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फर्जी वीडियो, फर्जी वादे! ट्रंप की AI वीडियो से भारतीयों को ठगा गया, Hotel Rental ऐप बना जाल

ट्रंप की AI वीडियो से लोगों का भरोसा जीता, होटल रेंटल ऐप के जरिए भारतीयों से करोड़ों की धोखाधड़ी हुई
03:40 PM May 28, 2025 IST | Rajesh Singhal
ट्रंप की AI वीडियो से लोगों का भरोसा जीता, होटल रेंटल ऐप के जरिए भारतीयों से करोड़ों की धोखाधड़ी हुई

Trump Hotel rentals: कर्नाटक से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के AI-जनरेटेड विजुअल का इस्तेमाल कर फर्जी ट्रंप होटल रेंटल ऐप  का उपयोग किया गया, जिससे कर्नाटक में कई लोगों को ठगा गया। धोखाधड़ी करने वाले ट्रंप ऐप के पीछे साइबर अपराधियों ने पीड़ितों को उच्च रिटर्न का वादा करके प्रेरित किया, जिससे उन्हें करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। हावेरी के पुलिस अधीक्षक अंशुकुमार के बताया कि धोखेबाजों ने Trump Hotel rentals नामक एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाया था। बता दें कि पहले 1500 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस लेते थे और लोगों को भरोसा दिलाने के लिए वापस 500 रुपये लौटा देते थे।

कर्नाटक में कई लोगों को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एआई-जनरेटेड विजुअल का उपयोग करके फर्जी ‘ट्रंप होटल रेंटल’ योजना में निवेश करने के लिए धोखा दिया गया।(Trump Hotel rentals) पुलिस के अनुसार, साइबर अपराधियों ने ट्रंप ऐप नामक एक फर्जी मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके कई जिलों में नागरिकों को ठगा, जिसके परिणामस्वरूप करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।

जानिए क्या है पूरा मामला

हावेरी के पुलिस अधीक्षक अंशुकुमार के बताया कि धोखेबाजों ने ट्रंप होटल रेंटल ऐप नामक एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाया था। जिसका दावा था कि यह ट्रंप होटल रेंटल और निवेश से जुड़ा हुआ है। इस ऐप ने सोशल मीडिया के माध्यम से पॉपुलरिटी हासिल की, जिसमें यूजर्स को कम समय में उच्च रिटर्न का वादा किया गया। पीड़ितों में व्यवसायी और वकील से लेकर छात्र और सरकारी कर्मचारी तक अलग-अलग पेशे शामिल हैं।

कैसे होती थी ठगी?

CEN विभाग के सूत्रों ने बताया कि ऐप पर एक डैशबोर्ड निवेश पर आय की सूची देता था और इसका उपयोग अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए किया जाता था। निवेशक को सौंपे गए हर कम्प्लीट टास्क पर ऐप डैशबोर्ड पर उनकी 'आय' को बढ़ाता हुआ दिखाता था लेकिन वास्तव में पैसा जमा नहीं हो रहा था। हावेरी जिले में कुल 15 मामले दर्ज किए गए हैं। कई पीड़ितों ने इसी योजना में पैसा खो दिया, लेकिन वे शिकायत दर्ज कराने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। इस साल 25 जनवरी से 4 अप्रैल के बीच एक वकील को करीब 6 लाख रुपए का नुकसान हुआ।

800 लोग बने ठगी का शिकार

ऐप में एक डैशबोर्ड दिखाया जाता था, जिसमें "कमाई" बढ़ती नजर आती थी। छोटे-छोटे काम, जैसे कंपनी प्रोफाइल लिखना आदि के बदले भी पैसे दिए जाते थे। इससे लोगों को लगता था कि वे असली काम कर रहे हैं और पैसे कमा रहे हैं। ये स्कैम सिर्फ एक शहर तक सीमित नहीं रहा। पुलिस के मुताबिक, बेंगलुरु, तुमकुरु, मंगलुरु, हावेरी और अन्य हिस्सों के लोग भी इसमें फंसे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 5-6 महीनों में ही 800 से ज्यादा लोग ठगी के शिकार बन चुके हैं। अब तक 200 से ज्यादा लोगों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। कुल मिलाकर लगभग दो करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस स्कैम में सरकारी कर्मचारी, कानून व्यवस्था से जुड़े लोग, और व्यापारी भी फंसे हैं।

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