21 दिन में 11 बार! ट्रंप का 'मैंने करवाया सीजफायर' रिकॉर्ड... कांग्रेस का सवाल- 'मोदी चुप क्यों?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर उसी रिकॉर्डेड बयान को दोहरा रहे हैं जिसने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दिनों में अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी थीं। पिछले 21 दिनों में यह 11वीं बार है जब ट्रंप ने दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच फरवरी 2021 की सीजफायर उनकी "व्यक्तिगत मध्यस्थता" का नतीजा थी। लेकिन सवाल यह है कि जब ट्रंप बार-बार इसका श्रेय ले रहे हैं, तो भारत सरकार और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? क्या यह चुप्पी ट्रंप के दावों को स्वीकार करने जैसा है या फिर मोदी सरकार के लिए यह एक अजीबोगरीब राजनीतिक दुविधा है?
21 दिन में 11 वीं बार दोहराया ट्रंप ने वही बयान
शुक्रवार को एक बार फिर ट्रंप ने अपने समर्थकों के सामने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान पर "आर्थिक दबाव" डालकर सीजफायर करवाया था। उनका कहना था, "अगर मैंने हस्तक्षेप न किया होता, तो दोनों देशों के बीच भयानक युद्ध हो जाता।" यह वही दावा है जो ट्रंप पिछले तीन हफ्तों में 11 बार कर चुके हैं।
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि भारत सरकार ने फरवरी 2021 में ही इस दावे को खारिज कर दिया था। तत्कालीन विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि सीजफायर भारत-पाकिस्तान के सैन्य प्रमुखों (DGMOs) के बीच हुई बातचीत का नतीजा था, न कि किसी बाहरी मध्यस्थता का। फिर आखिर ट्रंप इतनी बार यह दावा क्यों दोहरा रहे हैं? क्या यह अमेरिकी चुनावी राजनीति का हिस्सा है या फिर भारत सरकार की चुप्पी उन्हें और हिम्मत दे रही है?
मोदी पर हमला करते हुए क्या बोली कांग्रेस?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्रंप के बयान को लेकर सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "21 दिन में 11वीं बार ट्रंप ने सीजफायर का श्रेय खुद को दिया, लेकिन मोदी जी चुप हैं। क्या यह सच है? अगर नहीं, तो सरकार सफाई क्यों नहीं देती?
रमेश ने यह भी याद दिलाया कि ट्रंप ने एक बार भारत और पाकिस्तान को "एक जैसा" बताया था, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से 10 गुना बड़ी है। उनका सवाल है कि क्या मोदी सरकार ट्रंप की "झूठी बातों" को इसलिए अनदेखा कर रही है क्योंकि वह उनकी "जिगरी दोस्ती" को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती?
क्या सच में ट्रंप ने की थी मदद? जानिए पूरा सच
फरवरी 2021 में जब भारत और पाकिस्तान ने सीजफायर की घोषणा की थी, तब ट्रंप ने पहली बार दावा किया था कि उन्होंने दोनों देशों के बीच बातचीत करवाई थी। हालांकि, भारत सरकार ने इससे इनकार किया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह फैसला द्विपक्षीय स्तर पर हुआ था। लेकिन ट्रंप के लगातार दावों ने एक नया सवाल खड़ा कर दिया है कि अगर भारत सरकार ने पहले ही इस दावे को खारिज कर दिया था, तो ट्रंप इसे बार-बार क्यों दोहरा रहे हैं? क्या उन्हें लगता है कि मोदी सरकार उनके बयानों पर प्रतिक्रिया नहीं देगी? या फिर यह अमेरिकी घरेलू राजनीति का हिस्सा है, जहां ट्रंप अपने समर्थकों को यह बताना चाहते हैं कि वह दुनिया के सबसे जटिल विवादों को सुलझाने की क्षमता रखते हैं?
मोदी सरकार की चुप्पी का मतलब क्या?
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत सरकार ट्रंप के बार-बार के दावों पर चुप क्यों है? क्या यह एक कूटनीतिक रणनीति है जिसमें अमेरिका के साथ संबंधों को नुकसान न पहुंचाने के लिए चुप रहा जा रहा है? या फिर यह सरकार की एक राजनीतिक कमजोरी है जिसमें वह ट्रंप जैसे शक्तिशाली नेता के सामने सच बोलने से कतरा रही है? कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार सिर्फ अपनी तारीफ सुनना चाहती है और जब भी कोई असहज सवाल आता है, तो वह चुप्पी साध लेती है।
क्या भारत को ट्रंप के दावों पर आधिकारिक तौर पर जवाब देना चाहिए?
अब स्थिति यह है कि ट्रंप का यह दावा अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बार-बार उछाला जा रहा है, और भारत की चुप्पी उसे और हवा दे रही है। क्या अब समय आ गया है कि भारत सरकार आधिकारिक तौर पर एक बार फिर स्पष्ट करे कि सीजफायर में ट्रंप की कोई भूमिका नहीं थी? या फिर यह चुप्पी भविष्य में भारत की सैन्य और कूटनीतिक साख को नुकसान पहुंचाएगी? यह सवाल सिर्फ ट्रंप के बयानों तक सीमित नहीं, बल्कि भारत की विदेश नीति की प्रामाणिकता से जुड़ा हुआ है।
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