं शताब्दी में कत्यूरी शासकों ने कराया था। तुंगनाथ मंदिर को लेकर हिंदू समाज में कई आस्थाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं।

कब खुलता है तुंगनाथ मंदिर

तुंगनाथ मंदिर, जो उत्तराखंड में स्थित है, हर साल अप्रैल या मई में श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। इसका उद्घाटन चार धाम यात्रा की शुरुआत के साथ होता है। मंदिर के खुलने की सही तारीख बद्री केदार मंदिर समिति तय करती है, जो आमतौर पर बैसाखी के समय घोषित की जाती है।

3.5 किमी लम्बा है तुंगनाथ मंदिर का ट्रैक 

अगर आप तुंगनाथ मंदिर जाना चाहते हैं, तो पहले उत्तराखंड के चोपता पहुंचना होगा। चोपता से तुंगनाथ तक का ट्रेक करीब 3.5 किलोमीटर लंबा है। यह ट्रेक न तो बहुत मुश्किल है और न ही बहुत आसान, लेकिन थोड़ा मेहनत जरूर लगेगी। रास्ते में आपको बर्फ से ढके पहाड़ और हरे-भरे घास के मैदान दिखेंगे, जो आपकी थकान दूर कर देंगे। आमतौर पर, चोपता से तुंगनाथ पहुंचने में करीब 2 से 3 घंटे का समय लगता है।

तुंगनाथ कैसे जाए

तुंगनाथ ट्रेक की शुरुआत उत्तराखंड के खूबसूरत हिल स्टेशन चोपता से होती है। अगर आप यहां पहुंचना चाहते हैं, तो सबसे पहले ऋषिकेश या हरिद्वार आना होगा। यहां से आप बस या टैक्सी लेकर सीधे चोपता जा सकते हैं।

एक और तरीका यह है कि आप उखीमठ (Ukhimath) तक बस से जाएं और वहां से शेयरिंग टैक्सी लेकर चोपता पहुंचें। चोपता को उसकी सुंदरता की वजह से 'भारत का मिनी स्विट्जरलैंड' भी कहा जाता है।

 

 

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